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रायपुर। छत्तीसगढ़ के बालोद जिले में जंगल के जानवर ही वन्य जीवों को बचाने की मुहिम चला रहे हैं। आपको यह सुनकर भले ही आश्चर्य लग रहा होगा, लेकिन बालोद जिले में वन्य प्राणी संरक्षण सप्ताह पर कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिला। जब भालू और टाइगर को हांथों में वन्य जीवों के संरक्षण का संदेश लिए लोगों ने देखा, तोे थोड़ी देर के लोग भी आश्चर्यचकित हो गए।
इसके साथ ही 5 साल में हाथी प्रभावित गांवों में हाथी और मानव के बीच संघर्ष जारी है। जिसमें लगभग 7लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं जंगली हाथियों ने अब तक 50 से अधिक ग्रामीणों के घरों को उजाड़ा है। लगभग 400 किसानों के फसलों को रौंदा है। हाथी की जिला मुख्यालय तक पहुंच से वन विभाग ने जंगल के नजदीक इलाकों में हाथियों की चारे की व्यवस्था की है यहां दो लाख पीपल की नर्सरी तैयार की जा रह है। उनके भोजन व पानी की व्यवस्था की जा रही है। इसके बावजूद हाथी गांवों तक पहुंच रहें हैं। इस दौरान वन विभाग मुनादी करवाकर लोगों को सुरक्षित जगहों पर पहुंचाता है।
छत्तीसगढ़ के बालोद जिले में जंगल के जानवर ही वन्य जीवों को बचाने की मुहिम चला रहे हैं। आपको यह सुनकर भले ही आश्चर्य लग रहा होगा, लेकिन बालोद जिले में वन्य प्राणी संरक्षण सप्ताह पर कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिला। जब भालू और टाइगर को हांथों में वन्य जीवों के संरक्षण का संदेश लिए लोगों ने देखा, तोे थोड़ी देर के लोग भी आश्चर्यचकित हो गए।
दरअसल बालोद जिले के सघन वन वाले क्षेत्रों में कई रास्ते जंगलों से होकर गुजरते हैं। इसके साथ साथ वन्य जीव और मानव संघर्ष की घटनाएं भी होती है। इन घटनाओं में हर साल लगभग 30 से अधिक वन्य जीवों की मौत हो जाती है। सड़को को पार करते समय भी जंगली जानवर सड़क हादसे का शिकार हो जाते हैं। इसलिए बालोद जिले में हर साल वन विभाग की ओर से वन्य प्राणी संरक्षण सप्ताह मनाया जाता है।
HARRY
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