छत्तीसगढ़

जय हो छत्तीसगढ़ महतारी, प्रदेश की ढाई करोड़ जनता की जिंदगी संवारी...

Nilmani Pal
11 March 2022 5:26 AM GMT
जय हो छत्तीसगढ़ महतारी, प्रदेश की ढाई करोड़ जनता की जिंदगी संवारी...
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< ज़ाकिर घुरसेना-कैलाश यादव

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने जो बजट पेश की उसे तैयार करने में प्रदेश की महिला शक्ति का प्रभाव साफ दिखाई दे रहा है। संतुलित और समन्वित समावेशी बजट जिसकी पूरा देश में सराहना हो रही है। उसके पीछे महिला शक्ति का बहुत बड़ा योगदान है। इस बजट में वित्तसचिव अलरमेल मंगई डी की अगुवाई में दिस टीम ने तैयार किया उसमें विशेष सचिव शीतल शारस्वत वर्मा, बजट संचालक शारदा वर्मा, उपसचिव प्रेमा गुलाब एक्का शामिल थी। बजट के कोआर्डिनेशन का काम भी एक महिला अधिकारी सौम्या चौरसिया ने ही संभाला। सौम्या चौरसिया अभी मुख्यमंत्री सचिवालय में उप सचिव की जिम्मेदारी निभा रही है। जनता में खुसुर-फुसुर है कि जिस प्रदेश में महिला शक्ति बजट बनाएगी, वह सफलतम तो होगा ही, साथ ही जनमानस की भलाई और कल्याणकारी साबित होगा। जय हो, जय हो छत्तीसगढ़ महतारी, प्रदेश की ढाई करोड़ जनता की जिंदगी संवारी।

ये कैसा महिला दिवस और महिला सम्मान

8 मार्च को विश्व महिला दिवस मनाया गया। पूरे विश्व को चाहिए था कि कम से कम एक दिन महिला अपराध शून्य हो। तब जाकर महिला दिवस सार्थक होता। एक तरफ महिलाओं को सम्मानित किया गया। दूसरी तरफ महिलाएं अपने हक के लिए धरना-प्रदर्शन से जूझ रही है। कहा गया है कि मां के कदमों के नीचे जन्नत है, तो महिलाओं का सम्मान जन्म-जन्मान्तर होना ही चाहिए इसके लिए दिखावा नहीं होना चाहिए । हाल ही में राजधानी में महिला दिवस के एक दिन पहले से और एक दिन बाद तक महिला दिवस की धूम रही। उत्कृष्ट कार्य करने वाली महिलाओं को राज्य के साथ केंद्र सरकार ने सम्मानित किया। वहीं नवा रायपुर की किसान महिलाएं को अपने हक के लिए आंदोलन करने सड? पर उतरना पड़ा। कहते है कि जिस काम में महिलाओं का योगदान हो तो वह काम सौ फीसदी सफल होता है। यानी पुरूषों की बुलंदियों और सफलता का श्रेय महिलाओं को ही जाता है। बिना महिला के सहयोग को कोई भी पुरुष बुलंदियों को नहीं छू सकता। जनता में खुसुर-फुसुर है कि ये कैसा महिला दिवस अब तक तो लैंगिक असमानता को लेकर महिलाएं अपमानित होती थी, अब अमीरी और गरीबी की दंश भी झेलना पड़ रहा है। यदि उत्कृष्ट कार्य के लिए कार्य करने वाली महिलाओं का सम्मान करना ही था तो स्वच्छता दीदियों, आंगनबाडिय़ों की मितानिनों और नर्सेस के साथ महिला शिक्षिकाओं का सम्मान करना था, जिन्होंने नियमित वेतन नहीं मिलने के बाद भी अभावों में रहकर अपनी सेवाएं जारी रखा और समाज को स्वस्थ रखते हुए शिक्षा की अविरल गंगा बहाई। सम्मान मिलना था तो नवा रायपुर की किसानों की मांग को लेकर वहां की महिलाओं की मुआवजे की मांग पर साथ दे रही है उनको सम्मानित करना था। ये तो हाथी के दांत की तरह सम्मान हो रहा है। एक तरफ धनाढ्य वर्ग की उद्योगपति महिलाएं और दूसरी तरफ अभावों में लड़ती, संघर्ष करती ग्रामीण महिलाएं, जिसको अपने हक मांगने के लिए आंदोलन करना पड़ रहा है, जिसे महिला दिवस मनाने की भी जानकारी नहीं है। वहीं दूसरी तरफ एक वर्ग विशेष की महिलाएं जो एक माह पहले से सम्मानित होने के लिए ढोल पीट रही थी। महिलाएं तो सदैव घर, समाज, प्रदेश,देश और विदेश में सम्मानीय है। इस पर राजनीति नहीं करनी चाहिए इस दिवस को हर घर में मनाना चाहिए जिससे कर्मयोगिनियों को वह सम्मान मिले जिसकी वो हकदार है।

