रायपुर। छत्तीसगढ़ किसान सभा ने स्मार्ट बिजली मीटर योजना का विरोध किया है और कहा है कि यह बिजली क्षेत्र के निजीकरण और इसे अडानी को सौंपने की मुहिम का हिस्सा है। किसान सभा ने कांग्रेस की राज्य सरकार से अपील की है कि इस योजना को लागू न करें। आज यहां जारी एक बयान में छत्तीसगढ़ किसान सभा के अध्यक्ष संजय पराते और महासचिव ऋषि गुप्ता ने कहा है कि पूरे देश से आ रही रिपोर्टों से स्पष्ट है कि स्मार्ट मीटर की संरचना इस तरह डिज़ाइन की जा रही है कि वे डिजिटल मीटर से ज्यादा तेजी से चलते हैं और वास्तविक खपत से ज्यादा दर्ज करते हैं। इस प्रकार ये मीटर उपभोक्ताओं पर अतिरिक्त नाजायज बोझ डालने वाले साबित हो रहे हैं। अतः इन स्मार्ट मीटरों की उपयोगिता और उपादेयता संदेह के दायरे में है।
उन्होंने कहा कि स्मार्ट मीटरों को पहले चार्ज कराना होगा। इससे स्पष्ट है कि जो गरीब पहले जेब से पैसे खर्च करने में असमर्थ होंगे, वे अंधेरे में रहने को मजबूर होंगे। इसके साथ ही बिजली की दरों को तय करने में नियामक आयोग की भूमिका खत्म हो जाएगी और बिजली दरों को कभी भी बढ़ाया जा सकेगा। इससे आम जनता की बदहाली और बढ़ेगी। इस प्रकार, यह योजना राज्य में अंधकार युग की दस्तक साबित होगी।
किसान सभा नेताओं ने कहा है कि हिन्डेनबर्ग रिपोर्ट से साफ है कि अपने मुनाफे के लिए अडानी किस तरह की व्यावसायिक जालसाजी कर रही है और आम जनता की जेब में डाका डाल रही है। छत्तीसगढ़ में बिजली क्षेत्र में अडानी का प्रवेश आम जनता के लिए संकट का कारण बनेगा। उत्तरप्रदेश के अनुभव से स्पष्ट है कि यदि अडानी को स्मार्ट मीटर लगाने का टेंडर मिलता है, तो राजस्व पर 2000 करोड़ रुपयों से अधिक का अतिरिक्त भार खजाने पर पड़ेगा, जो प्रकारांतर से आम जनता से ही वसूले जाएंगे।
किसान सभा ने कहा है कि बिजली राज्य का विषय है और केंद्र सरकार की इसमें दखलंदाजी स्वीकार नहीं की जानी चाहिये, जिसका एकमात्र उद्देश्य बिजली क्षेत्र में निजीकरण की मुहिम को बढ़ाना और इसे अडानी जैसे लुटेरे कॉर्पोरेट को सौंपना है। इसलिए राज्य सरकार को स्मार्ट मीटर लगाने की योजना पर रोक लगानी चाहिए, ताकि ऊर्जा संबंधी आम जनता की न्यूनतम जरूरतें पूरी होती रहे।