जंगल सफारी बन गया टेंडर सफारी, बकरा मांस सप्लाई को लेकर विवाद
अफसर के चहेते को नहीं मिला टेंडर तो दोबारा टेंडर बुलाने का आरोप
रायपुर (जसेरि)। जंगल सफारी बन गया है टेंडर सफारी। अधिकारियों के चहेते को टेंडर नहीं मिलने के कारण दोबारा टेंडर बुलाया जा रहा है। नवा रायपुर स्थित जंगल सफारी में जानवरों के खाने के लिए बकरा मांस की सप्लाई को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। जानकारों का कहना है कि अधिकारियों के पसंदीदा वेंडर को टेंडर नहीं मिलने के कारण दोबारा टेंडर बुला रहे है। इसे लेकर सप्लाई टेंडर पाने वाले ने आपत्ति जताते हुए कोर्ट जाने की चेतावनी दी है। संचालक सह वन मंडलाधिकारी से लिखित शिकायत भी की है। उक्त निविदाकार ने कोर्ट जाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। जिसके बाद वन विभाग में चर्चा का बाजार गर्म हो गया है। संचालक सह वन मंडलाधिकारी जंगल सफारी रायपुर ने 14 अप्रैल को वन्य प्राणियों के लिए बकरा मांस का टेंडर जारी किया था। इस टेंडर में रायपुर के अलावा करीब दर्जनभर प्रदेश के अन्य जिलों के वेंडरों ने टेंडर भरा था। प्रतिदिन 255 किलो मांस की सप्लाई का ठेका है। जिसके लिए 9 लाख रूपए की धरोहर राशि का चेक भी जमा कराया गया। बताया गया कि मांस का ठेका सालाना 2 करोड़ रुपए के आसपास का है। टेंडर जारी होने के महीनेभर बाद गत 16 मई को टेंडर खोला गया और सबसे कम रेट डालने वाले निविदाकार शेख सुलतान को एल-वन के तहत टेंडर मिला। मगर एल-वन के तहत टेंडर मिलने के बाद भी अफसरों ने दोबारा टेंडर बुलाने का निर्णय लिया है। जिसके बाद बकरे के मांस का टेंडर विवादों में फंस गया है। निविदाकार शेख सुलतान ने संचालक सह वन मंडलाधिकारी लिखित में शिकायत की है।
इस संबध में वन मंडल अधिकारी ने बताया कि सबकुछ नियम के तहत हुआ है किसी भी प्रकार की अनियमितता नही बरती गई है। जो अहर्ताएं मांगी गई है फुलफिल करना होगा। एक भी बिंदु कमी होने पर टेंडर नहीं खोली जाएगी। टेंडर का अगला डेट 19 मई को तय किया गया है।