वैश्विक महामारी (कोविड-19) ने सभी के जीवन में अपना भयावक प्रभाव डाला है। कोविड-19 का प्रभाव सब से ज्यादा ग्रामीण अंचल में रहने वाले ग्रामीणों के बीच रोजगार की समस्या बढ़ा दिया। लॉकडाउन के समय सरकार द्वारा महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना को सोशल डिस्टेंसिंग के साथ कार्य करने की अनुमति दिया गया, ताकि ग्रामीणों को ग्राम स्तर पर ही रोजगार मिल सके एवं उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार हो सके। ग्रामीण स्तर में ऐसे बहुत से युवक होते है, जो रोजगार की तलाश के बहाने चोरी-छीपे बोर गाड़ी में गांव से अन्यत्र चले जाते हैं। कहते है ना रोटी कपड़ा और मकान जीवन के लिए बुनियादी आवश्यक वस्तुएं है। यह भी सच है कि वर्तमान में कोविड-19 वैश्विक महामारी के दौर में रोजगार पाना बहुत मुश्किल है। फिर भी पांचवी पास युवक बद्रीनाथ बघेल के जीवन में लॉकडाउन जैसी स्थिति में भी मनरेगा योजना ने उनके जीवन में खुशियां ला दी। मनरेगा से स्वावलंबन की दिशा में बद्रीनाथ बघेल ने बेहतर कार्य करते हुए एक नई मिशाल कायम की है।
बात कोण्डागांव जिला मुख्यालय से 18 किमी की दूरी पर बसे ग्राम पंचायत बड़ेकनेरा के बकोदागुड़ा की है जहां विपरीत परिस्थितियों में गांव का युवक बद्रीनाथ बघेल ने कुछ ऐसा कार्य किया जिसकी तारीफ पूरा गांव कर रहा है। विगत वर्ष बद्रीनाथ बघेल के पिता सुखदेव बघेल का देहांत पीलिया बीमारी से हो गया। परिवार में मां, भाई और बहन के भरण-पोषण की जिम्मेदारी बद्रीनाथ बघेल पर आ गई। कई बार विचार किया कि बोरगाड़ी में रोजगार की तलाश में गांव से बाहर चला जाये किन्तु मार्च माह में उसके भूमि के पास ही एक निजी डबरी निर्माण कार्य चल रहा था। जिसमें उसकी मां सुलई बाई कार्य में जा रही थी, मां सुलई बाई के मन में विचार आया कि क्यों न हम भी अपने खाली पड़े भूमि पर मनरेगा योजना से निजी डबरी निर्माण कार्य करवाये। उसने अपने बड़े बेटे बद्रीनाथ से बात की जो बोरगाड़ी में कार्य करने मार्च में लॉकडाउन के कुछ दिन पहले जाने की सोच रहा था। बद्रीनाथ को ये बात अच्छी लगी वह बहुत सोच समझकर अपने कदम ग्राम पंचायत की ओर बढ़ा दिया। जो कभी अपना नाम दर्ज कराने से हिचकने वाला बद्रीनाथ बघेल अपनी रोजी रोटी की तलाश में ग्राम पंचायत की ओर चल पड़ा। जहां उसकी मुलाकात ग्राम पंचायत में जनपद पंचायत से मौके पर आये तकनीकी सहायक विरेन्द्र कुमार साहू एवं ग्राम पंचायत बड़ेकनेरा के सचिव महेश्वर पाण्डे से हुई।
मौके पर पहुंचे तकनीकी सहायक विरेन्द्र कुमार साहू ने बताया कि मनरेगा योजना से स्वावलंबी किस तरह से बन सकते हैं विस्तार से बताया एवं मार्गदर्शन दिया। बद्रीनाथ बघेल की आंखे खुल गई एवं सकारात्मक विचार के साथ फिर सारी औपचारिकताओं को पुरा करने के बाद ग्रामसभा द्वारा बद्रीनाथ बघेल के खेत में निजी डबरी निर्माण कार्य का प्रस्ताव ग्रामसभा में पारित किया गया। किन्तु कुछ दिन बाद लॉकडाउन हो गया। ग्रामसभा में पारित प्रस्ताव की अनुशंसा पर वित्तीय वर्ष 2020-21 में हितग्राही बद्रीनाथ बघेल के खेत में निजी डबरी निर्माण कार्य जिला प्रशासन कोण्डागांव के द्वारा प्रशासकीय स्वीकृति मिलने के बाद 05.05.2020 को सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए कार्य प्रारंभ कराया गया। 17.06.2020 को बद्रीनाथ बघेल के खेत में निजी डबरी निर्माण कार्य 1260 मानव दिवस के साथ पुरा हुआ जिसमें उसके परिवार के जॉब कार्ड 815 में लॉकडाउन के समय 108 दिवस का रोजगार इस वित्तीय वर्ष में उसके परिवार को मिला।
बद्रीनाथ बघेल के द्वारा मनरेगा योजना से बने 30ग30 वर्ग मी. के निजी डबरी में माह अगस्त में मत्स्य विभाग से 05 किलो मछली बीज (रोहू, कतला, मिग्रल) उक्त डबरी में डाला गया है। वर्तमान में 250-300 ग्राम की स्थिति है और जिसका विक्रय आरंभ नहीं किया गया है। मनरेगा ने करोडों लोगों के जीवन में परिवर्तन ला दिया है उन्ही में से एक बद्रीनाथ बघेल है। आज बद्रीनाथ बघेल के खेत में मनरेगा योजना से डबरी निर्माण कार्य पूर्ण हो चुका हैं। मनरेगा योजना से बद्रीनाथ ने रोजगार के साथ-साथ जीवन यापन का जरिया पा लिया है। आज बद्रीनाथ बघेल ने डबरी में मछली पालन कर अतिरिक्त आय का भी स्त्रोत बना लिया हैं। आज गांव के लोगों के बीच बद्रीनाथ बघेल की छवि एक मजदूर से एक जागरूक नागरिक की हो गई है एवं आज बद्रीनाथ बघेल एक ऐसे युवा प्रेरणा के रूप में उभर कर सामने आये है जो गांव से पलायन कर दूसरे राज्यों में जाकर काम करते है तथा शोषण का शिकार होते है आज मनरेगा योजना हर जॉब कार्डधारी परिवार को उनके गांव में ही रोजगार उपलब्ध करा रहा है साथ ही ग्रामीणों का जीवन स्तर सुधारने का हर संभव प्रयास की ओर अग्रसर है।