छत्तीसगढ़

क्या प्रदेश में पूर्णकालिक अधिकारियों का है टोटा

Admin2
1 Feb 2021 6:14 AM GMT
क्या प्रदेश में पूर्णकालिक अधिकारियों का है टोटा
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मुख्यमंत्री, गृहमंत्री, कृषि मंत्री का गृह जिला प्रभारवाद पर आश्रित

सरकारी विभाग में 20 साल प्रतिनियुक्ति और दोहरे प्रभार से चल रहा कामकाज

पूर्णकालिक अधिकारियों से मंत्रियों को एलर्जी या कुछ और

दैनिक वेतनभोगी और आउटसोर्सिंंग के माध्यम से नियुक्त कर्मचारियों को नियमित किया जाए

लंबित प्रमोशन पर त्वरित निर्णय लेकर टोटा दूर करे अधिकारियों की

ज़ाकिर घुरसेना

रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल,गृह एवं लोक निर्माण मंत्री ताम्रध्वज साहू, कृषि एवं जलसंसाधन मंत्री रविद्र चौबे का गृह जिला दुर्ग के सभी सरकारी विभाग प्रतिनियुक्ति और दोहरे प्रभार के पेंडूलम की तरह लटका हुआ है, इसके पीछे सामान्य प्रशासन विभाग का तर्क है कि प्रदेश में अधिकारियों का टोटा बताया जा रहा है। इसी प्रकार पूरे छत्तीसगढ़ में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना का तो पूरा विभाग प्रभारवाद पर आधारित और आश्रित है। जल संसाधन विभाग से प्रतिनियुक्ति पर प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में कार्यरत ज्यादातर सहायक अभियंता अपने मूल पद से ऊपर कार्यपालन अभियंता के पद पर तथता कार्यपालन अभियंता अपने मूल पद से ऊपर अधीक्षण अभियंता के पद पर विगत 18-20 वर्षों से कब्जा किए हुए है। वर्षों से प्रतिनियुक्ति पर प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में पदस्थ रहकर कोरोड़ों की खाली कमाई करने वाले अधिकारियों का मायाजाल कितना सशक्त है कि किसी कार्रवाई या पत्राचार से उनके सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ता । यही कारण है कि प्रमुख अभियंता जल संसाधन विभाग के लिखे हुए पत्र पर लगभग चार से 6 महीने बाद भी शासन स्तर पर कोई कार्रवाई नहीं हो पाई है। इसी प्रकार प्रदेश में प्रभारवाद का भी गाढ़ा रंग चढ़ा हुआ है जो 20 साल से तीन सरकारों के चढऩे उतरने के बाद प्रभारवाद का रंग नहीं उतारा। जब मुख्यमंत्री, गृह मंत्री और जल संसाधन मंत्री के जिले में इतनी संख्या में अधिकारी प्रभारवाद की सीढ़ी चढ़कर विभाग के कामकाज को अंजाम दे रहे है तो पूरे प्रदेश की सरकारी कामकाज का अंदाजा लगाया जा सकता है।

सरकार के मुखिया सहित प्रभावशाली मंत्रियों की ऐसी कौन सी मजबूरी या जरूरत है जो पूर्णकालिक अधिकारियों से परहेज करते हुए अपने जिले में संविदा /प्रभारी अधिकारियों के कंधे पर सवार है। मुख्यमंत्री, गृहमंत्री, कृषि मंत्री जैसे महत्वपूर्ण विभागों के मंत्रियों के गृह जिले में प्रभारी अफसरशाही चरम पर है तो शेष छत्तीसगढ़ में प्रभारवाद की अफसरशाही कैसी होगी इसका अनुमान सहज लगाया जा सकता है। विभिन्न कर्मचारी यूनियन के नेताओं से चर्चा करने पर उन्होंने बताया कि अधिकतर काम पेंडिंग पड़े हुए है। मुख्यमंत्री के मंशा अनुरूप कार्य नहीं हो रहे है। सरकार को चाहिए तत्काल प्रभारवाद को खत्म कर स्थायी अधिकारियों नियुक्ति करे। कर्मचारी नेताओं ने संयुक्त स्वर में मांग की है कि कांग्रेस पार्टी की घोषणा के अनुरूप दैनिक वेतनभोगी और आउटसोर्सिंंग के माध्यम से नियुक्त कर्मचारियों को नियमित जाए और प्रमोशन भी चालू करे ताकि अधिकारियों की कमी दूर हो।

पूर्ण कालिक अधिकारियों का अकाल

कमिश्नर- कुलभूषण टोप्पो, रायपुर के साथ दु्र्ग के दोहरे प्रभार में है इसी प्रकार हरिओम शर्मा, अधीक्षण अभियंता आरर्ईएस मंडल रायपुर के साथ-साथ अधीक्षण अभियंता आरर्ईएस दुर्ग के दोहरे प्रभार में हैं । एस एन शुक्ला, (मूल पद कार्यपालन अभियंता है) प्रभारी अधीक्षण अभियंता प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना रायपुर मंडल ,सीजी आरआरडीए रायपुर सहित प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना राजनांदगांव मंडल के तिहरे प्रभार में हैं ।

प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना दुर्ग, मंडल कार्यालय राजनांदगांव के कार्य क्षेत्र में शामिल है। अमित अग्रवाल (मूल पद सहायक अभियंता) प्रभारी कार्यपालन अभियंता आरईएस दुर्ग के प्रभार में है। सुशील पटेल (मूल पद सहायक अभियंता, वरिष्ठता क्रम में बहुत जूनियर है, कार्यपालन अभियंता पद पर पदोन्नत होने के लिए फ़िलहाल सूची से बाहर है) प्रभारी कार्यपालन अभियंता पीडब्ल्यूडी दुर्ग है। ए के श्रीवास (मूल पद सहायक अभियंता) प्रभारी कार्यपालन अभियंता पीडब्ल्यूडी दुर्ग के प्रभार में है । एस के पांडे (मूल पद सहायक अभियंता) प्रभारी कार्यपालन अभियंता, जलसंसाधन विभाग तांदुला डिवीजऩ दुर्ग के प्रभार में है।

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