छत्तीसगढ़

पत्रकार, कारोबारी, बिल्डर, अपराधी, छुटभैय्या नेता न्यूज पोर्टल की आड़ में कर रहे उल्लू सीधा

HARRY
15 April 2021 5:57 AM GMT
पत्रकार, कारोबारी, बिल्डर, अपराधी, छुटभैय्या नेता न्यूज पोर्टल की आड़ में कर रहे उल्लू सीधा
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आफताब फरिश्ता

आपदा को फर्जी पोर्टल वालों ने बनाया वसूली का अवसर

पूरे प्रदेश में गिरोह सक्रिय, अधिकारियों और कारोबारियों को धमकी, चमकी देकर कर रहे अवैध वसूली

जसेरि रिपोर्टर

रायपुर। कोरोना काल में लगे लॉकडाउन का फर्जी वेबपोर्टल वाले पत्रकारों ने कमाई का दूसरा नया जरिया भी ढूंढ लिया है। फर्जी वेबपोर्टल की आड़ में वसूली के घूमने वाले भी फर्जी होते है ये बात उन पत्रकारों को समझ नहीं आता है। और अपनी कलम की ताकत का फायदा उठाकर लोगों से अवैध वसूली करने लग जाते है। फर्जी वेबपोर्टलों वर्तमान समय में तो बाढ़ से आ गई है इस बाढ़ में आम जनता बहते जा रहा है और ये फर्जी पत्रकार अपनी अवैध वसूली की लहरों में आम जनता को लूटते जा रहे है। राजघानी सहित पूरे प्रदेश में बड़ी संख्या में फर्जी पत्रकारों की फौज सक्रिय हैं, जो पत्रकारिता के नाम पर बट्टा लगा रहा है। पूरे प्रदेश में फर्जी पत्रकारों का गिरोह सक्रिय है, जो सरकारी अधिकारियों और कारोबारियों को धमकी, चमकी देकर अवैध वसूली में संलग्न है।

न्यूज़ पोर्टल्स को लोग मानते फर्जी : पत्रकारों को अपने विचारों व अभिव्यक्ति को व्यक्त करने के लिए एक नया क्रान्तिकारी मंच मिला। जिसे आज हम न्यूज पोर्टल के नाम से जानते है। दुनिया भर में न्यूज पोर्टल की शुरुआत बड़ी तेजी से हुई न्यूज पोर्टल्स की बढ़ती लोकप्रियता को देखते हुए कई पुराने अख़बार व टीवी चैनलों ने भी अपना-अपना वेब पोर्टल चैनल शुरू किया । लेकिन जहाँ एक ओर न्यूज पोर्टल से पत्रकारिता में एक नई क्रांति आ रही है वही दूसरी ओर कई बार ये खबर आए दिन चर्चा में रहती है कि न्यूज पोर्टल फर्जी है और न्यूज पोर्टल पर काम करने वाले संवाददाताओं, रिपोर्टर कैमरामैन तथाकथित फर्जी है और आम जनता भी उनको पत्रकार नहीं मानती।

पत्रकारिता की आड़ में अवैध गतिविधि : न्यूज़ पोर्टल की आड़ में अपराधी, छुटभैय्ये नेता, असामाजिक गतिविधि वाले लोग अपने काले कारोबार को चला रहे है। सरकार में बैठे लोगों के नज़दीकी और संबंधों का फायदा उठा रहे है। छुटभैय्ये नेता, अवैध कारोबारियों, यहां तक बिल्डर और इंडस्ट्रलिस्ट के लिए भी यह धंधा फायदे का साबित हो रहा है। वेबपोर्टल शुरू कर पत्रकार का टैग लगाकर आसानी से अधिकारियों को धौंस दिखाकर सरकारी विज्ञापन हासिल करना, उगाही करना आसान हो गया है। वही सोशल मीडिया पर मज़ाक बनाकर रख दिया है। जिधर देखो उधर वेब मीडिया की आवश्यकता है। जिले में रिपोर्टर, कैमरामैन तो मोबाइल से ही रिपोर्टिंग करना जानते है। पत्रकारिता को आज के समय में न्यूज़ वेबपोर्टलों द्वारा मज़ाक बनाया जा रहा है। कुछ गुंडे-दादा लोग भी अपने सगे-संबंधों के नाम से फर्जी वेबपोर्टल का डोमिन खरीद कर रजिस्ट्रेशन करवा लेते है। और दो चार रिपोर्टर और कैमरामैन रखकर खुद को पत्रकार घोषित करते है।

