छत्तीसगढ़

चुप रहना ही बेहतर है ज़माने के हिसाब से, धोखा खा जाते हैं अक्सर...

Nilmani Pal
13 May 2022 5:52 AM GMT
चुप रहना ही बेहतर है ज़माने के हिसाब से, धोखा खा जाते हैं अक्सर...
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ज़ाकिर घुरसेना/ कैलाश यादव

बाबा रामदेव ने काफी दिन पहले मोदी सरकार को तेल का दाम घटाने का सुझाव दिया था, उन्होंने कहा था कि मोदी सरकार को ये महंगाई कम करनी होगी। अगर ये महंगाई कम नहीं की तो ये आग उन्हें ले डूबेगी। आज मंहगाई किसी से छुपी नहीं है लेकिन बाबा खामोश हैं। अभी डालर के मुकाबले रूपये की ऐतिहासिक गिरावट और पेट्रोल-डीजल गैस के बेतहासा मूल्य वृद्धि के बाद भी बाबा चुप हैं। मनमोहन सरकार के दौरान रूपये के गिरावट के दौरान बाबा रामदेव देश के लिए चिंता जाहिर करते हुए जनता को यह सन्देश देने की कोशिश किये थे कि मनमोहन सिंह की सरकार ठीक ढंग से काम नहीं कर रही है। लेकिन अब जब डालर के मुकाबले रूपये गिरा तो बाबा जी कोई प्रतिक्रया नहीं दे रहे हैं। यानी बाबा जी को देश की नहीं बल्कि मोदी सरकार की चिंता है। बाबा रामदेव ने एक बार जनता से अपील किये थे कि मोदी जी की सरकार बनने के बाद पेट्रोल 35 रुपया लीटर मिलने लगेगा। लेकिन अब जिस हिसाब से तेल के रेट में इजाफा हो रहा है, 135 रुपया लीटर हो जाये तो आश्चर्य नहीं होगा। जनता में खुसुर-फुसुर है कि बाबा कब तक चुप रहेंगे। किसी ने ठीक ही कहा है कि चुप रहना ही बेहतर है ज़माने के हिसाब से। धोखा खा जाते हैं अक्सर ज्यादा बोलने वाले।

उदयपुर में नए अवतार में नजर आएंगे भूपेश

कांग्रेस के उदयपुर में होने वाले चिंतन शिविर में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी गई है। लोकसभा और विधानसभा चुनाव को लेकर यह चिंतन शिविर आयोजित की जा रही है जिसमें एक परिवार से एक व्यक्ति को ही टिकिट देने और महत्वपूर्ण पदों पर तीन साल तक जमे नेताओं कम्पलसरी तीन साल विराम देने की मुहिम में कांग्रेस आगे बढ़ रही है। कांग्रेसी मुख्यमंत्रियों में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल हाईकमान के बहुत खास है। चुनाव की घोषणा होने से पहले भूपेश को एक और महत्वपूर्ण जिम्मेदारी मिल सकती है। देश के मुख्यमंत्रियों में अपनी प्रशासनिक दक्षता के बलबूते नंबर-वन का खिताब अर्जित कर चुके हैं। साथ ही भूपेश सरकार की सारी योजनाओं को केंद्र सरकार से पुरस्कार मिला है। चाहे वह नरवा, गरवा,घुरवा, बाड़ी और किसान ऋण मुक्ति हो या गौठान, गोबर खरीदी पूरे देश में अनुकरणीय और प्रेरक बनकर अन्य राज्यों में भी यहीं योजनाएं काम करने लगी है। उदयपुर चिंतन शिविर के ठीक बाद सीएम भूपेश बघेल नए अवतार के रूप में नजर आएंगे। जनता में खुसुर-फुसुर है कि आदमी ईमानदारी से काम करे तो हर मार्ग पर सफलता अवश्य मिलती है। मुख्यमंत्री भूपेश कई बार कह चुके है कि मैं सेवा के लिए राजनीति को चुना हूं, न कि पद के लिए ।

