अंधविश्वास एवं सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ अभियान से जुड़ें- डॉ. दिनेश मिश्र
फाइल फोटो
जनता से रिश्ता वेबडेस्क | डायन या टोनही की धारणा हमारे देश में प्रमुख अंधविश्वासों में से एक है जिसमें किसी महिला को डायन (टोनही) घोषित कर दिया जाता है तथा उस पर जादू-टोना कर बीमारी फैलाने, गाँव में विपत्तियाँ लाने का आरोप लगाकर उसे लांछित किया जाता है। डायन (टोनही) के रूप में आरोपित इन महिलाओं को न केवल सार्वजनिक रूप से बेइज्जत किया जाता है, बल्कि उन्हें शारीरिक प्रताडऩा दी जाती है तथा समाज से बहिष्कृत कर दिया जाता है। ऐसे मामलों में शारीरिक प्रताडऩा इतनी अधिक होती है कि वे महिनों शारीरिक जख्मों का दर्द लिये कराहती रहती है तथा गाँव में उन्हें उपचार मिलना भी संभव नहीं होता। सार्वजनिक रूप से बेइज्जती व अपमान के जख्म तो आजीवन दुख देते हैं। इन स्थानों पर प्रभावशाली समूह का दबाव इतना अधिक रहता है कि प्रताडऩा की घटनाओं की जानकारी गाँव के बाहर नहीं जा पाती तथा प्रताडि़त महिला व उसका परिवार नारकीय जीवन जीता रहता है, ऐसे मामलों में कई बार महिलाएँ आत्महत्या तक कर लेती है।