निस्तारी और निजी जमीन पर रसूखदार बिल्डरों की गिद्ध दृष्टि
फर्जी सीमांकन करवा कर किसानों और भू-स्वामियों को जमीन बेचने कर रहे मजबूर
सिर्फ जमीन मालिक ही करा सकता सीमांकन कोई अन्य नहीं, पर ऐसा हो रहा
पटवारी-आरआई तहसीलदार के साथ मिलकर बिल्डरों का चल रहा बड़ा खेल
निजी जमीन को कब्जा करने आसपास की निस्तारी और निजी जमीन पर बलात कब्जा
जमीन मालिक तथाकथित बिल्डर से परेशान होकर बेच दे संपत्ति किया जा रहा मजबूर
जसेरि रिपोर्टर
रायपुर। राजधानी के अंदर पॉश कालोनियों और मुख्य मार्ग की जमीन और आउटर में किसानों की जमीन को तथाकथित बिल्डर साम-दाम-दंड-भेद की नीति अपनाकर कब्जा करने के लिए बड़े-बड़े अधिकारियों के साथ मिलकर खेल कर रहा है।
ताजा मामला खम्हारडीह में दैनिक अखबार जनता से रिश्ता के मालिक की जमीन पर कब्जा करने के लिए एक तथाकथित बिल्डर पहले उस जमीन के आसपास की निस्तारी जमीन पर कब्जा कर जनता से रिश्ता के मालिक पर जमीन बेचने के लिए हथकंडे अपनाने लगा है। यो कहे कि जमीन बेचने के लिए दबाव बना रहा। बिल्डरों की घुसपैठ सरकारी कार्यालयों में अंदर तक हो चुकी है वो किसी भी जमीन का नक्शा खसरा निकाल लेते है और दूसरे की जमीन का भी सीमांकन करवा लेने में माहिर है। जबकि राजस्व अधिनियम में स्पष्ट है कि जमीन मालिक ही अपनी जमीन का सीमांकन कर सकता है जबकि राजधानी में तो उल्टी गंगा बह रही है। राजस्व विभाग के पटवारी-आरआई और तहसीलदार बिल्डरों के पार्टनर और नौकरों के हिसाब से काम को अंजाम दे रहे है। बिल्डर के रसूख से प्रभावित अधिकारी किसी के भी निजी की जानकारी बिल्डरों को दे देते है। साथ ही बिल्डर दूसरों की जमीन का सीमांकन कराने में भी माहिर साबित हो रहे है।
कब्जा करने का नायाब तरीका
तथाकथित बिल्डर पहले मौके की जमीन तलाश करते है फिर पटवारी-आरआई से मिलकर उस जमीन की पूरी जानकारी निकाल कर उस जमीन का सीमांकन करवा कर आसपास की जमीन को कब्जा कर मौके की जमीन को खरीदने के लिए दूसरे की जमीन पर बलात कब्जा कर दो -चार फीट जमीन पर गुसपैठ कर देते है। जिससे जमीन मालिक मजबूर होकर जमीन को औने-पौने दाम में बेच दे। यह फंडा बिल्डरों के लिए बहुत ज्यादा फलीभूत हो रहा है।
जमीन मालिक पर बनाते है अनावश्यक दबाव
बिल्डरों की चालबाजी इतनी खतरनाक है कि यदि उन्हों जमीन जंच गई तो वो हर हाल में जमीन खरीदने के लिए साम-दाम-दंड-भेद की नीति अपनाते है ताकि जमीन मालिक उनके रूतबे और रसूख से भयभीत होकर जमीन बेचने को तैयार हो जाए। खासकर मेन मार्केट की जंमीन या किसानी जमीन जो रोड से लगा हुआ हो उसे जमीन को खरीदने के लिए पहले दलाल को भेजते है और जब बात नहीं बनती है तो दबाव बनाते है। ताकि जमीन मालिक मजबूर होकर जमीन बेच दे। इस तरह जमीन मालिक पर दबाव बनाने का खेल राजधानी में पूरी रफ्तार के साथ दौड़ रहा है।
सिर्फ जमीन मालिक ही करा सकता है सीमांकन
राजधानी के बिल्डर इतने ताकतवर है कि वो किसी की भी जमीन का सीमांकन कर सकते है। उनका इतना बड़ा रैकेट है कि जमीन मालिक को कानोकान खबर नहीं लगती और उसके जमीन को कोई दूसरा पक्ष सीमांकन करा लेता है। जबकि कानूनी प्रवाधान है कि जमीन मालिक ही अपनी जमीन का सीमांकन करा सकता है दूसरे की जमीन का नहीं करा सकता यदि कराता है तो 420 का मामला दर्ज हो सकता है।
तथाकथित बिल्डर अपनी राजनीतिक पहुंच का दिखाते है दम
तथाकथित बिल्डर अपनी राजनीतिक पहुंच का फायदा उठाने सबसे पहले दूसरों की जमीन पर कब्जा करते है, फिर जिसकी जमीन है यदि वह डर गया तो उस पर और जबाव बनाते है, जिसके जमीन मालिक बिल्डरों की राजनीतिक रसूख से प्रभावित होकर जमीन को बेच दे। पहले ये जमीन दूसरे के नाम से खरीदते है पिर उसे अपने नाम करवा लेते है।
सैकड़ों एकड़ जमीन पर कब्जा
राजधानी बनने के 22 साल बाद रायपुर के 40 किमी के आसपास कोई भी किसानी जंमीन नहीं बचा है। किसानों की सैकड़ों एकड़ जमीन टोकनमनी की भेंट चढ़ चुकी है। शातिर बिल्डरों ने किसानों की करोड़ों की जमीन को 2-5 लाख रुपए एकड़ में जमीन खरीदी का सौदा कर टोकनमनी के रूप में 1-2 लाख एडवांस देकर जमीन के सारे दस्तावेज अपने पास रख लेते है। और उस पर मकान दुकान बनाकर करोड़ों की कमाई करने के बाद भी किसानों को आज तक भुगतान नहीं किया है। जब भी किसान पैसों के लिए तगादा करता है तो उसे तोड़ा बहुत पैसा देकर चलता कर देते है।
बिना डायवर्सन के बन गए अपार्टमेंट
राजधानी और उसके आसपास बहुमंजिला इमारतों का जाल बिछा हुआ है। जो बिना डावर्सन के निर्माण हुए है। खेती की जमीन पर प्लाट काट-काट कर मकान बनाकर बेचने का खेल राजधानी में बेखौफ चल रहा है।
बिल्डरों के खिलाफ रेरा में सैकड़ों शिकायतें
रेरा में बिल्डरों के धोखाधड़ी के सैकड़ों शिकायत पहुंचे है जिनमें से कुछ का तो निराकरण रेरा के निर्णय से हुआ है। वहीं अभी ब्लेक लिस्टेट बिल्डर किसानी जमीन पर बलात कब्जा कर प्लेट पर फ्लेट तान रहे है। उन्हें सरकारी कानून कायदे का कोई भय ही नहीं है ऐसा लगने लगा है।