पूजा ने की महिला सशक्तिकरण का अपमान

आईएएस अधिकारी धरती के भगवान माने जाते हैं लेकिन उनके कारनामे से वे अब भगवान नहीं बल्कि भोगवान माने जा रहे हैं। पिछले दिनों प्रवर्तन निदेशालय ने झारखंड की सीनियर आईएएस अधिकारी पूजा सिंघल के ठिकानों पर छापा मारा । जानकारी के अनुसार कार्रवाई के दौरान ईडी को आईएएस के सीए के घर से 25 करोड़ एवं उनके सीए के घर से 18 करोड़ नकदी मिली है। इसके अलावा ठिकाने से और भी कई महत्वपूर्ण दस्तावेज मिले है। आईएएस पूजा सिंघल बीजेपी सरकार में कृषि सचिव के पद पर कार्यरत थीं बाद में सोरेन सर्कार में भी महत्वपूर्ण विभाग संभालने लगी थी। चर्चित मनरेगा घोटाले के समय भी पूजा खूंटी में डिप्टी कलेक्टर के पद पर तैनात थीं। छत्तीसगढ़ में भी कई पूजा सिंघल सपड़ में आ चुके हैं। और भी अभी हैं ईमानदारी से यदि जांच किया जाये तो प्रदेश की आधी जमीन इनके रिश्तेदारों के नाम मिलेगी। जनता में खुसुर-फुसुर है कि महिला सशक्तिकरण की दिशा में आईएएस महिला अधिकारी स्वयं-भू शक्ति संपन्न होती है, ऐसे में पूजा सिंघल को सम्पन्नता का दिखावा करके जेल की हवा खानी पड़ी। किसी ने ठीक ही कहा है जस करनी तस करम गति।

इसे कहते है गरीबी में आटा गीला

गेहूं के दाम में 46 फीसदी की वृद्धि हो चुकी है, वर्तमान मार्केट में महंगा गेहूं बिकना शुरू हो गया है। जो एमएसपी दाम सो 20 फीसदी महंगा है। इसके चलते महंगाई की लहर का खतरा पूरे देश में मंडरा रहा है। गेहूं से ब्रेड, बिस्किट, आटा और आटे से बने प्रोडक्ट के दाम बढ़ जाएंगे। आटे का दाम बीते 12 सालों का रिकाडऱ् तोड़ दिया है। सरकार इस महंगाई को रोकने क्या करती है। कोरोना से देश अभी पूरी तरह उबरा नहीं है और अब पेट में कोरोना होने का लहर शुरू हो गया है। जनता में खुसुर-फुसुर है कि सरकार को हर नागरिक के लिए ऐसा कानून बनाए जिसमें रोटी-कपड़ा और मकान के लिए कड़ा नियम बनाए जिसमें वृद्धि होने पर सरकार उस अतिरक्ति भार का वहन करे। बाकी कुछ बचा तो महंगाई मार गई वाला मनोज कुमार यह गीत अक्षरश: उतर रहा है।

कांग्रेस-भाजपा में छटपटाहट

कांग्रेस और भाजपा में आसन्न चुनाव को लेकर एक नई रणनीति बनाई है। कांग्रेस में भाजपा के परिवारवाद के ताने से तंग आकर उदयपुर चिंतन शिविर से पहले बड़े बदलाव की तैयारी कर ली है। कांग्रेस की वर्किंग कमोटी की बैठक में एक परिवार में एक ही व्यक्ति को टिकिट देने, अहम पद पर रहने के बाद तीन साल कुलिंग आफ पीरियड होने और पेनलों में बड़ी संख्या को कम करने जैसे प्रस्तावों पर मुहर लगा दी है। कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में शामिल एक कांग्रेस नेता ने कहा कि एक परिवार एक टिकिट के प्रस्ताव पर सोनिया, राहुल और प्रियंका ऐलान करेंगे। यह भी ऐलान किया जा सकता है कि 2024 के आम चुनाव में परिवार का एक ही व्यक्ति लड़ेगा। हाईकमान को सुझाव दिया गया है कि प्रदेश अध्यक्ष. जिला अध्यक्ष या राष्ट्रीय कार्यकारिणी में शामिल नेताओं को एक कार्यकाल पूरा करने के बाद तीन साल तक पद से दूर रखा जाएगा। इस पर सहमति बन गई है। पार्टी का मानना है कि इससे वह भाजपा की ओर से लगाए जा रहे परिवारवाद के आरोपों का जवाब दिया जा सकता है। जनता में खुसुर-फुसुर है कि इससे कई पुराने और दिग्गज नेताओं के बेटों को अगली पीढ़ी के लिए तैयार करने की रणनीति पर पानी फिर जाएगा? अब तो भाजपा के चक्कर में पार्टी ने हमारे अरमानों पर पानी फेर दिया है। इन आसुओं को कहां जाकर रोके समझ में नहीं आ रहा है। ज्योतिरादित्य सिंधिया ने तो अपनी जगह बना ली है। उनसे उपर वाले जो बेटों को लंबे रेस का घोड़ा बनाने की दौड़ में शामिल थे, वो दौड़ से बाहर हो जाएंगे। कहते है राजनीति में सब कुछ जायज है तो यह भी जायज है। फिलहाल कांग्रेस और भाजपा के नेता अपने पुत्रों और रिश्तेदारों को टिकट दिलाने के नाम पर अभी से हलाकान हो रहे हैं।

