छत्तीसगढ़

दिल टूटे तो दर्द होता है मगर कोई कहता नहीं...

Nilmani Pal
5 May 2023 5:42 AM GMT
दिल टूटे तो दर्द होता है मगर कोई कहता नहीं...
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ज़ाकिर घुरसेना/ कैलाश यादव

शरद पवार के इस्तीफे पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा, बहुत ही वरिष्ठ राजनेता हैं। मुख्यमंत्री रहे, केंद्रीय मंत्री रहे उनके समकालीन कम ही राजनेता देश में बाकी है, जो राजनीति में सक्रिय हैं। वह अभी भी राजनीति में सक्रिय हैं। किन कारणों से इस्तीफा दिया, इसकी वजह से मुझे पता नहीं है। जनता में खुसुर-फुसुर है कि सीएम भूपेश का आसपड़ोस के राज्यों की राजनीति में जबरदस्त दखल रखते है। शरद पवार को भी गन्ना किसानों को लेकर राजनीति में पदार्पण किए थे और भूपेश बघेल किसानों के मुद्दों को लेकर सत्ता में आए है। भले ही उन्हें नहीं पता कि पवार ने इस्तीफा किन कारणों से हुआ, लेकिन इस्तीफा कैसे दिलवाया जाता है, यह तो अच्छी तरह मालूम है। पूर्व सीएम अजीत जोगी क्या इस्तीफा खुशी-खुशी दिए थे। हर इस्तीफे के पीछे एक कहानी होती है उसे हर कोई नहीं समझ सकता। किसी ने ठीक कहा-है कि किसी की मजबूरी कोई समझता नहीं दिल टूटेे तो दर्द होता है मगर कोई कहता नहीं।

भाजपा के पाले में भूपेश का बाउंसर

मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि भाजपा अगर आरक्षण की पक्षधर हैं तो विधानसभा में पारित विधेयक को 9वीं अनुसूची में शामिल कराएं। पूर्ववर्ती रमन सरकार को घेरते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि रमन सरकार ने घटिया काम किया। आरक्षण लागू कर दिया, घोषणा का अता पता नहीं था। आरक्षण को लेकर सरकार ने ननकीराम कंवर की अध्यक्षता में कमेटी बनाई, लेकिन उसकी रिपोर्ट तक नहीं सौंपी। इसके कारण ही आरक्षण को चुनौती मिली थी। मुख्यमंत्री बघेल ने डा. रमन सिंह को चुनौती दी कि अगर वह आरक्षण के पक्षधर हैं, तो जो आरक्षण विधेयक विधानसभा में पारित हुआ है, उसे 9वीं में शामिल कराएं। वह भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं। केंद्र में अपने नेताओं से मिलकर विधेयक को 9वीं अनुसूची में शामिल कराएं। उसके बाद मैं उनको जरूर धन्यवाद दूंगा। दरसअल, पूर्व सीएम डा रमन ने कहा था कि भाजपा सरकार ने जो आरक्षण लागू किया था, उसे सुप्रीम कोर्ट ने मान्य किया। इसके लिए भूपेश सरकार को जनता से माफी मांगनी चाहिए। इसके जवाब में सीएम बघेल ने कहा कि दूसरे के काम पर पीठ थपथपा रहे हैं और अपनी नाकामी को छुपा रहे हैं। जनता में खुसुर-फुसुर है कि दोनों पार्टियों की लड़ाई में तो जनता पिछले 20 सालों से पिस रही है। सत्ता में रहे या न रहे नेताओं को तो वाहवाही की भूख बढ़ते जाती है, क्योंकि एक बार सत्ता में आने के बाद सात पीढ़ी तक खाने -पीने का इंतजाम हो जाता है, बस नेतागिरी वंदे भारत की तरह दौड़ती रहे।

राजनीति वाले बाबा का सच

स्वास्थ मंत्री टीएस सिंहदेव ने आदिवासी नेता नंदकुमार साय के कांग्रेस ज्वाइन करने पर कहा कि आजकल इधर से उधर होना आम बात हो गई है। सभी राजनीतिक पार्टियों में असंतुष्ट लोग हैं, कब कौन छोडक़र कहां जा रहा है किसी को पता नहीं है। साय जैसे नेता का भाजपा छोडक़र आना बड़ी बात है, पर दुर्भाग्यजनक भी है। भाजपा नेता और पूर्व सांसद नंदकुमार साय ने बीजेपी छोडक़र कांग्रेस में शामिल हो गए हैं, इसी मामले को लेकर पूछे गए सवाल में स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने यह बात कही है। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश महामंत्री केदार कश्यप, पूर्व गृहमंत्री ननकीराम कंवर कह रहे हैं कि कांग्रेस आदिवासियों की हितैषी नहीं है। भारतीय जनता पार्टी आदिवासियों का सम्मान करती है, जितना सम्मान उन्हें भाजपा में मिला उतना कांग्रेस में नहीं मिलेगा। जनता में खुसुर-फुसुर है कि सम्मान के लिए कौन राजनीति करता है, जो सम्मान के बजाय उठापटक करते है वही सम्मान पाते है। ये तो शुरूआत है चुनाव आते-आते तक कई लोग सम्मानित हो जाएंगे।

न्याय योजनाओं से शोषित वंचितों का बढ़ा मान

छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा शुरू की गई न्याय योजनाओं से समाज के शोषित वंचित और गरीब तबकों का न केवल मान बढ़ा है बल्कि इन योजनाओं की बयार से बड़ी राहत मिल रही हैं। सरकार किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए समर्थन मूल्य पर धान खरीदी की सीमा 15 क्विंटल से बढ़ाकर 20 क्विंटल कर दी है। स्वामी आत्मानंद स्कूलों की श्रृंखला और डॉ. खूबचंद बघेल स्वास्थ्य सहायता योजना जैसी नवाचारी पहल से लोगों को आसानी से शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाएं मिल रहीं हैं। बेरोजगारों को प्रतिमाह भत्ता मिलना प्रारंभ हो चुका है। इसी तरह से आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं, स्कूलों में मध्यान्ह भोजन बनाने वाले रसोइयों की भी चिंता करते हुए उनके मानदेय में वृद्धि कर उनका मान बढ़ाया है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने मजदूर दिवस पर श्रमिकों का मान बढ़ाने के लिए कई बड़ी घोषणाएं की हैं। कार्यस्थल पर दुर्घटना मृत्यु में पंजीकृत निर्माण श्रमिकों के परिजनों को मिलने वाली सहायता राशि एक लाख रुपए से बढक़र 5 लाख रुपए तथा स्थायी दिव्यांगता की स्थिति में इन्हें देय राशि 50 हजार से बढ़ाकर ढाई लाख रुपए करने की घोषणा की। जनता में खुसुर-फुसुर है कि अब तो भतीजों को भरोसे पर कका सौ टका खरा उतरने वाले है। जनता का कहना है कि इससे बड़ा और क्या न्याय होगा जो प्रदेश के हुए अन्याय का अकेले लड़ाई लड़ कर न्याय दिला रहे है।

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