किसी ने सहीं कहा है कि इस संसार में बच्चों के जन्मदाता का गौरव उसके माता-पिता को होता है, परन्तु इस संसार के अनुरूप जीने का ज्ञान एक गुरू ही दे सकता है। गुरू यानि जीवन में सर्वोच्चता पाने का पथ प्रदर्शक। इसलिए हमारे धार्मिक ग्रंथों में भी गुरू की महिमा का गान जगह-जगह पर किया गया है।
वर्तमान कालखण्ड में जब लोगों का जीवन थम सा गया है, वहीं शिक्षा का क्षेत्र भी अछूता नहीं रहा। इन विषम परिस्थितियों में स्कूल, काॅलेज का बंद होना हर पालक, शिक्षक, छात्रों के बीच एक विचारणीय मुद्दा है। इसके लिए शासन द्वारा भी शैक्षणिक गतिविधियों को निरंतर जारी रखने के लिए आधुनिक संचार साधनों के द्वारा आॅनलाईन शिक्षा पर जोर दिया जा रहा है। इस क्रम में बस्तर के वनांचल जिलों में शिक्षकों द्वारा शैक्षणिक गतिविधियों से संबंधित विभिन्न प्रकार के नवाचारी और अभिनव प्रयास किये गये हैं। इसके तहत् कोण्डागांव जिले में भी ग्रामीण छात्रों में पढ़ाई के प्रति रूचि और रोचकता को बनाये रखने के लिए विभिन्न संकुलों के शिक्षकों द्वारा विभिन्न प्रकार की नवाचारी गतिविधियां प्रारंभ की गई है। इसके लिए स्थानीय परिवेश में सहज उपलब्ध विभिन्न प्रकार की घरेलु सामग्रियों का भी उपयोग किया जा रहा है। ऐसे शिक्षकों की सूची में कोण्डागांव ब्लाॅक के अंतर्गत ग्राम तरईबेड़ा में पदस्थ शिक्षक श्री दीपक प्रकाश द्वारा भी अपना नाम दर्ज किया गया है। बी काॅम, एमए अर्थशास्त्र में उपाधि प्राप्त दीपक प्रकाश ने अपने नवाचार के तहत् कागज के खिलौने द्वारा शिक्षा, सूखे लौकी पर कलाकृति और चित्रकला, शून्य लागत पर शिक्षकीय सामग्री का निर्माण, खेल-खेल में प्रशनोत्तर, हस्त कला के माध्यम से नवाचार का श्रीगणेश किया है।
वे बताते हैं कि जनवरी 2017 में प्राथमिक शाला तरईबेड़ा जो कि मुख्यालय कोण्डागांव से 45 किमी दूर स्थित है में व्यवस्था के आधार पर पदस्थ किये गये थे और इस शाला में कुल 90 बच्चें थे और 5 कक्षाएं थी, जिन्हें पढ़ाने का दायित्व उनपर था। चूंकि उनका पूर्व में हायर सेकेण्डरी एवं हाई स्कूल में पढ़ाने का अनुभव था और इसका लाभ निश्चित ही शिक्षकीय कार्यकौशल को वृद्धि करने में उपयोग आया। शैक्षणिक कार्य को सरल बनाने के लिए उनके द्वारा प्रारंभ में खेल संबंधी प्रशनोत्तरी चार्ट का निर्माण करके बच्चों को प्रोत्साहित किया गया। जिसके कारण बच्चे काफी उत्साहित होकर खेलने लगे। इसका लाभ यह हुआ कि जो बच्चे शाला नहीं आते थे अब वे भी प्रतिदिन शाला आने लगे और बच्चों के हिन्दी, अंग्रेजी पठन एवं लेखन कला में निखार आने लगा और इस चार्ट के माध्यम से बच्चे अच्छे अंकों से उत्तीर्ण भी हुए। अपने खेल संबंधी चार्ट के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि इस चार्ट में 'एच से हिन्दी, ई से इंग्लिश, एम से गणित, पी से पर्यावरण, जी से सामान्य ज्ञान, एमआर