जीपी ने पुलिस महकमें की बढ़ाई परेशानी

आय से अधिक संपत्ति मामले में निलंबित आईपीएस जीपी सिंह ने पुलिस विभाग की पुलिस की विश्वसनीयता पर बट्टा लगा दिया है। विभाग के लोग बताते है कि जीपी सिंह की नौकरी लगते ही उनके परिवार की आय 2000 के बाद अचानक बढ़ता गया। उससे पहले एक वक्त ऐसा भी था कि उनके पिता को बेटी की शादी के लिए लोन लेना पड़ा था। लेकिन 1994 में नौकरी लगते ही उनके परिवार की कमाई बढ़ गई। जीपी सिंह की कार्रवाई के बाद पुलिस विभाग की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े होने लगे है। जो भी आईपीएस अधिकारी है और रहे है वो भी इसी तरह के प्रशासन-सरकार के लिए कम अपने लिए ज्यादा काम करते रहे होंगे। जिसे जीपी सिंह ने जीवन में अनुसरण करते हुए चरितार्थ किया। निलंबित आईपीएस की प्रापर्टी और उनकी कमाई के स्रोत की जांच एंटी करप्शन ब्यूरो की टीम शुरू जब से जीपी सिंह ने नौकरी शुरू की थी। ईओडब्ल्यू ने पिछलेे साल 1 जुलाई को आय से अधिक संपत्ति की शिकायत के बाद जीपी सिंह की संपत्ति जांच करने छापा मारा, छापे के पहले दिन जीपी ने बंगले से सीसीटीवी का डीवीआर गायब करवा दिया। पुलिस की टीम छापेमारी की तो जीपी ने डायरी के कई पन्नों को फाड़कर बंगले के पीछे फेंक दिया। जीपी ने जो कमाई की उससे विभाग विभाग शंका-कुशंका के हिंडोले में झूलने लगा है। जनता में खुसुर-फुसुर है कि ये तो एक पुलिस वाले अफसर है, उनसे बड़े वाले और छोटे वालों को पास कितनी कमाई के स्रोत होंगे। ऐसा लगता है कि सरकारी नौकरी करने के पीछे देश सेवा की कोई भावना नहीं सिर्फ स्व सेवा की काम करती रहती है। जनता तो पगला गई है कि इतनी संपत्ति के मालिक कैसे बन गए जीपी सिंह, इतनी जल्दी तो व्यापारी भी वन-टू का फोर कर नहीं कमा सकते।

पीएम के आह्वान को चरितार्थ कर रहे कारोबारी

जैसे-तैसे कोरोना महामारी का संक्रमण कम होते दिखाई दे रहा है, लोग थोड़ा बहुत राहत महसूस करने वाले थे कि देश में व्यापारियों ने पीएम के कोरोनाकाल में किए गए आह्वान आपदा को अवसर बनाओ को चरितार्थ करते हुए हवाई जहाज से भी तेज रफ्तार से महंगाई बढ़ा दी है। दो साल तक कोरोना की त्रासदी झेल रहे देशवासियों को राहत मिले उसके पहले ही रूस-यूक्रेन युद्ध ने व्यापारियों को आपदा को अवसर बनाने का मौका दे दिया। व्यापारियों ने महंगाई का ऐसा जाल बिछाया कि आमजनता टस से मस नहीं हो पा रही है। मजबूरी में रोजमर्रा के जरूरतों के सामानों की खरीदारी करने मजबूर हो गई इस पर न तो केंद्र सरकार और न ही राज्य सरकार अंकुश लगा पा रही है। खाने-पीने के किराना सामानों के लिए जूझ रहे देशवासियों के लिए सोना और लोहा तो आम आदमी की पहुंच से बहुत दूर निकल गई है। जनता में खुसुर-फुसुर है कि किराना, लोहा, सोना, कोयला के कारोबारियों ने आपदा को ऐसा अवसर बनाया कि रोटी-कपड़ा और मकान से निम्न और मध्यमवर्गीय परिवार मोहजात होने के कगार पर खड़े हो गया है। गुढि?ारी के एक व्यापारी ने कहा कि यूक्रेन और रूस से सेे खाने का तेल गुजरात आता है वहां से रिफाइन होकर पूरे देश में सप्लाई होता है अभी युद्ध के टचलते सप्लाई कम होने से रेट बढऩे की बात कही जा रही है।

