'सिविल सेवकों' की क्षमता निर्माण में नवीनतम भू-स्थानिक तकनीक शामिल की जाएगी
सिंह ने कहा : "नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ जियो-इंफॉर्मेटिक्स साइंस एंड टेक्नोलॉजी (एनआईजीएसटी) के पास सिविल सेवा के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए भू-स्थानिक प्रौद्योगिकियों में क्षमता और विशेषज्ञता है।" उन्होंने कहा, "राष्ट्रीय भू-स्थानिक नीति (एनजीपी) 2022 के अनुसार, भू-स्थानिक विज्ञान और प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में ऑनलाइन पाठ्यक्रम जीओटी कर्मयोगी मंच के माध्यम से उपलब्ध कराया जाना है।"
मंत्री ने हैदराबाद में संस्थान का दौरा किया और वहां संकाय और प्रशिक्षुओं के साथ बातचीत की। एनआईजीएसटी में एक इंटरैक्टिव सत्र के दौरान उन्होंने कहा कि एनआईजीएसटी बुनियादी जीआईएस, ड्रोन सर्वेक्षण और मैपिंग, जीआईएस विश्लेषण, भूमि सर्वेक्षण, कैडस्ट्राल मैपिंग, डिजिटल मैपिंग, लिडार मैपिंग, यूटिलिटी मैपिंग, 3डी-सिटी मैपिंग, जियोइड मॉडलिंग, कॉर्स नेटवर्क आदि जीएनएसएस सर्वेक्षण के क्षेत्रों में दक्षताओं और भूमिका आधारित शिक्षा के साथ सिविल सेवा प्रशिक्षण पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ा सकता है।केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सरकार द्वारा उल्लिखित उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए एनआईजीएसटी की पुनर्गठन प्रक्रिया चल रही है और डिजिटल कक्षाओं, प्रयोगशालाओं, फील्ड उपकरणों, व्यायाम, छात्रावास की सुविधा, व्यावहारिक क्षेत्र सर्वेक्षण सहित अन्य सुविधाओं के आधुनिकीकरण के साथ क्षमता विस्तार और प्रशिक्षण गुणवत्ता में सुधार के लिए कार्रवाई शुरू की गई है।
सिंह ने कहा कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) ने बोर्ड ऑफ गवर्नर्स, बोर्ड ऑफ इवैल्यूएशन और बोर्ड ऑफ स्टडीज के साथ नई संस्थागत शासन प्रणाली को मंजूरी दी है और इसे लागू किया है। एनआईजीएसटी (पहले भारतीय सर्वेक्षण और मानचित्रण संस्थान या आईआईएसम के रूप में जाना जाता था) भारत के सर्वेक्षण के तहत एक सर्वेक्षण और मानचित्रण प्रशिक्षण संस्थान है जो पिछले 50 वर्षो में विभिन्न देशों जैसे नेपाल, भूटान, श्रीलंका, सऊदी अरब, ओमान, थाईलैंड में केंद्रीय और राज्य मंत्रालय, एजेंसियां, सुरक्षा एजेंसियां, निजी उद्योग आदि अल्पकालिक और दीर्घकालिक प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण के लिए जान्रे जाते हैं।