छत्तीसगढ़

मनुष्य जीवन का सार है ज्ञान

Nilmani Pal
4 Dec 2022 12:29 PM GMT
मनुष्य जीवन का सार है ज्ञान
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दुर्ग। आचार्य श्री विषुद्ध सागर महाराज ने कहा कि ज्ञान मनुष्य जीवन का सार है। आत्मा में अनेक गुण हैं उनमें ज्ञान परम गुण है। ज्ञान के बिना कुछ प्रकट नहीं होता। ज्ञान से श्रद्धा चरित्र और दर्षन की उत्पत्ति होती है। गर्भ के बच्चों की हत्या नहीं करें। गर्भ की रक्षा करोगे, तभी पंचकल्याणक का मोक्ष बना पाओगे।

पंच कल्याणक प्रतिष्ठा महामहोत्सव में गर्भकल्याणक के दिन प्रवचन में आचार्य विषुद्ध सागर ने कहा कि जो शांति मंत्र तंत्र नहीं दे सकता जो शांति मोती के प्रकाष से नहीं मिलती वह शांति आध्यात्म विद्या से मिलती है। यह अलौकिक विद्या है। भगवान महावीर स्वामी ने उपदेष दिया है कि ग्रंथ का दर्षन करें। अध्ययन करने की क्षमता न हो तो खोल कर देख लें। यह एक ऐसी विद्या है जिसके अंदर जाते ही मान अपमान का माव विलीन हो जाता है। पृथ्वी पर आए हो तो ऐसा करके जाओ कि हजारों वर्षो तक संस्कृति जीवित रहे। ज्ञानी दूसरों की विपत्ति अपने सिर पर ले लेते है। जिनषासन का अहित नहीं होने देते। मरणासन्न अवस्था में यदि परिणाम अच्छे है तो समझ लें आपने दुर्गति का बंध नहीं किया। उन्होंने कहा कि मनुष्य अपने आनंद में ही शांति से बैठ सकता है। दूसरों के आनंद में शांत नहीं बैठ सकता। अपने सुख में बैठे हो इसलिए शांत हो। करूणा का भाव आना बड़ी तपस्या है। 24 घंटे करूणा में विचार करो कि कभी किसी का अहित न हो जाए। सौ यज्ञ करने पर बैकुण्ठ नहीं मिलेगा लेकिन यदि एक जीव की रक्षा करोगे तो बैकुंठ अवष्य मिलेगा। आचार्य ने कहा कि आत्महत्या धर्म नहीं है कितनी भी विपत्ति आए आत्महत्या का विचार नहीं आना चाहिए। मन को यदि गंदा किया है तो तुम्हें ही धोना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि मनुष्य को क्षमा जरूर प्राप्त करना चाहिए। इसलिए अंतिम सांस आने से पहले क्षमा माँग लो। किस कुल में जन्म लिया है भरण करके कहां जाना है इसका ज्ञान होना चाहिए।

जो झुकता है वहीं ख्याति पाता है.....सुव्रत सागर

मुनि सुव्रत सागर ने कहा कि ख्याति प्राप्त करना है तो झुकना पड़ेगा जो झुक जाता है वहीं संसार में उठ पाता है। उन्होंने कहा कि मनुष्य बनना दुर्लभ है और गुरू का षिष्यत्व प्राप्त करना अति दुर्लभ है। गुरू की आज्ञा का पालन करने वाला सच्चा षिष्य होता है। जो षिष्य गुरू के चरणों में सब कुछ अर्पित कर देता है वह नर से नारायण व आत्मा से परमात्मा बन जाता है। इससे पूर्व रविवार को सुबह 7 बजे गर्भकल्याण के उत्तर रूप के लिए नित्य महाभिषेक शांतिधारा गर्भकल्याणक पूजन व शांति हवन हुआ। इसके साथ ब्रम्हचारी महेन्द्र पाटनी की गोद भराई का कार्यक्रम हुआ। महेन्द्र बाकलीवाल की बंदोली अमर हाइट्स से नसिया तीर्थ पहुॅची । कार्यक्रम में प्रतिष्ठाचार्य अजीत कुमार जैन ग्वालियर व सहप्रतिष्ठाचार्य अमित पाध्ये कोल्हापुर व संजय सरस बैतूल थे। मंच संचालन जितेन्द्र पाटनी ने किया। आज की शांति धारा का सौभाग्य भागचंद संजय कुमार पाटनी व आचार्य जी के पाद प्रसाद का सौभाग्य नेमीचंद सुषीला देवी बाकलीवाल परिवार को प्राप्त हुआ। शास्त्र भेंट का अवसर जीतू जोली गदिया परिवार रायपुर को मिला। नसिया के मान स्तम्भ में पत्र चढ़ाने का सौभाग्य पलक जैन सुपुत्री किषोर विनायका हजारीबाग को मिला। कार्यक्रम में अतिथि के रूप में सांसद विजय बघेल महापौर धीरज बाकलीवाल महावीर बाकलीवाल, सुरेन्द्र पाटनी,उज्जवल पाटनी,प्रषांत क्षितिज जैन न्यायाधीष पंकज जैन, प्रदीप पाटनी अरविन्द जैन उपस्थित थे। इसके अतिरिक्त सजल काला, राकेष छाबड़ा संदीप लुहाड़िया, पंकज छाबड़ा, अनिल गोधा, मनीष बड़जात्या,सुनील गंगवाल, विमल बड़जात्या,कैलाष बाकलीवाल,जयप्रकाष गोघा, मनोज बाकलीवाल,महेन्द्र पाटनी प्रवीण बड़जात्या, धर्मचंद काला अमोल गोधा नीरज गोधा सहित भारी संख्या में धर्मप्रेमी मौजूद थे।

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