छत्तीसगढ़

मुझे समझ पाना इतना भी आसान नहीं, गहरा समुंदर हूं , खुला आसमान महीं

Nilmani Pal
25 Oct 2024 5:12 AM GMT
मुझे समझ पाना इतना भी आसान नहीं, गहरा समुंदर हूं , खुला आसमान महीं
x

ज़ाकिर घुरसेना/ कैलाश यादव

सांसद बृजमोहन ने कहा कि रायपुर दक्षिण की जनता कांग्रेस को 35 सालों से सबक सिखाती आ रही है और इस बार भी सबक सिखाएगी। उन्होंने कहा कि सुनील सोनी ने भारतीय जनता पार्टी के अधिकृत प्रत्याशी के रूप में नामांकन दाखिल किया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस को स्थानीय प्रत्याशी नहीं मिला इसलिए एक ऐसे युवा को प्रत्याशी बनाया, जिसे रायपुर शहर के एक प्रतिशत जनता भी नहीं जानती है ना ही पहचानती है। उनका दक्षिण विधानसभा के विकास में कोई योगदान भी नहीं है। जनता में खुसुर-फुसुर है कि जिसका रायपुर दक्षिण के विकास में योगदान था उसे तो पार्टी ने दिल्ली भेज दिय़ा और दिल्ली वाले को दक्षिण में भेज दिया। 35 साल तक एकछत्र कांग्रेस को पटकनी देने वाले को छोडक़र सुनील सोनी पर पार्टी ने क्यों विश्वास जताया आज तक दक्षिण वालों को समझ में नहीं आ रहा है। भले ही बृजमोहन अग्रवाल कह रहे है एक नहीं दो-दो विधायक होंगे दक्षिण में तो क्या यहां भी डबल इजन का फार्मूला लागू होगा।सुनील सोनी बृजमोहन के मजबूत कंधे पर बैठे हुए हैं, और आकाश शर्मा भूपेश के कंधे पर बैठे हैं। सुनील सोनी अपने पुराने अनुभव के आधार पर दम भर रहे हैं वहीं आकाश शर्मा नया और य़ुवा तुर्क होने की बात कर रहे हैं, दोनों एक दूसरे को कम नहीं समझ रहे हैं। इसी बात पर एक शेर याद आ रहा है, मुझे समझ पाना इतना भी आसान नहीं, गहरा समुंदर हूं , खुला आसमान नहीं।

हम किसानों की ओर से साहब को साधुवाद ...

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कहा कि विकसित भारत बनाने में किसानों का महत्वपूर्ण योगदान है। खेती-किसानी को आधुनिक बनाने के साथ ही किसानों की आमदनी बढ़ाना छत्तीसगढ़ सरकार की प्राथमिकता है। उन्होंने किसानों से धान की खेती के साथ-साथ आमदनी बढ़ाने के लिए मत्स्य पालन, पशुपालन एवं उद्यानिकी फसलों के उत्पादन से जुडऩे का आह्वान किया। जनता में खुसुर-फुसुर है कि सीएम साहब किसानों के जीवन स्तर को उठाने के लिए कितना सोचते है। हम सभी प्रदेश भर के किसान सीएम साहब को साधुवाद देते है। आप हमारे आय बढ़ाने के लिए चिंतित रहते है। बस सीएम साहब एक औऱ मेहरबानी कर दीजिए गांव में सरकारी जमीन, गौठान के साथ खेती की जमीन पर रसूखदारों मे अवैध तरीके से कब्जा कर रखा है बस उसे उनके कब्जे से मुक्त कर दीजिए तो आपका आह्वान फलीभूत हो सकता है। सरकार हमारी पुस्तैनी जमीन तो अवैध कब्जाधारियों के पास है, हम किसानों का जीवन स्तर तो ऊंचा हो जाता पर हमारा दुर्भाग्य है कि छत्तीसगढ़ में किसानों की जमीन तो बाहरी सेठ साहूकारों के पास है या भू-माफियायों के पास है या गांव के दबंगों के पास हम तो केवल मजदूर बन कर रह गए है।

निजात निजात और निजात ....

हमारे जिले के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक डॉ. संतोष कुमार सिंह द्वारा नशे के विरूद्ध निजात अभियान चलाते -चलाते थक गए पर गांजा और शराब माफिया अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे है। रोज हजारों क्विंटल गांजा और अवैध शराब पकडऩे के बाद भी उनके हौसले पस्त नहीं हो पा रहा है। एसएसपी साहब ने पुलिस के समस्त पुलिस राजपत्रित अधिकारियों, थाना प्रभारियों को नशे का काला कारोबार करने वाले कारोबारियों की पतासाजी कर कार्यवाही करने एवं इस पर प्रभारी रूप से अंकुश लगाने आवश्यक दिशा निर्देश भी दिये है। गांजा तस्कर और शराब कोचिया पुलिस को चमका देकर कोई न कोई नया रास्ता ढूंढ ही लेते है। जनता में खुसुर-फुसुर है कि समझ में नहीं आता कि पुलिस बड़ी है शराब कोचिया या गांजा तस्कर । लगता है पुलिस के मुखबिर से गांजा-शराब तस्करों का नेटवर्क कुछ ज्यादा ही स्ट्रांग है। क्योंकि पुलिस की गुप्त सूचना से पहले तस्करों और कोचियों को खबर लग जाती है कि आज निजात वाले कहां -कहां रेड मारने वाले है। पुलिस को अब अपनी रणनीति में कुछ तब्दीली कर देनी चाहिए, जिस तरह बस्तर में लोन वार्राटू अभियान चल रहा है। वहां नक्सली सरकार की लोन वार्राटू से प्रभवित होकर आत्मसमर्पण कर मुख्यधारा में आ रहे है। उन्हें भी निजात मिल जाएगी और पुलिस को भी रोज -रोज के भागा दोड़ी से निजात मिल जाएगी।

