छत्तीसगढ़

जानिए इस बुजुर्ग के बारे में, स्वयं टीबी से ठीक होकर अन्य मरीजों का कर रहें है मदद

Nilmani Pal
13 Oct 2021 10:03 AM GMT
जानिए इस बुजुर्ग के बारे में, स्वयं टीबी से ठीक होकर अन्य मरीजों का कर रहें है मदद
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रायपुर। प्रदेश के बलौदाबाजार-भाटापारा जिले के विकासखण्ड बलौदाबाजार-के अंतर्गत ग्राम डमरू निवासी 60 वर्षीय महासिंग पैकरा ने मानवता की मिशाल पेश की है। वह स्वयं टीबी से ठीक होकर अन्य मरीजों का मदद कर टीबी मुक्त बनाने में अपना सहयोग दे रहें है। उन्होंने अब तक 10 से अधिक लोगों को टीबी की दवाई खिला कर उन्हें पूरी तरह से स्वस्थ कर चुके है। महासिंग ने बताया कि आज से लगभग 20 साल पहले इनको टीबी की शिकायत हुई उस समय उनको बुखार के साथ-साथ तेज़ खाँसी की की भी शिकायत थी। उसके साथ हल्का बुखार और भूख न लगने के कारण कमजोरी भी लगने लगी थी। जब परिवार ने यह सुना कि उनको टीबी है तो काफी घबराहट भी सभी को लगने लगी। उन्होंने बताया मेरे दिमाग में कई प्रकार के प्रश्न भी पैदा होने लगे कि अब क्या करें ? कहां जाएं ? जिससे मिले क्या उपचार करें ? महासिंग ने अपनी स्थिति के संबंध में आगे बताया कि तबीयत खराब होने पर वह सरकारी स्वास्थ्य केंद्र गए और वहां डॉक्टर को दिखाया।

डॉक्टर ने उनको बलगम जांच करने की सलाह दी बाद में बलगम की जांच में उनका टीबी रोग पाया गया। उस समय डॉक्टर ने उनको बताया कि घबराने की जरूरत नहीं है। छह महीना दवाई खाकर आप ठीक हो जाएंगे। महासिंग ने डॉक्टर की बात मानकर 6 महीने का डॉट्स का कोर्स पूरा किया और वह ठीक हो गए। दवाई खा कर पूरी तरह ठीक हो जाने के पश्चात महासिंग के भीतर एक आत्मविश्वास पैदा हुआ और उन्होंने गांव में अन्य लोग जो टीबी रोग से पीड़ित थे उनकी मदद करने का निश्चय लिया। क्योंकि टीबी के मरीज को उसके घर के समीप दवाई रखवा कर किसी स्वयंसेवक के माध्यम से दवाई दी जाती है। जिससे वह समय पर दवाई खा सके एवं उसकी निगरानी भी की जा सके। ऐसे में महासिंग ने गांव के टीबी मरीजों को लिए ट्रीटमेंट सपोर्टर बनने का निर्णय लिया। इसके माध्यम से टीबी की दवाई गांव में महासिंग के घर पर रखवा दी गई तथा महासिंग स्वयं मरीज के घर जाकर उसे अपने सामने दवाई खिलाने का कार्य करने लगे। इसका एक लाभ यह भी हुआ कि मरीज से प्रतिदिन मुलाकात हो जाती थी तथा उसकी स्थिति का जायजा भी प्राप्त हो जाता था। इस तरह अभी तक महासिंग 10 से अधिक टीबी मरीजों को दवा खिलाकर ठीक कर चुके हैं। जो कि एक बड़ी उपलब्धि है। अपने इस कार्य के संबंध में महासिंग का कहना है कि यह कार्य उन्हें आत्म संतोष प्रदान करता है। तथा ऐसा लगता है कि समाज में रहकर वह समाज के लोगों के लिए कुछ कर पा रहे हैं। साथ ही जब मरीज को यह पता चलता है कि महासिंग स्वयं इस बीमारी से लड़कर ठीक हो चुके हैं तो उनका रुझान भी सकारात्मक हो जाता है। अपने इस नेक कार्य में महासिंग आज भी लगे हुए हैं। गौरतलब है की टीबी एक संक्रामक रोग है जो हवा के माध्यम से फैलता है किसी भी व्यक्ति को यह हो सकता है। 2 हफ्ते से अधिक की खांसी, वजन में कमी,भूख ना लगना, शाम को हल्का बुखार, छाती में दर्द,कभी-कभी बलगम के साथ खून आना,यह टीबी रोग के लक्षण हो सकते हैं। ऐसी स्थिति में मरीज को तुरंत निकट के स्वास्थ्य केंद्र में जाकर संपर्क करना चाहिए अन्यथा रोग बढ़कर जानलेवा भी हो सकता है। स्वास्थ्य विभाग के अनुसार वर्ष 2021 में अब तक 870 टीबी के मरीज जिले में निकल चुके हैं साथ ही राज्य सरकार ने वर्ष 2023 तक प्रदेश को टीबी मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है।

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