पत्रकारिता हो रही कलंकित : मीडिया लोकतंत्र का चौथा स्तंभ है। व्यवस्थागत कमियों को दूर करने की पहल के साथ समाज और लोकहित में शोषितों-वंचितों और पीडि़तों के लिए आवाज उठाना पत्रकारिता का धर्म है, लेकिन आज पत्रकारिता का स्वरूप बदल गया है। मीडिया भी पूरी तरह से व्यवसायिक हो गई है। लोग इसका इस्तेमाल व्यक्तिगत फायदे के लिए करने लगे हैं। पत्रकार भी अब पत्रकार नहीं रहा। स्वतंत्र पत्रकारिता करने वाले जहां अखबार, न्यूज पोर्टल की आड़ में आर्थिक लाभ के रास्ते तलाशते रहते हैं वहीं बड़े-बड़े बैनर्स, अखबार और न्यूज चैनल से संबद्ध पत्रकारों को संस्थानों ने पत्रकार की जगह समाचार संकलन और लाइजनर बना दिया है।

जिन्हें ये विशेषज्ञता हासिल नहीं है उनकी पत्रकारिता ही संकट में है। अब न्यूज पोर्टलों को माध्यम बनाकर कोई भी आदमी पत्रकारिता के आड़ में व्यवसाय के साथ ब्लेमेलिंग और धौंस दिखाकर वसूली जैसा कृत्य कर रहे हैं।

इंटरनेट बना फर्जी पत्रकारों का हथियार

इंटरनेट और डिजिटल के जमाने में न्यूज वेबपोर्टल सोशल मीडिया की ही तरह तेजी से प्रचलन में आ रहा है। लोग टीवी पर न्यूज चैनल देखने और अखबार पढऩे की जगह न्यूज पोर्टल और वेबसाइट के माध्यम से मोबाइल पर खबरों का अपडेट लेना पसंद कर रहे हैं। लेकिन इसका बुरा पहलू भी सामने आ रहा है कि कोई भी 10-12 हजार में वेबसाइट बनवा कर न्यूज पोर्टल संचालित करने लगा है। न्यूज पोर्टल चलाने के लिए कोई मापदंड और पात्रता नहीें होने के कारण न्यूज पोर्टलों की बाढ़ आ गई है। पत्रकार तो पत्रकार, कारोबारी, बिल्डर के साथ अपराधी और छुटभैय्ये नेता भी न्यूज पोर्टल की आड़ में अपना उल्लू सीधा करने लगे हैं।

फर्जी न्यूज पोर्टल का मतलब ही अवैध वसूली

न्यूज पोर्टल ब्लेकमेलिंग, वसूली यहां तक की लोगों की निजता और व्यक्तिगत जिंदगी में दखलदांजी का प्लेटफार्म बनते जा रहा है। सोशल मीडिया पर किसी के खिलाफ अपमान जनक पोस्ट करने पर संबंधित प्लेटफार्म के साथ पुलिस का साइबर सेल भी शिकायत दर्ज कर कार्रवाई करता हैं लेकिन न्यूज वेबपोर्टल पर ऐसे कंटेट और पोस्ट पर किसी तरह की कार्रवाई नहीं होती। शिकायत तक दर्ज नहीं की जाती है, इससे न्यूज पोर्टल संचालित करने वाले बेखौफ होकर किसी को भी अपमानित और बदनाम कर ब्लेकमेल करते हैं।

फर्जी पत्रकार बने कलमचोर दलाल

न्यूज पोर्टल्स के आने से वास्तविक पत्रकारों को ज्यादा फायदा नहीं हो पाया है। बल्कि न्यूज़ पोर्टल्स के चाटुकार पत्रकारों व भ्रष्ट सरकारी कर्मचारियों का अवैध व्यापार चलने लगा है। क्योंकि किसी विभाग की कमी, भ्रष्टाचार या किसी अवैध व्यापार की जानकारी किसी न्यूज़ पोर्टल के कलमचोर पत्रकार को हो जाती है तो वो खबर लिखने से पहले उस अधिकारी/व्यापारी से बात करके मोटी रकम वसूल लेते है। और अपने न्यूज़ वेब मीडिया में चलाई गलत खबर को भी गायब कर देते है। ऐसे न्यूज़ पोर्टल के पत्रकारों को कलमचोर पत्रकार के नाम से बुलाया जाए तो वो भी इनके लिए शर्मनाक ना हो !

मिड-डे अखबार जनता से रिश्ता में किसी खबर को छपवाने अथवा खबर को छपने से रूकवाने का अगर कोई व्यक्ति दावा करता है और इसके एवज में रकम वसूलता है तो इसकी तत्काल जानकारी अखबार प्रवंधन और पुलिस को देवें और प्रलोभन में आने से बचें। जनता से रिश्ता खबरों को लेकर कोई समझोता नहीं करता, हमारा टैग ही है-

जो दिखेगा, वो छपेगा...

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