छत्तीसगढ़

मनरेगा से बने डबरी से मिला सिंचाई का साधन, सब्जी की खेती से गोपाल ने बढ़ाई कमाई

Admin2
3 July 2021 10:38 AM GMT
मनरेगा से बने डबरी से मिला सिंचाई का साधन, सब्जी की खेती से गोपाल ने बढ़ाई कमाई
x

कई बार महज एक साधन आपकी समस्या रुपी ताले की चाबी बन जाता है। ऐसी ही एक चाबी कोरिया जिले के किसान श्री गोपाल सिंह के हाथों लग गई है। इस चाबी से उन्होंने खुद का सिंचाई का साधन न होने की समस्या रुपी ताले को खोल लिया है। मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गांरटी अधिनियम) से गोपाल के खेत में निर्मित डबरी ने उसे सब्जियों की खेती की कुंजी दे दी है जिसकी कमाई से परिवार की आमदनी लगातार बढ़ रही है। डबरी खुदाई के बाद उनके खेतों में हरियाली अब दूर से ही नजर आने लगी है। इस साल आई पहली बारिश से डबरी में जमा हुए पानी से गोपाल की सब्जियों की नई फसल बिकने को तैयार हो गई है। भिंडी और बरबट्टी की पैदावार के बाद अब जल्दी ही मनेन्द्रगढ़ के बाजारों में उनके उगाए मिर्च और बैगन भी नजर आएंगे।

मनरेगा से खेत में डबरी खुदाई के बाद कोरिया के मनेन्द्रगढ़ विकासखण्ड के डंगौरा में रहने वाले गोपाल अब अकुशल रोजगार की चिंता से मुक्त हो गए हैं। खुद का सिंचाई का साधन विकसित हो जाने से उनकी कई समस्याओं का एक साथ निदान हो गया है। पहले सिंचाई की सुविधा नहीं होने से वे अपने दो एकड़ खेतों के लिए पाइप लगाकर दूर नदी से पानी लाते थे। इसमें काफी समय और श्रम लगता था। असामाजिक तत्वों द्वारा कभी पाइप या तार काट देने से आर्थिक नुकसान भी झेलना पड़ता था। डबरी बन जाने से इन परेशानियों से मुक्ति मिल गई है। अब गोपाल के खेतों में पर्याप्त हरियाली है। सब्जियां बेचकर वे परिवार की जरूरतों को आसानी से पूरा कर रहे हैं। इस साल अप्रैल-मई में लॉक-डाउन के दौरान उन्होंने हर सप्ताह तीन से चार हजार रूपए की सब्जी बेची। अब बारिश के मौसम की अग्रिम खेती से भी उन्हें हर सप्ताह दो से ढाई हजार रूपए का लाभ मिलना शुरू हो गया है।

ग्राम पंचायत डंगौरा के अनुसूचित जनजाति वर्ग के किसान गोपाल के परिवार में पत्नी और चार बच्चे हैं। गांव में एक दूसरे किसान की डबरी की सफलता से प्रभावित होकर उन्होंने भी मनरेगा से डबरी निर्माण के लिए आवेदन दिया। पंचायत ने मार्च-2021 में गोपाल के खेत में डबरी खुदाई के लिए एक लाख 94 हजार रूपए स्वीकृत किए। अप्रैल में काम शुरू हुआ और पांच सप्ताह बाद मई में डबरी का निर्माण पूर्ण भी हो गया। गोपाल और उनकी पत्नी कैलासिया बाई को इस काम में मजदूरी के रूप में दस हजार रूपए भी प्राप्त हुए।

डबरी निर्माण के समय को याद करते हुए गोपाल बताते हैं कि सही जगह का चयन होने से पहले सप्ताह की खुदाई के बाद से ही डबरी में पानी आने लगा, जिसे उन्होने पंप लगाकर पास के खेतों में उपयोग करना प्रारंभ कर दिया। इससे उन्हें अच्छा लाभ हुआ और गर्मी के मौसम में ही भिंडी और बरबट्टी बेचकर प्रति सप्ताह तीन से चार हजार रूपए की कमाई हुई। बरसात की सब्जियों की अग्रिम खेती से अब उनके खेतों में भिंडी की अच्छी फसल तैयार है जिसे वह हर दो-तीन दिनों में मनेन्द्रगढ़ के बाजार में बेचकर डेढ़ हजार रूपए का लाभ कमा रहे हैं। गोपाल ने बताया कि उनके खेतों में मिर्च और बैगन की भी फसल तैयार हो रही है। जुलाई के अंतिम सप्ताह तक वह बेचने लायक हो जाएगा। वे कहते हैं कि मनरेगा से डबरी खुदाई के बाद उनकी कई समस्याओं का समाधान हो गया है।

Next Story