छत्तीसगढ़

सिंचाई कालोनी: भ्रष्टाचार की नई दुकान खोलने की तैयारी में हाउसिंग बोर्ड

Admin2
29 Oct 2020 6:34 AM GMT
सिंचाई कालोनी: भ्रष्टाचार की नई दुकान खोलने की तैयारी में हाउसिंग बोर्ड
x

हाऊसिंग बोर्ड की बहुप्रतिक्षित आवासीय और कमर्शियल काम्प्लेक्स की नहीं बन पाई ड्राइंग-डिजाइन

27 एकड़ की प्लानिंग समय से पिछड़ी, नोटिस के भरोसे कर्मचारियों को मकान छोडऩे का अल्टीमेटम दिया

व्यवस्थापन का मसला अभी तक नहीं सुलझाया गया

रायपुर (जसेरि)। राजधानी की सबसे बड़ी आवासीय और कमर्शियल काम्प्लेक्स बनाने की योजना लेकर पिछले एक साल से हाउसिंग बोर्ड कवायद कर रही है, जहां हाउसिंग बोर्ड के भ्रष्ट अधिकारियों को मलाईदार काम नहीं मिलने की वजह से योजना के काम में ढिलाई बरतने के साथ सिर्फ कागजी घोड़े दौड़ाए जा रहे है। ऐसा लगता है कि एक पेंच विभागीय जांच भी हो सकता है, जो भ्रष्ट अफसरशाही की जीता जागता उदाहरण है। भ्रष्ट अफसरों को बचाने की वजह से पूरी योजना को डायवर्ट कर प्रोजेक्ट को जानबूझ कर उलझाकर रखा गया है। जिसके परिणाम स्वरूप सिंचाई कालोनी में रह रहे सरकारी कर्मचारियों को व्यवस्थापन नहीं कर पाने के चलते मामला उलझा हुआ है। हाउसिंग बोर्ड वैसे भी नई दुकान खोलने में लालायित रहती है, सपनों की दुनिया में खोए रहती है। जो काम प्लानिंग से पहले कर लेना था, उसे अब करने के लिए हाथ-पार मार रही है। जिसमें अब तक हाउसिंग बोर्ड फेल साबित नजर आ रहा है। क्योंकि अब मुख्य मुद्दा सिंचाई विभाग में रह रहे कर्मचारियों के व्यवस्थापन नहीं होने की वजह से आवासीय और कमर्शियल प्लान की ड्राइंग और डिजाइन भी फाइनल नहीं हो पाई है। सिंचाई विभाग के प्राइम लोकेशन पर हाऊसिंग बोर्ड ने जो खाका तैयार किया है। वह पुराने और जर्जर मकानों को ध्वस्त कर वहां बड़े रकबे में तीन फेस में निर्माण किया जाएगा। हाऊसिंग बोर्ड की महत्वाकांक्षी योजना में व्यवस्थापन का पेंच उलझते ही जा रहा है। शासकीय कर्मचारियों को अब तक व्यवस्थापित नहीं किए जाने के कारण आवासीय और कमर्शियल योजना खटाई में पड़ी हुई है। 27 एकड़ में बनने वाला यह प्रोजेक्ट शुरू होने से पहले ही एक साल पिछड़ गया है। 300 परिवारों का व्यवस्थापन किया जाना प्रस्तावित है, बावजूद नोटिस के भरोसे कर्मचारियों को मकान छोडऩे का अल्टीमेटम दिया गया है। दूसरे कोई विकल्प के बगैर कर्मचारी परिवार सहित शिफ्टिंग को लेकर परेशान है। वैसे इस मामले में कर्मचारी संघ होकर मुखर होकर विरोध के साथ हाईकोर्ट भी जा चुकी है।

टेंडर प्रक्रिया लटकी : राजधानी के सबसे बड़े आवासीय और कमर्शियल काम्प्लेक्स के निर्माण के लिए टेंडर की सारी प्रक्रिया अभी तक लटकी हुई है। टेंडर ीदवाली बाद होने की सुगबुगाहट शुरू हो गई है। कर्मचारी संघ के मांग करने के बाद प्रस्तावित 300 परिवारों को व्यवस्थापन के लिए एक माह का अतिरिक्त समय दिया गया है, उसका विरोध हो रहा है। हाउसिंग बोर्ड मकान देने के बजाय केवल नोटिस देकर पल्ला झाड़ लिया है।

हाऊसिंग बोर्ड ने 6 हजार रुपए फीट की दर से किया है भुगतान : इस प्रोजेकेट को अपने अधीन लेने के लिए हाऊसिंग बोर्ड ने सिंचाई विभाग को 6 हजार वर्गफीट के हिसाब से चुकारा किया है। इस प्रोजेक्ट के तैयार होने के बाद सरकार को बोर्ड के माध्यम से राजस्व की प्राप्ति होगी।

सबसे महंगी कालोनी होगी : अब तक के हाऊसिंग बोर्ड की जितने भी स्कीम बने है उनमें से सबसे महंगी सिंचाी कालोनी की यह कालोनी होगी, जो सर्वसुविधायुक्त होगा, बाजार स्कूल, हास्पिटल, खेल मैदान, धार्मिक स्थल के साथ नल-जल लाइट की आधुनिक सुविधाओं से लैंस होगा।

संघ की मांग

संघ की ओर से मांग की गई है कि मकान शिप्टिंग के लिए निर्धारित स्थलों पिरदा, बोरियाकला और दूसरी जगह

की आवासीय कालोनी में आवास की सुविधा उपलब्ध कराई जाए।

-उमेश मुदलियार, महामंत्री कर्मचारी संघ

Next Story