सीएम भूपेश का रेशमी दांव

सीएम भूपेश बघेल का सरकारी कामकाज के क्रियान्वयन को जमीनी स्तर पर समीक्षा का दौरा जारी है। जब प्रदेश में सरकार सभी चीजों को समर्थन मूल्यपर खरीदी कर रही है तो रैली कोसा वाले क्यों पीछे रहे। सीएम ने बस्तर संभाग में रेशम पालन तथा कोसा उत्पादन करने वाले आदिवासियों का जीवन स्तर उठाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण फैसला लेकर बस्तर में भाजपा का सेंध लगाने से पहले रेशमी दांव चल दिया है। अब भाजपा के पास बस्तर में कुछ कहने सुनने के लिए कुछ बचा ही नहीं है। पहले लोहंगीगुड़ा की जमीन आदिवासियों को वापस लौटा दी, अब रैली कोसा का क्रय समर्थन मूल्य पर करने की घोषणा कर दी है। जनता में खुसुर-फुसुर है कि कका के दांव के आगे भाजपा अभी से चारों खाने चित हो गई है। चुनाव तो अभी बहुत दूर है लेकिन दूर की कौड़ी की पहचान भूपेश से अच्छा कोई हो ही नहीं सकता।

चुनाव से पहले शराब पर राजनीति

प्रदेश में चुनाव से पहले पूर्ण शराबबंदी का फैसला होगा या नहीं असमंजस की स्थिति में छत्तीसगढ़ की राजनीति घूम रही है। क्या शासन व्दारा बनाई गई तीनों समितियों की रिपोर्ट आ सकती है। शराबबंदी से पहले चलाया जा रहा नशामुक्ति अभियान कितना कारगर हो रहा है ऐसे कई सवाल हैं, जिसे लेकर आम लोगों के बीच अब चर्चाएं शुरू हो गई मगर जमीनी हकीकत यह है कि शराबबंदी को लेकर राज्य सरकार व्दारा बनाई गई तीन समितियों की केवल पांच बैठकें हो पाई है। अभी तक समिति के सदस्यों ने ऐसे किसी भी राज्य का दौरा नहीं किया जहां शराबबंदी हुई है। जनता में खुसुर-फुसुर है कि सरकार को शराबबंदी से कितना नुकसान होगा इस पर किसी ने सलाह दे दी है जिसके कारण मामला ठंडे बस्ते में जाम टकरा रहा है। जब तक वह सीएम के अनुसार परिणाम देने लायक नहीं होगा तब तक शराबबंदी का मामला अटका ही रहेगा।

गूगल में छत्तीसगढ़ी भाषा पर भी होगा काम

छत्तीसगढ़ी भाषा को भी आनलाइन प्लेटफार्म पर लाया जा रहा है। आवाज के माध्यम से सूचना पहुंचाने तकनीक विकसित करने का काम शुरू हो गया है। छत्तीसगढ़ी भाषा के लिए रविवि के डा. हितेश कुमार का चयन किया गया है। भारतीय प्रबंध संस्थान की इस परियोजना में बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन ने दो मिलियन डालर मंजूर की है। जनता में खुसुर-फुसुर है कि अब गूगल में आनलाइन जानकारी हासिल करने के लिए छत्तीसगढ़ी भाषा वैश्विक स्तर पर पहुंच जाएगी। देश विदेश में रहने वाले छत्तीसगढिय़ों के साथ राज्य के लोगों को इसका प्रत्यक्ष लाभ मिलने लगेगा। जय हो गूगल देव।

Nilmani Pal

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