छत्तीसगढ़

Registrar जनरल के आदेश से इन जजों को झटका

Nilmani Pal
20 July 2024 8:36 AM GMT
Registrar जनरल के आदेश से इन जजों को झटका
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बिलासपुर bilaspur news। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट High Court के रजिस्ट्रार जनरल ने करियर प्रगति स्केल (एसीपी) के संबंध में महत्वपूर्ण आदेश जारी किया है। आदेश के अनुसार, जिन न्यायिक अधिकारियों के खिलाफ आरोप पत्र हैं और विभागीय जांच चल रही है, वे एसीपी के दायरे से बाहर रहेंगे। आदेश में यह भी कहा गया है कि यदि कोई अधिकारी छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण और अपील) नियम, 1966 के नियम 10 के तहत सजा की अवधि से गुजर रहा है, तो उसे एसीपी के अनुदान के लिए उपयुक्त नहीं माना जाएगा। chhattisgarh

chhattisgarh high court जिन न्यायिक अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक मामले या आपराधिक मुकदमे चल रहे हैं, उनके मामले लंबित रखे जाएंगे जब तक कि जांच या मुकदमा समाप्त नहीं हो जाता। यदि जांच या मुकदमे के समापन पर अधिकारी दोषमुक्त हो जाते हैं, तो उनके मामले पुन: समीक्षा के लिए खोले जाएंगे और उप-समिति की सिफारिश पर पात्रता की तारीख से कार्रवाई की जाएगी। न्यायिक अधिकारी के 6वें और 11वें वर्ष के कार्यकाल के बाद छह महीने के भीतर एसीपी प्रदान किया जाएगा। यदि एसीपी देने में देरी होती है, तो प्रत्येक वर्ष के लिए एक अतिरिक्त वेतन वृद्धि प्रदान की जाएगी।

सिविल जज जूनियर डिवीजन को एसीपी स्केल का लाभ मिलने के लिए पिछले पांच वर्षों के दौरान कम से कम तीन ‘सी’ ग्रेड और उस अवधि के दौरान एक से अधिक बार ‘ई’ ग्रेड नहीं दिया गया हो। कम से कम एक ‘बी’ और दो ‘सी’ ग्रेड और प्रथम सुनिश्चित करियर प्रगति ग्रेड के अनुदान के बाद पिछले पांच वर्षों के दौरान एक बार भी ‘ई’ ग्रेड नहीं दिया गया हो। किसी सिविल जज जूनियर डिवीजन को एसीपी स्केल के लाभ से तब तक वंचित नहीं किया जाएगा, जब तक कि संबंधित अधिकारी का कार्य लगातार खराब या असंतोषजनक न हो। सिविल जजों के लिए मापदंड रखा गया है कि पदोन्नति के बाद पिछले पांच वर्षों के दौरान कम से कम एक ‘बी’ और दो ‘सी’ ग्रेड मिला हो, उस अवधि के दौरान एक बार भी ‘ई’ ग्रेड नहीं दिया गया हो, कम से कम तीन ‘बी’ ग्रेड और दो बार ‘डी’ ग्रेड नहीं दिया गया हो और प्रथम सुनिश्चित करियर प्रगति ग्रेड के अनुदान के बाद पिछले पांच वर्षों के दौरान एक बार भी ‘ई’ ग्रेड नहीं दिया गया हो। इसके अलावा प्रति माह नियमित सिविल/आपराधिक मामलों की औसत लंबितता संबंधित वर्ष में 350 मामलों से कम होनी चाहिए। अधिकारी सीबीआई मामलों या अन्य विशेष मामलों की सुनवाई कर रहे हों, तो उन्हें छूट दी जाएगी। किसी भी अन्य टिप्पणी पर संबंधित अधिकारी को स्पष्टीकरण देने का अवसर प्रदान किया जाएगा। यह आदेश न्यायिक अधिकारियों की प्रदर्शन समीक्षा में पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से जारी किया गया है।


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