छत्तीसगढ़

तेंदुए की धमक, वन विभाग ने ग्रामीण और चरवाहों को जंगल में ना जाने की सलाह दी

Nilmani Pal
14 Nov 2022 8:02 AM GMT
तेंदुए की धमक, वन विभाग ने ग्रामीण और चरवाहों को जंगल में ना जाने की सलाह दी
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रायपुर। छत्तीसगढ़ का बरमकेला ब्लॉक चारों तरफ से गोमर्डा अभयारण्य से घिरा हुआ है। पिछले कुछ महीनों से तहसील के विभिन्न हिस्सों में तेंदुए की दहशत व्याप्त है। गांवों के बाहर चरने के लिए जाने वाले पालतू जानवारों पर तेंदुए के हमले कि घटनाएं सामने आ रही हैं। गांव के बाहर जंगलों से लगे इलाकों में जाने वाले ग्रामीणों की अक्सर वन्यजीवों से सामना हो रहा है। ऐसी स्थिति में बीती रात सारंगढ़ जाने वाले मार्ग पर जंगल में सारंगढ़ विधायक को किसी कार्यक्रम से वापस लौटते वक़्त तेंदुआ सड़क किनारे विचरण करता दिखा। विधायक के पीएसओ ने गाड़ी के भीतर से ही तेंदुए को अपने मोबाइल में कैद कर लिया। बता दें कि कुछ दिनों पहले क्षेत्र के मारोदारहा, विस्वासपुर बीट मुख्यालय के आस पास एक बकरी और बैल को तेंदुए ने शिकार बनाया था।

अब जानकारी मिल रही है कि, बरमकेला क्षेत्र के दानव करवट जंगल में गाय-बछडे़ और बकरियां भी हिंसक जानवरों के हमले का शिकार हो रही हैं। जंगली जानवरों के कनकन सागर जलाशय के ऊपरी क्षेत्र में होने की बात ग्रामीण कर रहे हैं। ग्रामीणों ने बताया कि पिछले दिनों धोबनी पाली के रत्थू यादव की बकरियों को हिंसक जानवर ने मार खाया है। जिसकी सूचना वन विभाग‌ को दी जा चुकी है।

सूचना के बाद वन विभाग ने ग्रामीणों को अलर्ट रहने की सलाह दी है। सभी गांवों के चरवाहों को कहा गया है कि, जंगल की तरफ अपने पालतू मवेशियों को चराने के लिए ना ले जाएं। साथ ही जंगल के बजाय गांव के करीब खाली मैदानी इलाकों में ही गायें और बकरियां चराने की समझाइश दी गई है। वन विभाग का कहना है कि, जंगल के अंदर ऐसी घटनाओं की संपूर्ण जवाबदारी पशु पालक की होगी। वहीं जंगल किनारे अगर पालतू जानवर को जंगली जानवर नुकसान पहुंचाते हैं तो उसकी मुआवजा राशि दी जाएगी।


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