छत्तीसगढ़

IPS अफसर ने दोस्त को बचाने बेगुनाहों को जेल में डाला

Nilmani Pal
22 Jun 2024 8:20 AM GMT
IPS अफसर ने दोस्त को बचाने बेगुनाहों को जेल में डाला
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छग

बिलासपुर Bilaspur। रेप केस rape case वापस लेने के लिए दबाव बनाने के लिए आरोपी ने अपने एक आईपीएस IPS दोस्त की मदद से एक दलित महिला और उसके खिलाफ एक के बाद एक आठ झूठी एफआईआर दर्ज FIR registered करा दी। इन मामलों में पीड़ित पक्ष को जेल जाना पड़ा। पीड़ित महिला की याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने पुलिस के रवैये पर हैरानी जताई और राज्य सरकार state government को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने कहा है।

chhattisgarh news दलित विवाहित महिला ने सिटी कोतवाली बिलासपुर में शिकायत दर्ज कराई थी कि वर्ष 2018 से 12 दिसंबर 2019 के बीच रायपुर के न्यू कॉलोनी टिकरापारा निवासी आरोपी पीयूष तिवारी (35) ने खुद को अविवाहित और डीएसपी बताकर उसे शादी करने का प्रलोभन दिया उसके साथ दुष्कर्म किया। बाद में पीड़िता को पता चला कि आरोपी न तो डीएसपी है और न ही अविवाहित है। तब उसने संबंध खत्म कर लिए और उसके खिलाफ दुष्कर्म के साथ ही एससीएसटी एक्ट के तहत मामला दर्ज करा दिया।

इसके बाद आरोपी पीयूष तिवारी और उसके आईपीएस मित्र अरविंद कुजूर ने आरोपी महिला को धमकी दी कि केस वापस लेने पर उसे वे झूठे केस में फंसा देंगे। बाद में पीड़िता इंदौर में शादी कर ली। याचिका के अनुसार शादी का पता चलने पर पीयूष तिवारी ने कुम्हारी पुलिस थाने में धोखाधड़ी का झूठा केस दर्ज कराया। पुलिस ने महिला के पिता, भाई और पति को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया।

कोर्ट में पीड़िता के अधिवक्ता अमन सक्सेना ने बताया कि इसी तरीके से पीड़िता और उसके परिवार पर फर्जी तरीके से 8 एफआईआर दर्ज कराई जा चुकी है। एक केस में पीड़ितों को जमानत मिलती थी, तो दूसरी एफआईआर दर्ज करा दी जाती थी। ऐसा कई बार हुआ, जिससे महिला का परिवार लगातार जेल में रहा। सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस सचिन सिंह राजपूत की डिवीजन बेंच ने पुलिस के रवैये पर नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि ऐसे में पीड़ित के परिवार का पूरा जीवन केस लड़ते बीत जाएगा। कोर्ट में पुलिस की ओर से कहा गया कि दो मामलों में खात्मा कर दिया गया है, शेष प्रकरणों पर जांच जारी है। हाईकोर्ट ने सख्त रवैया अपनाते हुए सभी मामलों में ट्रायल पर रोक लगा दी। हाईकोर्ट ने आईपीएस अरविन्द कुजूर, पीयूष तिवारी और अभिषेक गजलवार को दो सप्ताह के भीतर शपथपत्र पर जवाब देने का निर्देश दिया है। साथ ही याचिकाकर्ता को भी अगले दो सप्ताह में शपथ पत्र देने कहा गया है।


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