लैब टेक्नीशियन ने बच्चे को अपना कहने से किया इनकार, अब होगा डीएनए टेस्ट
रायपुर। छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक एवं सदस्य अर्चना उपाध्याय ने कल कलेक्टोरेट कार्यालय के सभाकक्ष में महिला उत्पीड़न से संबंधित प्रस्तुत प्रकरणोें पर जनसुनवाई की। छत्तीसगढ़ महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक की अध्यक्षता में आज प्रदेश स्तर की 176 वीं और जिले स्तर की 6वीं जन सुनवाई हुई। जांजगीर-चांपा जिले में आयोजित आज की जनसुनवाई में कुल 40 प्रकरणों पर सुनवाई की गई। आज आयोजित जन सुनवाई में महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ किरणमयी नायक ने महिलाओं से अपील करते हुए कहा कि महिलाएं ढोंगी साधुओं के प्रभाव में आकर अपना घर और भविष्य बर्बाद न करें।
इस कड़ी में महिला ने बताया कई उनका एक बेटा है जिसकी उम्र लगभग 07 वर्ष है। जांजगीर जिले के कापन अस्पताल में लैब टेक्नीशियन के पद पर है जिसका मासिक वेतन 40 हजार है उसके द्वारा लगातार आयोग के समक्ष झूठे कथन किये गये कि उसे आवेदिका द्वारा झूठा फंसाया जा रहा है। लेकिन पूछताछ के दौरान यह पाया गया कि आवेदिका के बच्चे की डिलीव्हरी अकलतरा स्वास्थ्य विभाग में अनावेदक ने ही करवाया था और आवेदिका के द्वारा बच्चे के जन्म के पूर्व धारा 376 की एफआईआर थाना अकलतरा में दर्ज कराया था। इसके बाद अनावेदक ने आवेदिका को फिर बहला-फुसलाकर समझौता करने को कही और अपने साथ रखने ले गया था और अदालत में बयान बदलवाकर समझौता किया था। उसके बाद अस्पताल में बच्चे का जन्म कराया था उसके बाद आवेदिका के साथ रहना बंद कर दिया और फिर तीसरी औरत लाया और उसे भी छोड़ दिया है आवेदिका ने बताया कि उसने अपने सर्विस बुक में आवेदिका के बच्चे का नाम नहीं चढ़ाया है अपने बहन का नाम चढ़ाया है।
इस स्तर पर आवेदिका ने कहा कि अनावेदक शासकीय अभिलेख में आवेदिका के बेटे का नाम बेटे के रूप दर्ज कराया जाये और अनावेदक के वेतन से प्रति माह 1/4 भाग आवेदिका के पुत्र को सीधा बैंक खाता में दिया जाए। इस स्तर पर अनावेदक ने कहा कि उसे वैज्ञानिक प्रमाण से स्पष्ट कराना है कि आवेदिका के बेटा उसका बेटा है यह प्रमाणित हो जाने कि दशा में वह केवल बेटा को अपने साथ रखेगा और सरकारी रिकार्ड में उसका नाम चढ़ायेगा और अनावेदिका को इसलिए नहीं रखेगा क्योकि उससे लड़ाई झगड़ा होता है। वह आवेदिका और उसके बेटे का डीएनए टेस्ट और शासकीय खर्च, आने-जाने का पूरा खर्च वहन करने को तैयार है। पैसा व्यवस्था करने में चार महिने का समय लगेगा। तब तक वह अपने बेटे को प्रति माह भरण पोषण का खर्च देगा तथा डीएनए टेस्ट कराने के लिए रायपुर आने जाने के लिए आवेदिका पक्ष का समस्त खर्च स्वयं वहन करेगा। आज आयोग में की गई समस्त कार्यवाही की प्रमाणित प्रति अनावेदक के विभागाध्यक्ष सीएमएचओ जांजगीर को भी भेजा जायेगा और समस्त दस्तावेजों की प्रमाणित प्रति मंगायी जाये और उन्हें यह भी सूचित किया जाये कि अनावेदक का डीएनए टेस्ट कराने की प्रक्रिया विभागीय तौर पर प्रारंभ करने का पत्र भी प्रेषित करें। जिसमें आवेदिका और उसके बेटे का नाम भी उल्लेखित करें। समस्त कार्यवाही की जानकारी एक माह के अंदर आयोग में प्रस्तुत करें ताकि डीएनए टेस्ट की प्रक्रिया प्रारंभ की जाये। इस संपूर्ण प्रकरण में दिन प्रतिदिन की निगरानी के लिए सखी सेंटर जांजगीर की केन्द्र प्रशासिका को दी जाती है। ताकि संपूर्ण कार्यवाही पर शीघ्र कार्यवाही किया जा सके।