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स्किन कैंसर की दस्तक
समय रहते समझ नहीं पाते। जिसके चलते उनकी स्थिति गंभीर होती चली जाती है और जान का जोखिम भी बढ़ जाता है। अब भी ज्यादातर लोगों को यही लगता है कि त्वचा का कैंसर सिर्फ बाहरी त्वचा पर ही विकसित हो सकता है। जबकि हाल ही में हुए शोध इसके और व्यापक होने की सूचना दे रहे हैं।
वास्तव में स्किन कैंसर त्वचा के विभिन्न अंगों को प्रभावित कर सकता है। जिसके बारे में हम सभी को उचित जानकारी होनी चाहिए। ताकि कैंसर की शुरूआती लक्षणों को पहचान कर उनका उपचार शुरू कर सकें। वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाईजेशन के अनुसार स्किन कैंसर का सबसे बड़ा कारण सूरज की हानिकारक किरणें हैं। इसके अलावा हार्मफुल केमिकल्स भी आपकी त्वचा को प्रभावित कर सकते हैं।
भारत में स्किन कैंसर के आकड़ें बहुत कम हैं। 1 प्रतिशत से भी कम लोग स्किन कैंसर का शिकार होते हैं। परन्तु चिंताजनक बात यह है, की धीमे-धीमे भारत में भी स्किन कैंसर के मामले बढ़ रहे हैं। लोगों के बीच जागरूकता की कमी के कारण इसका पता काफी देर से चलता है।
स्किन कैंसर का मृत्यु दर भी काफी कम है। परंतु डायग्नोसिस होने के बाद भी पूरी जिंदगी स्किन कैंसर का खतरा बना रहता है। इसलिए आज हेल्थ शॉट्स आपके लिए कुछ जरुरी जानकारी लाया है। जानेंगे स्किन कैंसर शरीर के किन-किन अंगों में हो सकता है, ताकि लक्षण नजर आने पर बिना देर किये डॉक्टर से मिल सके और इसका इलाज करवा सकें।
एनस यानी नितंब आमतौर पर सूर्य के संपर्क में नहीं आते। इसके बावजूद एनस में स्किन कैंसर का खतरा हो सकता है। बेसल सेल और मेलेनोमा कैंसर दोनों का खतरा बना रहता है। एनोरेक्टल म्यूकोसल मेलेनोमा कैंसर का एक खतरनाक और दुर्लभ रूप है, जो आमतौर पर एनस के अंदर होता है। हालांकि, यह बहुत कम लोगों में देखने को मिलता है, परन्तु इसका इलाज काफी दर्दनाक और कठिन होता है।
सभी प्रकार के स्किन कैंसर कान में हो सकते हैं। कान के कैंसर के लगभग सभी मामले पहले स्किन कैंसर के रूप में शुरू होते हैं। इसका इलाज आसान नहीं है। यूएस में हर साल केवल 300 मरीज ही डायगनोसिस हो पाते हैं। इस प्रकार के कैंसर की स्थिति में कान की त्वचा पर छोटे सफेद धक्के, लाल धब्बे, पपड़ीदार त्वचा, काले या भूरे रंग के घाव नजर आते हैं। कुछ लोग शुरुआत में सूजन और दर्द का अनुभव करते हैं। जिसके कुछ दिनों बाद ही फ्लूइड आना शुरू हो जाता है।
मेलेनोमा का एक दुर्लभ और खतरनाक कैंसर है। यह कैंसर अंगूठे के नाखूनों के अंदर विकसित होता है। यदि यह अधिक फ़ैल जाए तो काफी घातक हो सकता है। अभी इसके विकसित होने के कारण को वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित नहीं किया गया है। आमतौर पर यह नाखून के नीचे काले या भूरे रंग के मलिनकिरण के रूप में दिखाई देता है।
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Apurva Srivastav
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