छत्तीसगढ़

9 करोड़ कैश आईटी अफसरों ने किया जब्त, टैक्स चोरी को लेकर रायपुर में भी पड़ी थी रेड

Nilmani Pal
1 Feb 2025 3:51 AM GMT
9 करोड़ कैश आईटी अफसरों ने किया जब्त, टैक्स चोरी को लेकर रायपुर में भी पड़ी थी रेड
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रायपुर। आयकर अन्वेषण विंग की टीमें राइस मिलिंग, आटोमोबाइल ग्रुप सत्यम बालाजी के ठिकानों पर तीसरे दिन भी डटी हुईं हैं। अब तक की पड़ताल में आयकर टीम ने उम्मीद से अधिक की सफलता का दावा किया है। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि अब तक की कर चोरी का आंकलन करोड़ों में तीन अंकों तक जा पहुंचा है। इन समूहों से अब तक 9 करोड़ नगद और 1.50करोड़ की ज्वेलरी सीज कर ली गई है। इसे मध्य भारत की सबसे बड़ी कर चोरी का मामला बताया गया है । इन्ही सूत्रों ने कहा कि आधा दर्जन से अधिक ठिकानों से टीमें लौट आई हैं।‌ छापे मार दल में शामिल सूत्रों ने बताया कि यह समूह गैर-बासमती चावल का प्रमुख निर्यातक है। मुख्य फर्म सत्यम बालाजी समूह का पक्के में टर्न ओवर दो हजार करोड़ का और इसकी छत्रछाया वाली साईं हनुमंत इंडस्ट्रीज प्राइवेट लिमिटेड का पक्के में कारोबार एक हजार करोड़ का है। और उससे जुड़े फर्मों ने सैकड़ों करोड़ (तीन अंकों में ) की बड़ी कर चोरी का खुलासा होने की जानकारी दी है।

छद्म कंपनियां बनाकर और काल्पनिक लेनदेन का एक जटिल नेटवर्क बना रखा था। इनके जरिए सारा लेनदेन कच्चे में नगद किया करते रहे। कुछ वर्ष पूर्व पड़े छापे के बाद भी इस ग्रुप ने व्यवस्थित कारोबार के बजाए बड़े पैमाने पर छद्म कारोबार करने से परहेज नहीं किया। और कई छद्म कंपनी, फर्म और कमीशन एजेंट के जरिए कच्चे में लेनदेन किया। इसी दौरान सत्यम बालाजी ग्रुप के डायरेक्टरों ने दुबई, दक्षिण अफ्रीका तक चावल का निर्यात किया। पहले छापे के बाद से आयकर विभाग नजर रखे हुए थे । बीते छह महीने से तो यह निगरानी और सघन कर दी गई थी । इसमें वित्तीय खुफिया इकाई (एफआईयू) ने यह काम किया। इस विंग की पुख्ता सूचना के बाद अन्वेषण विंग के दो सौ अफसरों की टीम ने बुधवार को रायपुर, दुर्ग, भिलाई, राजनांदगांव और नवापारा राजिम सहित, गोंदिया) और आंध्र प्रदेश काकीनाडा में 25 से अधिक आफिस ,घरों को घेरा । पहले दो दिन की जांच में अधिकारियों ने 9 करोड़ नकद जब्त किया।

आयकर सूत्रों ने बताया कि सत्यम बालाजी और साईं हनुमंत इंडस्ट्रीज से जुड़े गोंदिया की सहयोगी और कागजी कंपनियों ने नकली चालान के साथ करोड़ों का लेनदेन किया । इन फर्मों ने दोनों समूहों को खर्च बढ़ाने, वास्तविक कारोबार को छिपाने और भारी कर देनदारियों से बचने में मदद की। समूह का अंतरराष्ट्रीय व्यापार कई देशों में फैला हुआ है, और इसके वित्तीय लेन-देन अब विदेशों में भी हो रहे हैं।


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