रेत माफियायों की 365 दिन दिवाली

राज्य शासन के निर्देश पर जिले में अवैध रेत परिवहन के मामलों में तेज़ी से कार्रवाई कर रही है पर रेत माफियायों के सेहत में कुछ फर्क नहीं पड़ रहा है। वो तो रोज दिवाली मना रहे है। नदी के दोनों किनारे पर घुस कर मनमाना नदी मंथन कर रहे है और कच्चा सोना निकाल रहे है। जनता में खुसुर-फुसुर है कि समुद्र मंथन में देव औऱ दावन दोनों ने ताकत लगाया तब जाकर समुद्र से सोना-चांदी हीरे-मोती,अमृत और विष निकला था। कलयुग में समुद्र का मंथन तो नहीं कर पा रहे पर नदी को पूरी तरह मंथन कर जेसीबी, हाईवा से नदी का सीना चीर कर रेत निकाल कर नदी की पवित्रता को नष्ट कर रहे है। रेत माफिया सरकारी देवताओ्ं के साथ मिलकर नदी से सोना चांदी हीरे मोती अमृत निकाल कर अपने पास रख लेते है और विष को देवताओ्ं दे रहे है। कुछ सरकारी देवता भी अब रेत दानवों के साथ मिलकर नदी मंथन कर रहे है। यदि इनको नहीं रोका गया तो नदी का अस्तित्व खतरे में आ जाएगा।

तूफान का नाम दाना क्यों पड़ा

ओडिशा और बंगाल में आने वाला चक्रवाती तूफान दाना जिस वक्त ये तूफान सतह से टकराएगा, समुद्र के आसपास वाले शहरों को तहस-नहस कर देगा। तूफान की वजह से ओडिशा और बंगाल में तेज हवाएं चलेंगी और बहुत भारी बारिश होने की संभावना जताई गई है। तूफान का असर बिहार और झारखंड तक दिखाई दे सकता है। सभी तटीय राज्यों में अलर्ट कर दिया गया है। जनता में खुसुर-फुसुर है कि दाना नाम क्यों पड़ा वैज्ञानिकों को तो कुछ औऱ अच्छा सा नाम देना था। दाना तूफान देने के पीछे भी कोई वजह हो सकती है। लगता है मौसम वैज्ञानिकों ने सोच समझ कर तूफान का नाम दाना रखा है। क्योंकि हिन्दुस्तान में बढ़ रहे भ्रष्टाचार से लोग इस कदर परेशान है कि गरीबों के हिस्से वाले दाने पर कुछ खास तरह के लोग डाका डालकर धन्नासेठ बन गए है। खासकर छत्तीसगढ़ में तो हर साल धान खऱीदी के सीजन में होता है। सरकार किसानों का एक-एक दाना खरीदने की घोषणा करती है औऱ खरीदती भी है पर सरकार जब धान का उटाव कर चावल बनाने राइस मिलरों को देती है तो धान के बदले चावल का दाना वापस सरकार को मिलना चाहिए पर राइस मिलर चावल के दाना की जगह भूसा तक नहीं देते पूरा दाना हजम कर लेते हैं। इस कारण मौसम वैज्ञानिकों ने भ्रष्टाचार को रोकने के लिए लोगों को सचेत करने के लिए आसान नाम तूफान का नाम ही दाना रख दिया है।

बैगा-गुनिया टीबी मुक्त करेंगे या रोगी को

प्रदेश को टीबी मुक्त बनाने अब वैध, बैगा गुनिया भी अब सरकारी असपतालों के डाक्टरों की तरह झाड़-फूंक के साथ लोगों को जागरूक करने में सहयोग करेंगे। इसके लिए जिला प्रशासन ने सार्थक पहल की है। टीबी मुक्त भारत अभियान के तहत् टीबी मुक्त प्रदेश बनाने के लिए सहयोग हेतु स्वास्थ्य विभाग बैगाओ्ं को जिला चिकित्सालय में प्रशिक्षण दे रहा है। जिसमें टीबी रोग होने के कारण, बचाव के उपाय लक्षण, जांच, उपचार शासन के द्वारा टीबी मरीजों को प्रदान की जाने वाली प्रोत्साहन राशि और सुविधाओं पर विस्तार पूर्वक जानकारी दी गई। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने जिले के सभी पंचायतों को टीबी मुक्त पंचायत बनाने के लिए टीबी मुक्त भारत अभियान के तहत् वैध बैगा गूनिया के प्रशिक्षण में बैगों को जिला क्षय नियंत्रण केन्द्र का भ्रमण कराया । जनता में खुसुर-फुसुर है कि जनता पहले से नीम हकीम से परेशान है अब सरकार इन बैगा गुनिया को टीबी से बचाने के लिए गांव का ब्रांड एंबेसेडर बना रही है। तब तो टीबी तो मुक्त नहीं होगा, बल्कि रोगी ही इस जहान से मुक्त हो जाएंगे।

Next Story