जगदलपुर : रैली कोसाफल से धागाकरण का प्रशिक्षण हुआ प्रारंभ
बस्तर। बस्तर के साल वृक्षों में पाई जाने वाली रैली कोसा के धागाकरण का प्रशिक्षण धरमपुरा में प्रारंभ हो गया है। रेशम विभाग के उप संचालक श्री जेपी बरिहा ने बताया कि बस्तर संभाग में उत्पादित रैली कोसाफलों का स्थानीय स्तर पर रेशम मिशन के अन्तर्गत धागाकरण कर स्वरोजगार के अवसर का सृजन किया जा रहा है। इससे इस प्राकृतिक उत्पाद का मूल्य संवर्धन के साथ ही स्थानीय ग्रामीण रहवासियों को बड़े पैमाने में रोजगार का मौका मिलेगा एवं पहले जो कोसा प्रदेश से बाहर जाता था उसका यहीं पर धागाकरण किया जाएगा। पहले चरण में संभाग में कुल 780 महिला हितग्राहियों का चयन कर मुख्यमंत्री कौशल विकास योजना अन्तर्गत प्रत्येक हितगग्राहियों को 200 घण्टे का प्रशिक्षण पंजीकृत प्रशिक्षणदाता द्वारा दिया जाएगा। धागााकरण कार्य के लिए बस्तर जिले में 15 गांवों को पांच क्लस्टर में बांटकर वहां की 325 महिला हितग्राहियों प्रशिक्षण दिया जावेगा। इस कड़ी में बस्तर जिले में धरमपुरा ,चपका, छापरभानपुरी एवं राजनगर क्लस्टल में पंजीयन की प्रक्रिया पूरी कर ली गई है।वहीं धरमपुरा में 19 महिला हितग्राहियों के प्रथम बैच का प्रशिक्षण कार्य 26 मार्च से प्रारंभ कर दिया गया है। प्रशिक्षण के बाद सभी हितग्राहियों को धागाकरण मशीन उपलब्ध कराया जाएगा, जिससे वे धागाकरण कार्य कर स्वयं का रोजगार स्थापित कर सकें। इन चयनित एवं प्रशिक्षित महिला हितग्राहियों को 15 से 20 सदस्यों के स्व सहायता समूह के रूप में गठित कर उन्हें रैली कोसा के रूप में कच्चा माल की उपलब्धता एवं उत्पादित धागे के विक्रय से संबंधित व्यवस्था के संबंध में विस्तृत जानकारी कौशल प्रशिक्षण के दौरान दिया जाएगा। एक अनुमान के आधार पर वर्तमान में बस्तर संभाग में 1.5 से 02 करोड़ नग रैली कोसाफलों के उत्पादन का अनुमान है। रैली कोसाफलों के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए साल वनों में रैली कैम्पों का आयोजन भी रेशम विभाग द्वारा प्रति वर्ष माह अगस्त-सितम्बर में किया जाता है। आने वाले समय में जिले एवं संभाग में और अधिक महिला हितग्राहियों को रैली कोसा धागाकरण की योजना से लाभान्वित किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि जगदलपुर ग्राम नानगुर में लगने वाले साप्ताहिक बाजार में सबसे अधिक रैली कोसाफल की आवक होती है इसी को ध्यान में रखते हुए ग्राम नानगुर में रैली कोसाफल के संग्रहण एवं प्रसंस्करण हेतु रेशम विभाग द्वारा 05 एकड़ शासकीय भूमि की मांग की गई है।
रैली कोसा बस्तर संभाग के साल बाहुल्य वनों में पाया जाने वाला कोसाफल की एक विशेष प्रजाति है। जो अपने प्राकृतिक पर्यावरण में स्वयं ही विकसित होती है। यह कोसाफल केवल बस्तर के साल वनों की एक विशेषता है जो अन्यत्र किसी भी इकोसिस्टम में नही पाया जाता है और न ही स्थापित किया जा सकता है। इस प्रजाति को देश एवं प्रदेश के अन्यत्र साल वनों में अब तक नए क्षेत्रों में स्थापित करने के प्रयास विफल रहे हैं। इस संदर्भ में यह एक विशेष प्रजाति बस्तर संभाग के साल वनों का स्थानिक इको रेस है। बस्तर संभाग के ग्रामीण क्षेत्रों में अन्य लघुवनोपज के समान रैली कोसा संग्रहण ग्रामीणों के लिए सहायक एवं अतिरिक्त आय का एक प्रमुख एवं परंपरागत साधन है।
अब तक स्थानीय ग्रामीण साल वनों से रैली कोसाफल का संग्रहण कर आसपास के हाट बाजारों में खुले विक्रय पद्धति द्वारा विक्रय करते थे, किन्तु इस उत्पाद को वर्ष 2021-22 से लघु वनोपज की श्रेणी में सम्मिलित किए जाने के कारण शासन द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा के साथ ही अब समर्थन मूल्य पर खरीदी की जा रही है।