फोटो - पप्पू फरिश्ता
पप्पू फरिश्ता
मौलाना अब्दुल कलाम आजाद कांग्रेस की रीढ़ की हड्डी और आजादी के समय के मुसलमानों के लिए एक प्रतीक चिन्ह के रूप में सर्वोच्च स्थान रखते हैं। बावजूद कांग्रेस के राष्ट्रीय अधिवेशन के लिए समाचार पत्रों को जारी विज्ञापन में उन्हें स्थान नहीं दिया गया। शायद कांग्रेस को डर है कि आगामी विधानसभा चुनाव में हिंदू वोट मुस्लिम नेताओं के चेहरे से उससे बिदक जाएगी. आमतौर पर मुसलमान जुबान के पक्के और कांग्रेस को ही अपनी पार्टी समझते रहे हैं। मुसलमानों के कारण ही पार्टी मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और केरल में सरकार बनाने में सफल रही है। लेकिन कांग्रेस के कुछ नेताओं की हवा बदली नजर आ रही ह,ै उनके दिमाग में इस बात का डर घर करने लगा है कि हार्डकोर हिंदुइज्म पूरे भारत में जड़ मजबूत कर रहा है जिसके कारण कांग्रेस को भी अपने मुस्लीम प्रेम को परदे के पीछे धकेलना पड़ रहा है। पार्टी का थिंकटैंक अब इससे बचने का कोई नया रास्ता ढूंढ रही है जिसके तहत मुस्लीम नेताओं को फ्रंट लाइन पर लाने से बचने का रास्ता अपनाया जा रहा है। हालांकि विज्ञापन के मामले में कांग्रेस पार्टी के किसी भी नेता ने अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। एक नेता ने कहा कि मुझे नहीं मालूम किस नेता ने इसको डिजाइन कराया। तस्वीर क्यों नहीं छपवाई गई इस पर फिलहार स्थिति साफ नहीं है।
राष्ट्रीय अधिवेशन में कांग्रेस के प्रमुख विज्ञापन में मौलाना अब्दुल कलाम आजाद की तस्वीर नहीं होना क्या इस बात का संकेत है कि कांग्रेस का मूड बदल रहा है कांग्रेस की विचारधारा बदल रही है कांग्रेश अब सॉफ्ट हिंदत्वू के तरफ पूरी तरीके से जाने के मूड में है। अधिकांश मुस्लिम नेताओं और आम मुसलमान का यह मानना है कि कांग्रेस पार्टी ही एकमात्र पार्टी है जो भारतीय जनता पार्टी को टक्कर दे सकती है। अधिकांश मुसलमान कांग्रेस पार्टी को अपनी पार्टी मानते हैं और कांग्रेस पार्टी को ही वोट करते हैं। राष्ट्रीय अधिवेशन में कांग्रेस पार्टी के कुछ नारो में भी बदलाव देखने को मिला। नए जमाने की नई कांग्रेस का उदय रायपुर अधिवेशन से होकर निकलेगा ऐसा राजनीतिक पंडितों का मानना है। कांग्रेसी विचारधारा से ओतप्रोत पुराने कट्टर कांग्रेसी नेता भी यह मानकर चल रहे हैं कि कांग्रेस की विचारधारा बदल रही है कांग्रेस में युवा नेताओं का जमावड़ा बढऩे से सोशल मीडिया में कांग्रेस की उपस्थिति लगातार बढ़ रही है जिसका परिणाम यह हो रहा है कि हवा के साथ कांग्रेस का रूख भी बदल रहा है।
हालांकि विज्ञापन के संदर्भ में यह कहा नहीं जा सकता कि मौलाना आजाद की फोटो नहीं गलती से नहीं लगी या किसी के निर्देश पर ऐसा हुआ। कांग्रेस पार्टी में इस पर आगामी दिनों में खुलकर चर्चा होगी। कई कांग्रेसी नेता इस बात को पार्टी प्लेटफार्म पर उठाने का मन भी बना रहे हैं।