कांग्रेस नहीं होती तो भाजपा भी नहीं होती

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल अपनी वाकपटुता के लिए विख्यात है, विधानसभा सत्र के दौरान भाजपा के नेता प्रतिपक्ष के आरोपों को सिरे से नकारते हुए करारा जवाब दिया कि भाजपा चारों खाने चित हो गई। सीएम भूपेश ने विपक्ष को घुट्टी पिलाई कि अगर देश में और प्रदेश में कांग्रेस नहीं होती तो क्या होता? उन्होंने कहा कि कांग्रेस नहीं होती तो आजादी नहीं मिलती और न ही संविधान ही मिलता। यहीं नहीं कांग्रेस नहीं होती तो किसानों की कर्जमाफी नहीं होती, और न ही किसानों तो प्रतिएकड़ 9 हजार रुपए प्रोत्साहन राशि मिलती। जनता में खुसुर-फुसुर है कि भाजपा जिस कानून व्यवस्था के बलबूते दबंगई से सरकार पर आरोप लगा रही है वह कानून -व्यवस्था भी कांग्रेस की ही देन है। जिसमें संवैधानिक रूप से हर नागरिक को बोलने की आजादी मिली है। मुख्यमंत्री का जवाब एकदम सटीक है, यदि दश और प्रदेश में कांग्रेस नहीं होती भाजपा का कही अस्तित्व ही नहीं होता।

मसीहा के मिथक को तोड़कर भूपेश बने पेंशन और न्याय पुरूष

देश में चल रही राजनीतिक परंपरा कि कोई भी सरकार जब लोगों के लिए कुछ बड़ा पैसला लेकर लाभांवित करती है तो उस सरकार के मुखिया को गरीबों की मसीहा और न जाने क्या उपाधियां दी जाती है, लेकिन छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सरकारी कर्मचारियों की बहुप्रतीक्षित मांग पुरानी पेंशन योजना लागू करते ही रातोरात कर्मचारियों के नजरों में पेंशन पुरूष और न्याय पुरूष बन गए है। मंत्रालय से लेकर प्रदेश के सरकारी कार्यालयों में पेंशन पुरूष और न्याय पुरूष मान कर मुख्यमंत्री भूपेश का वंदन-अभिनंदन करते नहीं थक रहे है। जनता में खुसुर-फुसुर है कि छत्तीसगढ़ में कका है तो कोई चिंता नहीं है। कका ने सरकारी कर्मचारियों की बूढ़ापे की लाठी को इतना मजबूत कर दिया है कि बरसो बरस तक अब कांग्रेस सरकार उसी मजबूत लाठी के बलबूते टिकी रहेगी।

फिल्म कुछ-कुछ होता है के तर्ज पर सभी को कुछ-कुछ

छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने वित्तमंत्री की हैसियत से चौथी बार बजट पेश किया। इस ऐतिहासिक बजट में पूरे प्रदेश के ढाई करोड़ जनता को कुछ न कुछ देकर इतिहास रच दिया है। कोई भी ऐसा वर्ग नहीं छूटा है जिसको कुछ न मिला हो। सबसे ज्यादा फायदे में विधायक रहे जो विधायक निधि 2 करोड़ थी वह बढ़कर 4 करोड़ हो गई है। जनता में खुसुर-फुसुर है कि प्रदेश के हर वर्ग को फिल्म कुछ-कुछ होता है के तर्ज पर कुछ न कुछ मिला है जिसके चलते हर कोई गुनगुना रहा है कुछ-कुछ होता है...।

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