छत्तीसगढ़

खैरागढ़ उपचुनाव: अकबर की प्रतिष्ठा होगी दांव पर

Nilmani Pal
8 Nov 2021 4:56 AM GMT
खैरागढ़ उपचुनाव: अकबर की प्रतिष्ठा होगी दांव पर
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6 महीने के भीतर होगा उपचुनाव, कवर्धा हिंसा का दिखेगा असर?

जसेरि रिपोर्टर

रायपुर। जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ जोगी के विधायक देवव्रत सिंह के आकस्मिक निधन के बाद खैरागढ़ विधानसभा की सीट खाली हो गई है यहां अब 6 महीने के भीतर उपचुनाव कराना होगा। आगामी 4 मार्च से पहले यहां नए विधायक का चुनाव कराना होगा। संभावना जताई जा रही है कि उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव के पहले चरण के साथ ही सीट पर उप-चुनाव कराया जाएगा। राज्य निर्वाचन आयोग सीट खाली होने की सूचना केन्द्रीय चुनाव आयोग को भेजेगा जिसके बाद चुनाव आयोग निर्धारित समयावधि में यहां उपचुनाव के लिए शेड्यूल जारी करेगा। भूपेश सरकार में यह चौथा उपचुनाव होगा। खैरागढ़ की जनता हर बार नए उम्मीदवार को विधायक चुनती है, इस लिहाज से यह उपचुनाव भी सत्तापक्ष और विपक्ष दोनों के लिए काफी अह्म और रोचक होगा। खैरागढ़ से लगे कवर्धाा में पिछले दिनों हुई हिंसा का इस चुनाव पर असर दिखाई दे सकता है वहीं मंत्री मोहम्मद अकबर की प्रतिष्ठा भी इस उपचुनाव में दांव पर होगी। कांग्रेस सरकार जहां पिछले उपचुनावों की तरह ही यहां भी अपनी जीत के लिए जोर लगाएगी वहीं भारतीय जनता पार्टी इसे 2023 विधानसभा चुनाव के सेमीफायनल के तौर पर अपना कब्जा जमाने के लिए पूरी ताकत झोंकेगी। इसके अलावा जोगी कांग्रेस भी अपनी सीट को बरकरार रखने कोई कसर नहीं छोडऩा चाहेगी। सभी हालातों और समीकरण को देखते हुए तमाम सियासी दल अभी से उपचुनाव के लिए रणनीति तैयार करने में जूट गए हैं।

खैरागढ़ चुनाव के लिए सुगबुगाहट शुरू हो गई है। कांग्रेस इस रिक्त सीट पर कब्जा कर जहां अपनी ताकत और मजबूत करने की तैयारी है वहीं भाजपा इस सीट पर कब्जा कर 2023 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को सत्ता से हटाने की अपनी तैयारी को धार देने की कवायद करेगी तो जोगी कांग्रेस हर हाल में सीट पर कब्जा बरकरार रखने की कोशिश करेगी। चर्चा है कि कांग्रेस अपने पिछले उम्मीदवार को यहां फिर से मैदान में उतार सकती है वहीं भाजपा कोमल जंघेल के अलावा नया चेहरा पूर्व मुख्यमंत्री के भतीजे विक्रांत सिंह को भी आजमा सकती है। जबकि जोगी कांग्रेस देवव्रत सिंह की पत्नी को मैदान में उतार सकती है। बहरहाल अभी उपचुनाव की सुगबुगाहटे ही शुरू हुई हैं आने वाले दिनों में तमाम दल उप चुनाव के लिए अपने पत्ते खोलेंगे तो कई और दावेदारों के नाम सामने आएंगे।

खैरागढ़ में हर बार नेता बदलती है जनता

छत्तीसगढ़ राज्य के राजनांदगांव जिले की खैरागढ़ विधानसभा सीट पर पिछले चुनाव में कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी. इस सीट पर हुए पिछले तीन चुनाव के इतिहास को देखें तो यहां हर बार जनता अपना विधायक बदल देती है.यानी खैरागढ़ की जनता परफॉर्मेंस के आधार पर अपना नेता चुनती है. इस विधानसभा में कुल 51 फीसदी पुरुष वोटर हैं, तो वहीं 49 फीसदी वोटर महिला हैं. 2013 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के गिरवर जंघेल ने बीजेपी के कोमल जंघेल को पराजित किया था। 2008 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के कोमल जंघेल ने कांग्रेस के मोतीलाल को पराजित किया था। इससे पहले के चुनाव में देवव्रत सिंह ने भाजपा के सिद्धार्थ सिंह को पराजित किया था। जबकि पिछले चुनाव में देवव्रत सिंह ने जोगी कांग्रेस से चुनाव लड़ते हुए भाजपा उम्मीदवार कोमल जंघेल को पराजित किया था इस चुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवार तीसरे स्थान पर थे।

2018 से अब तक दंतेवाड़ा: नक्सल हमले में भीमा मंडावी के निधन के बाद देवती कर्मा की जीत हुई। चित्रकोट: दीपक बैज के सांसद बनने के बाद खाली सीट पर राजमन बेंजाम जीते। मरवाही: अजीत जोगी के निधन के बाद डॉ. केके ध्रुव की जीत हुई। खैरागढ़: 6 महीने के भीतर उपचुनाव की प्रक्रिया होगी।

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