ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं की सामाजिक-आर्थिक दशा सुधारने और उन्हें तकनीकी रूप से अधिक सक्षम तथा कुशल बनाने के लिये अनेक कार्यक्रम और योजनाएँ चलाई जा रही है। छत्तीसगढ़ प्रदेष की ग्रामीण अंचल की महिलाएं स्व -सहायता समूह से जुड़कर सामाजिक एवं आर्थिक उत्थान की मिसाल कायम कर रही है। कुछ ऐसी ही कहानी है बस्तर जिले के जगदलपुर मुख्यालय से लगभग 15 किलोमीटर दूरी पर स्थित ग्राम पंचायत ढोढरेपाल के गुलाब महिला स्व-सहायता समूह के महिलाओं ने ''बिहान'' समूह से जुड़कर शासन की महत्वाकांक्षी योजना नरूवा, घुरवा, गरूवा बाड़ी के अन्तर्गत ग्राम के गोठान में लगभग एक एकड़ भूमि पर बाड़ी विकास का कार्य किया गया। बाड़ी निर्माण के लिए एक एकड़ भूमि पर गौठान प्रबंधन समिति द्वारा फेंसिंग करवाया गया। गौठान पर उपलब्ध भूमि एवं पानी की व्यवस्था ने समूह की महिलाओं का मनोबल बढ़ाया महिलाओं ने उक्त भूमि का उपयोग बेहतर से बेहतर करने की प्रयास कर रही है।
राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिषन एंव उद्यानिकी विभाग के तकनीकी सहयोग से महिलाओं ने भूमि पर बैंगन, भिंडी, पपीता एवं गेंदा फूल के पौधों की रोपाई की है। उद्यानिकी विभाग के निरीक्षण में महिलाओं ने बाड़ी को सही आकार प्रदान किया और इस बाड़ी से वे भिंडी, बैंगन सब्जी के फसल लेने लगी। उन्होंने सप्ताह में लगभग-1000 से 1200 रूपये सब्जी बेची और लगभग इस बाड़ी से 15000 से 20000 रूपये तक आय सृजित किया। इस बाड़ी को उन्होंने और विकसित करने के लिए उद्यानिकी विभाग के तकनीकी मदद से ड्रीप सिंचाई हेतु मांग प्रेषित किया। वे अब द्वितीय फसल और भी उन्नत अधिक उत्पादन के इच्छुक है। इस हेतु द्वितीय फसल अब ड्रीप सिंचाई एवं मल्चिंग विधि से करने की योजना बनाई गई है। इस हेतु अभी भूमि सुधार एवं भूमि तैयार कर लिया गया है।
इसी प्रकार विकासखंड जगदलपुर के तितिरगांव गौठान में माँ लक्ष्मी स्व-सहायता समूह द्वारा 0.20 हेक्टेयर गेंदा पौधा का रोपन कर 100 किलोग्राम फूल का उत्पादन कर 80 रूपए की किलो की दर से 8 हजार से अधिक तथा 0.05 हेक्टेयर में शकरकंद का रोपन कर 200 किलोग्राम का उत्पादन कर 4 हजार से अधिक की राशि में बिक्री किए हैं। समूह को गौठान क्षेत्र में मिले रोजगार के अवसर ने समूह की महिलाओं का आय का साधन मिला है। इसके लिए समूह के सदस्यों द्वारा शासन-प्रशासन का आभार व्यक्त कर रहे हैं।