छत्तीसगढ़

झीरम घाटी मामला: हाई कोर्ट में आज NIA की तरफ से बहस, वकील ने कहा- हम राजनीतिक षड्यंत्र की जांच के लिए भी तैयार हैं

jantaserishta.com
15 Sep 2021 1:25 PM GMT
झीरम घाटी मामला: हाई कोर्ट में आज NIA की तरफ से बहस, वकील ने कहा- हम राजनीतिक षड्यंत्र की जांच के लिए भी तैयार हैं
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बिलासपुर। बहुचर्चित झीरम घाटी हत्याकांड मामले में हाई कोर्ट में आज NIA की तरफ से बहस पूरी हो गई है. आज बहस के दौरान दिल्ली से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए NIA के वकील विक्रमजीत बैनर्जी जुड़े. उन्होंने हाईकोर्ट के सामने कहा कि हम राजनीतिक षड्यंत्र के तहत भी केस की जांच करने को तैयार हैं. ऐसे में राज्य सरकार को मामला हैंडओवर करने की कोई जरूरत दिखाई नहीं पड़ती है. अब मामले में गुरुवार को राज्य सरकार और जितेंद्र मुदलियार के वकील अपना पक्ष अदालत के सामने रखेंगे.

झीरम कांड में दिवंगत कांग्रेस नेता और पूर्व विधायक उदय मुदलियार के बेटे जितेंद्र मुदलियार ने जून 2020 में दरभा थाने में FIR दर्ज कराई थी. जिसमें NIA पर ठीक से जांच नहीं करने का आरोप लगाया था. उनकी रिपोर्ट पर पुलिस ने धारा 302 और 120 के तहत आपराधिक प्रकरण दर्ज किया था. जितेंद्र ने अपने FIR में कहा था कि NIA ने इस घटना में राजनीतिक षड्यंत्र की जांच ही नहीं की है. उन्होंने झीरम मामले की जांच राज्य सरकार के अधीन जांच एजेंसी को सौंपने की मांग उठाई.
दरभा थाने में दर्ज इस रिपोर्ट को चुनौती देते हुए NIA ने विशेष अदालत में याचिका दायर की थी. जिसे खारिज कर दिया गया था. जिसके बाद इस फैसले के खिलाफ NIA ने हाईकोर्ट में आपराधिक अपील प्रस्तुत की है. इसमें कहा गया है कि NIA केंद्रीय स्तर की जांच एजेंसी है. जिसकी जांच हो चुकी है. ऐसे में राज्य शासन को अधिकार नहीं है कि वो फिर से उसी प्रकरण में अपराध दर्ज कराए.
इस FIR मामले पर सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने पिछले दिनों पुलिस द्वारा आपराधिक प्रकरण की जांच पर रोक लगा दी है. इधर इस मामले में जितेंद्र मुदलियार ने हाईकोर्ट में एक हस्तक्षेप याचिका भी दायर की है. इसमें बताया गया है कि झीरम हमला सामान्य नक्सली घटना नहीं है, बल्कि इसे राजनीतिक षड्यंत्र के तहत अंजाम दिया गया है.
बता दें कि 25 मई 2013 को विधानसभा चुनाव से ठीक पहले झीरम घाटी में कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा पर हमला किया गया था. इस हमले में तत्कालीन PCC चीफ नंदकुमार पटेल, उनके बेटे दिनेश पटेल, पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल, महेंद्र कर्मा सहित 25 से अधिक नेताओं और अन्य लोगों की हत्या की गई थी.
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