जैसे कुम्हार मिट्टी को गढ़कर एक नया रूप देते हैं, उसी तरह हमारा भी नारा है 'गढ़बो नवा छत्तीसगढ़'- मुख्यमंत्री भूपेश बघेल
रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल आज राजधानी रायपुर के इंडोर स्टेडियम में आयोजित कुम्हार समाज के सम्मान समारोह कार्यक्रम में शामिल हुए। इस दौरान उन्होंने समाज के उत्कृष्ट कार्य करने वाले व्यक्तियों को अपने हाथों से सम्मानित किया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपनी बात की शुरुआत सिंधु घाटी सभ्यता से की। उन्होंने कहा कि जब सिंधु घाटी सभ्यता के रहस्य जानने के लिए खुदाई का काम शुरू हुआ तो वहां हजारों साल पुराने मिट्टी के खिलौने, मिट्टी की मूर्तियां, मिट्टी के बर्तन बड़ी संख्या में मिले। आज भी छत्तीसगढ़ में भी जब किसी ऐतिहासिक स्थल पर खुदाई का काम होता है तो वहां यही चीजें मिलती हैं। यह ऐतिहासिक तथ्य बताता है कि मानव सभ्यता की शुरुआत से ही कुम्हार समाज इस सभ्यता का अभिन्न हिस्सा रहा है। मानव समाज के विकास में कुमार समाज का बहुत बड़ा योगदान है। घर बनाने से लेकर अंतिम यात्रा तक इंसान की जिंदगी में कुम्हारों का योगदान होता है। बिना कुम्हारों के आज भी कोई भी सामाजिक, पारिवारिक कार्यक्रम संपन्न नहीं होते। अध्यात्म की बातों में भी कुम्हारों के जीवन दर्शन का उल्लेख सुनने को मिलता है। संत महात्माओं ने कुम्हारों की माटी कला के उदाहरणों के माध्यम से समाज को कई शिक्षाएं दी हैं।