बलरामपुर जिले में सरकारी कागजों में मरा हुआ व्यक्ति 20 साल बाद अचानक जिंदा हो गया है. सुनने में थोड़ा अजीब जरूर लग रहा होगा लेकिन ये सच है. दरअसल, गांव के ही कुछ लोग एक व्यक्ति की जमीन हड़पने के उद्देश्य से उसका फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाकर जमीन अपने नाम करवा ली थी, लेकिन अचानक 20 साल बाद उस शख्स के वापस घर लौटने पर गांव में हलचल मच गई है.
अब कागजों में मरा हुआ व्यक्ति अपने आपको जिंदा साबित करने के लिए सरकारी कार्यालय के चक्कर काट रहा है. वहीं, एसडीएम का कहना है कि ऐसे मामले बहुत कम ही आते हैं और यह पहला ऐसा केस है जहां एक व्यक्ति को खुद के जिंदा होने के सबूत देने पड़ रहे हैं. दरअसल, ये पूरा मामला वाड्रफनगर विकासखंड के ककनेशा गांव का है. जहां रहने वाले रामविचार गोड़ 20 वर्ष पहले रोजगार की तलाश में उत्तरप्रदेश के बलिया जिले चले गए थे. वहीं, लोहे की फैक्ट्री में काम करने लगे लेकिन उसे अचानक अपने गांव की याद आई और वापस 20 वर्ष बाद फिर से अपने गांव ककनेशा पहुंचा.
रामविचार यह कभी नहीं सोचा होगा कि जिस गांव में वह पैदा हुआ है उसी गांव के लोग जमीन के चंद टुकड़े के लिए उसे कागजों में मरा हुआ घोषित कर चुके हैं. रामविचार की उम्र करीब 65 वर्ष है. उनके पास आधारकार्ड और वोटर आईडी भी नहीं है और उनके परिवार में सिर्फ उनके छोटे भाई और तीन भतीजे ही हैं. रामविचार ने शादी नहीं की थी लेकिन लंबे समय से गांव से लापता रहने पर गांव के ही कुछ लोगों ने एक लडक़ी को उनकी संतान बताकर उनकी जमीन को उस लड़की के नाम पर करवा दी जो अभी उत्तरप्रदेश के लीलासी में रहती है.
अब जब रामविचार 20 साल बाद वापस गांव लौटा तो जमीन के फर्जीवाड़े का भी खुलासा हो गया और रामविचार अब अपनी जमीन को पाने के लिए तहसील और एसडीएम कोर्ट का चक्कर काट रहे हैं. रामविचार के परिजन और गांव के सरपंच का बेटा भी बता रहा है कि रामविचार जिंदा है और उसकी जमीन को गलत तरीके से दूसरे के नाम पर रजिस्ट्री करवा दी गई है. फिलहाल अब रामविचार तो जिंदा है लेकिन उसको अपने जिंदा होने का प्रमाण पेश करना पड़ेगा. क्योंकि सरकारी दस्तावेजों उसकी मृत्यु हो चुकी है. वहीं, रामविचार का कहना है कि मैं 20 साल बाद गांव लौटा हूं. गांव वालों ने बताया कि मैं मर चुका हूं. मेरी सारी जमीन लूट गई है. अब अपनी जमीन पाने के लिए मैं कानूनी लड़ाई लडूंगा.