से रेखा गणित' के आधार पर खेल का चार्ट तैयार किया गया है। जिससे बच्चा एक बार खेलने पर अच्छे से पुस्तक पढ़ पाते हैं और उनमें लेखन कौशल का विकास भी होता है और तो और इस चार्ट को वर्तमान में पूरे कोण्डागांव जिले के स्कूलों में उपयोग किया जा रहा है तथा उल्लेखनीय है कि इस चार्ट के निर्माण के लिए शिक्षक दीपक प्रकाश को 2019 में प्रतिष्ठित प्रशिक्षण संस्थान आईआईटी नई दिल्ली में अरविंदो सोसायटी एचडीएफसी बैंक द्वारा आयोजित शिक्षा में शून्य निवेेेश नवाचार विषय पर राष्ट्रीय प्रशिक्षण सह सम्मान समारोह में मानव विकास एवं संसाधन मंत्री श्री प्रकाश जावड़ेकर द्वारा प्रशस्ति पत्र एवं छत्तीसगढ़ शासन द्वारा मुख्यमंत्री शिक्षा गौरव अलंकरण समारोह में ज्ञानदीप पुरस्कार भी दिया गया।
जिला प्रशासन द्वारा भी जिला स्तरीय शिक्षा गुणवत्ता उन्मुखीकरण प्रशिक्षण में शिक्षकों को कार्यकौशल बौद्धिक क्षमता एवं बच्चों की गुणवत्ता में वृद्धि हेतु कई प्रकार के कार्ययोजनाएं और प्राजेक्ट में भी दीपक प्रकाश के नवाचारी प्रयोगों पर अमल किया गया। इस नवाचार के तहत् बच्चों को उलटी गिनती, सुलेख, अंग्रेजी वर्णमाला, बच्चों को जोड़ने घटाने का ज्ञान, पर्यावरण प्रोजेक्ट, गणित के प्राथमिक ज्ञान, चित्रकला से संबंधित विभिन्न प्रकार के ज्ञान अर्जन करने के लिए शून्य निवेश के आधार पर सामग्रियां एकत्र कर बच्चों को मार्गदर्शन दिया गया।
शिक्षक दीपक प्रकाश ने यह भी बताया कि वे कक्षा और विषय वस्तु को रोचक बनाने के लिए कहानी वाचन को भी अपना माध्यम बनाते हैं और इन कहानियों में देशप्रेम, आज्ञाकारिता, ईमानदारी, कर्तव्यपरायणता, अनुशासन के प्रभावशाली उक्तियों का समावेश होता है साथ ही बच्चों की रचनात्मकता को बढ़ावा देने के लिए उनके द्वारा प्राकृतिक वस्तु (जैसे गिट्टी, पत्थर, पत्ते, फल-फूल, सुखी लकड़ी, सब्जी एवं फलों के अवशिष्ट पदार्थ, फलों के बीज, रेत, चुना इत्यादि) से गणित, रेखागणित, पर्यावरण के प्रोजेक्ट आदि विषयों पर माॅडल का निर्माण भी सिखाया गया है। दीपक प्रकाश का यह भी मानना है कि इस खेल चार्ट के माध्यम से बच्चों को सभी विषयों का ज्ञान तथा सामान्य ज्ञान आसानी से याद हो रहेे हैं और जिन शालाओं में शिक्षकों की कमी है वहां पर यह खेल चार्ट वरदान साबित होगी। शिक्षकीय पेशे को सैकड़ों मस्तिष्क का निर्माण करने वाले अभियन्ता कहने वाले 'दीपक प्रकाश' को अभी हाल ही में उत्तर प्रदेश के मथुरा में आयोजित आॅनलाईन राष्ट्रीय आदर्श सम्मान समारोह में आदर्श शिक्षा रत्न 2020 के तहत् सम्मानित किया गया।
अंततः यही कहा जा सकता है कि ग्रामीण शिक्षा के बुनियादी ढांचे में कमी को दूर करने के लिए हमें ऐसे ही गुणवत्ता बढ़ाने वाली नवाचारी योजनाओं एवं प्रयोगों को लागू करना ही होगा और इसके तजुर्बे एवं नतीजे निश्चित ही बच्चों को फायदा पहुंचाएंगे।