रायपुर। पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और वरिष्ठ विधायक धनेन्द्र साहू ने किसानों, पशुपालको और मजदूरों से 2रू. किलों में गोबर खरीदने की छत्तीसगढ़ सरकार की अद्भुत सफल एवं जनहितकारी योजना को लेकर भ्रम फैलाने और गुमराह करने का कड़ा प्रतिवाद करते हुये कहा है कि दरअसल रमन सिंह को खेती किसानी, गांव, गरीबों की समझ ही नहीं है। वे गोबर और वर्मी कंपोस्ट में अंतर ही नहीं समझ पा रहे हैं। छत्तीसगढ़ में देश में सबसे अच्छा वर्मी कम्पोस्ट किसानों को दिया जा रहा है। वर्मी कम्पोस्ट के बारे में पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह का बयान गौपालक गोठान समूह में कार्यरत किसान मजदूर और महिला स्व-सहायता समूहों की मेहनत का अपमान है। रमन सिंह को न कभी गांव, गरीबों, मजदूरों, किसानो, गौपालको की चिंता रही है, और न ही वे छत्तीसगढ़ की संस्कृति, छत्तीसगढ़ की परंपरा, रीति-रिवाज और खेती किसानी को समझते है। रमन सिंह को तो यह भी नहीं पता कि गोबर से वर्मी कंपोस्ट बनता कैसे हैं? वर्मी कम्पोस्ट बनाने की प्रक्रिया क्या है? गोबर से वर्मी कम्पोस्ट बनने में क्या-क्या बदलाव होते हैं और यह वर्मी कंपोस्ट खेतों में जाकर क्या काम करता है? अगर रमन सिंह जी में यह समझ होती तो वे वर्मी कम्पोस्ट के खिलाफ ऐसा गलत एवं तथ्यहीन बयान जारी नहीं करते।
पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और वरिष्ठ विधायक धनेन्द्र साहू ने कहा है कि यदि छत्तीसगढ़ ऑर्गेनिक खेती की ओर बढ़ रहा है तो भाजपा और रमन सिंह को तकलीफ क्यों हो रही है? छत्तीसगढ़ में किसानों को बाध्य करने का काम रमन सिंह 15 साल के शासनकाल के समाप्त होते ही बंद हो चुका है। बल्कि वर्मी कंपोस्ट के लाभ को प्रचारित कर ऑर्गेनिक खेती के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। बाध्यता तो रमन सिंह के 15 साल के समय में थी जब कमीशनखोरी के चलते कभी नीम सोना की तो कभी नीम रत्न में जैसे उत्पादों के लिये बिना यूरिया और डीएपी किसानों को नहीं दिया जाता था। आज भूपेश बघेल सरकार में किसानों पर कोई दबाव नहीं। दरअसल पूंजीपतियों के समर्थक रमन सिंह और भाजपा गांव, गरीब, किसान और गौपालको की समृद्धि को बर्दाश्त नहीं कर पा रहे है।
भाजपा का मूल चरित्र ही किसान विरोधी है, गरीब विरोधी है।
गोठान समिति के द्वारा दो रुपए किलो गोबर का भुगतान होता है और गोबर से वर्मी कम्पोस्ट गौठान समिति के सदस्यों के साथ मिलकर महिलाओं की स्व-सहायता समूह के 45 दिन के मेहनत भरी प्रक्रिया के बाद वर्मी कंपोस्ट खाद बनती है। प्रक्रिया के उपरांत 45 दिन बाद तैयार वर्मी कंपोस्ट को फिर पैकिंग करके खेतों तक पहुंचाने की व्यवस्था गोठान समूह और स्व-सहायता समूह के द्वारा की जाती है। उसके बाद वर्मी कम्पोस्ट का 10 रूपये किलो मिलता है। रमन सिंह के 15 साल के शासनकाल में भ्रष्टाचार और कमीशनखोरी के चलते हॉर्टिकल्चर और फॉरेस्ट विभाग में सरकारी उपयोग के लिए वर्मी कंपोस्ट बाहरी एजेंसियो से खरीदा जाता रहा। दलालों और बिचौलियों के माध्यम से बाहर की कंपनियों से खरीदी होती थी। स्थानीय मजदूर, किसान और गरीबों को न काम मिलता था न ही कोई लाभ। भाजपा के 15 साल के कुशासन में केवल कमीशन खोरी और घोटाले के षड्यंत्र ही रचे जाते रहे।
रमन सरकार में 2014-15-16 में 9.87 रू. किलो में खरीदी गयी थी और उसमें 50 प्रतिशत से अधिक मिट्टी के होने की गंभीर शिकायतें मिली थी। घटिया अमानक वर्मी कम्पोस्ट किसानों को देने की यह शिकायतें सच भी पाई गई थी और कई सप्लायर इसी कारण से रमन सिंह के राज में बैन भी किये गये थे।
पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और वरिष्ठ विधायक धनेन्द्र साहू ने कहा है किदरअसल किसान विरोधी तो भारतीय जनता पार्टी है। पहले 270 रू. प्रति क्विंटल बोनस का वादा किया था, 5 साल नहीं दिये। किसानों को निःशुल्क विद्युत कनेक्शन देने का वादा करके नहीं दिया। बाद में 5 साल 300 रू. बोनस देने वादा किया नहीं निभाये। 2013 में 2100 रू. समर्थन मूल्य और 300 रू. बोनस, 2400 रू. का वादा करके दिये केवल 1470 रू प्रतिक्विंटल, 930 रू. प्रतिक्विंटल किसानों के हक पर डकैती डालने वाले रमन सिंह किस मुंह से किसान हितैषी होने का ढोंग कर रहे है। देश के किसान विगत 7 महीनों से दिल्ली की सीमा पर मोदी सरकार के किसान विरोधी कानूनों के खिलाफ सड़क पर है। कृषि और ग्रामीण अर्थव्यवस्था चंद पूंजीपतियों को सौपने की यह साजिश भाजपा के किसान विरोधी चरित्र को प्रमाणित करती है।