छत्तीसगढ़

मजदूर दिवस पर संयुक्त ट्रेड यूनियन कौंसिल ने निकाली रैली

Nilmani Pal
2 May 2024 4:03 AM GMT
मजदूर दिवस पर संयुक्त ट्रेड यूनियन कौंसिल ने निकाली रैली
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रायपुर। मजदूर दिवस पर संयुक्त ट्रेड यूनियन कौंसिल ने रैली निकाली है। मजदूरों से संयुक्त ट्रेड यूनियन कौंसिल ने कहा, मई दिवस 2023 अत्यंत ही चुनौतीपूर्ण स्थितियों के मध्य आयोजित हो रहा है । समूचा विश्व आज भी वर्ष 2008 से जारी वैश्विक महामंदी की काली छाया से उबर नहीं पाई है बल्कि और गहरी हो रही है, और इन विस्फोटक परिस्थितियों के बावजूद वैश्विक पूंजीवाद इसके समाधान के बजाय अधिक से अधिक मुनाफा कमाने की मुहिम में जुटा हुआ है और यह आर्थिक असमानताओं को बढाने वाला ही साबित हो रहा है । वर्ल्ड इकानामिक आऊटलुक के अनुसार विश्व की आर्थिक वृद्धि 2021 के 6 प्रतिशत से घटकर 2022 में 3.2 प्रतिशत तथा 2023 में 2.7 प्रतिशत होगी। ब्लूमबर्ग ने अक्टूबर 2023 तक अमरीका में 100 फीसद मंदी की आशंका व्यक्त की है । वैश्विक मुद्रास्फीति की दर 2021 के 4.7 से बढ़कर 2022 में 8.8 प्रतिशत की संभावना व्यक्त की गई है । मुनाफे की हवस की पूर्ति के लिये पूंजीपति परस्त सरकारें मेहनतकशों के खिलाफ वर्गीय हमलों को लगातार तेज कर रहा है । सामान्य लोगों के जीवन में गरीबी, बेरोजगारी, असमानता और बदहाली में भारी वृद्धि हुई है क्योंकि ये सभी नवउदारवाद की नीतियों के आवश्यक तत्व हैं । इसीलिये आम लोगों की पीड़ाओं को दूर करने हेतु नवउदारवादी आर्थिक नीतियों के खिलाफ संघर्ष को मजबूत करने का प्रयास करना चाहिये । इन नीतियों के खिलाफ वैश्विक प्रतिरोध भी तेज हुआ है और ब्रिटेन में रेल कर्मचारियों ने इस वर्ष कई हड़तालें की है ग्रीस, फ्रांस सहित अनेक देशों में श्रमिक लंबे संघर्ष चला रहे हैं । रेल कर्मचारियों के साथ-साथ डाक कर्मचारी, नर्स, एम्बुलेंस कर्मचारी और अन्य या तो हड़ताल पर हैं या इस दिशा में योजना बना रहे हैं । जर्मनी में सार्वजनिक परिवहन कर्मचारी, बंदरगाह कर्मचारी, विमानन सुरक्षा कर्मचारी, निर्माण श्रमिक और रेल कर्मचारी या तो हड़ताल पर हैं या इस दिशा में आगे बढ रहे हैं ।

रूस और यूक्रेन युद्ध ने परिस्थितियों को और जटिल कर दिया है। वास्तव में यह युद्ध रूस तथा अमरीका नेतृत्ववाले नाटो के बीच हो रहा है और यूक्रेन इसका प्रेक्षा गृह बना हुआ है । रूस पर जारी गंभीर प्रतिबंधों ने विश्व में खाद्य तथा ऊर्जा की आपूर्ति के समक्ष गंभीर संकट खड़ा कर दिया है । तेल उत्पादक देशों ने 2 मिलियन बैरल के उत्पादन में कमी का फैसला लिया है जिससे वैश्विक स्तर पर कीमतों में वृद्धि होना तय है । अतः युद्ध को तत्काल रोकने द्विपक्षीय वार्ताओं के जरिये समाधान करने और अमरीकी नीति पर नाटो के विस्तार पर अंकुश के अलावा अन्य विकल्प नहीं है ।

पिछला वर्ष संघर्षों का वर्ष रहा है और देश के मेहतनकशों ने 28 एवं 29 मार्च को शानदार दो दिवसीय हड़ताल आयोजित कर संघर्ष की धार को और तीखा और व्यापक किया है। श्रमिक वर्ग के एक जागरूक हिस्सा होने के नाते हमें नवउदारवाद के खिलाफ बढते विरोध के स्वरों को मुखरित करना होगा और शोषण विहीन समाज स्थापना के लक्ष्य के प्रति समर्पित रहते हुये अपनी भूमिका को संयोजित करना होगा । अभी-अभी हमने पिछले वर्ष 2022 को 'आजादी का अमृत महोत्सव' के रूप में मनाया है और हमने | देखा कि आजादी की बात करने वालों को 'टुकडे-टुकडे गैंग' के रूप में पेश किया जाता रहा है और अमृत काल की बात करने वाले इसे जहर काल में तब्दील करने हर तरह के षडयंत्रों से देश की जनता को सांप्रदायिक आधार पर विभाजित करने हर प्रयास कर रहे हैं।

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