रायपुर। राजधानी रायपुर के डॉ राजेंद्र नगर स्थित बुढ़ी मां का मंदिर लोगों की आस्था के अनुरूप जन सहयोग से सन 1971 में बनाया गया था। प्रतिवर्ष इस मंदिर में शारदीय एवं चैत्र नवरात्रि में ज्योत प्रज्जवलित की जाती है।
नौ दिनों में माता की विशेष पूजा करने से सभी मनोकामना पूर्ण होती हैं
पहले दिवस माता शैलपुत्री की पूजा, इन्हें गाय का घी या उससे बने भोग लगाएं। इनकी पूजा से मूलाधार चक्र जागृत होगा और सभी सिद्धियां स्वत: प्राप्त होंगी।
दूसरे दिन माता ब्रह्मचारिणी की पूजा, माता को शक्कर का भोग प्रिय है। इनकी पूजा से तप, त्याग, वैरागय, संयम व सदाचार की प्राप्ति होती है।
तीसरे दिन माता चंद्रघंटा की पूजा, माता को दूध का भाेग लगाएं। माता के इस रूप की पूजा से साधक को सांसारिक कष्टों से मुक्ति मिलती है।
चौथे दिन माता कुष्मांडा की पूजा, माता को मालपूआ का भाेग प्रिय है।
पांचवें दिन स्कंदमाता की पूजा, माता को केले का भोग लगाना चाहिए।
छठे दिन माता कात्यायनी की पूजा, माता को शहद अति प्रिय है। इन्हें इसी का भाेग लगाए।
सातवें दिन माता के कालरात्रि स्वरूप की पूजा, माता को गुड़ का भोग लगाया जाता है। इस स्वरूप के स्मरण से भूत, पिशाच व भय समाप्त हो जाते हैं।
आठवें दिन माता महागौरी की पूजा, माता को हलवे-पूरी का भोग लगाया जाता है।
नौवें दिन माता के सिद्धिदात्री रूप की पूजा, मां को खीर पसंद है।