छत्तीसगढ़

सीतापुर में अंतर्राज्यीय लकड़ी तस्कर सक्रिय, बिना अनुमति कर रहे कटाई

Shantanu Roy
13 Oct 2024 4:34 PM GMT
सीतापुर में अंतर्राज्यीय लकड़ी तस्कर सक्रिय, बिना अनुमति कर रहे कटाई
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Sitapur. सीतापुर। सरगुजा जिले के सीतापुर में इन दिनों अंतर्राज्यीय लकड़ी तस्करों का एक संगठित गिरोह सक्रिय हो गया है, जो प्रशासनिक नियमों का फायदा उठाते हुए अवैध रूप से लकड़ी की कटाई और तस्करी कर रहा है। इन तस्करों ने ग्रामीणों से मिलीभगत कर बिना अनुमति के निजी भूमि पर पेड़ों की कटाई शुरू कर दी है और इन पेड़ों को चोरी-छिपे अन्य राज्यों में भेजकर मोटी रकम कमा रहे हैं। पूर्ववर्ती सरकार द्वारा निजी भूमि पर पेड़ों की कटाई के लिए नियमों में किए गए सरलीकरण का तस्कर गलत फायदा उठा रहे हैं। नियमों के अनुसार, भूमि मालिक को पेड़ काटने के लिए एसडीएम से अनुमति लेनी होती है, लेकिन तस्कर ग्रामीणों से सांठगांठ कर बिना अनुमति के ही पेड़ों की कटाई कर रहे हैं। कई बार एक अनुमति लेकर उसका दुरुपयोग कर कई स्थानों पर पेड़ों की अवैध कटाई की जाती है। कटाई के बाद लकड़ी को दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में तस्करी कर दिया जाता है, जिससे तस्करों को भारी
मुनाफा होता है।


अवैध तस्करी के खिलाफ कार्यवाही को लेकर वन विभाग ने भी हाथ खड़े कर दिए हैं। हाल ही में उत्तर प्रदेश ले जाई जा रही अवैध लकड़ी से भरी गाड़ी की सूचना मिलने के बावजूद वन विभाग ने इसे अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर का मामला बताकर कार्रवाई से इंकार कर दिया। इस सुस्ती के कारण तस्करों का नेटवर्क दिनों-दिन मजबूत हो रहा है और क्षेत्र में कानून-व्यवस्था की चुनौती बनता जा रहा है। अवैध लकड़ी कटाई और तस्करी पर रोक लगाने के लिए एसडीएम रवि राही ने सख्ती दिखाई है। मुखबिर की सूचना पर कार्रवाई करते हुए वन विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए गए, जिसके बाद एक वाहन (UP 70 JT 7361) को भारी मात्रा में अवैध लकड़ी के साथ जब्त किया गया। यह वाहन उत्तर प्रदेश की ओर जा रहा था। इस कार्रवाई से तस्करों के बीच हड़कंप मच गया है, लेकिन गिरोह की गतिविधियां अभी भी क्षेत्र में जारी हैं। लकड़ी तस्करों के बीच आपसी टकराव की घटनाएं भी सामने आ रही हैं, जिससे क्षेत्र में तनाव बढ़ रहा है। प्रशासन की ओर से यदि जल्द कार्रवाई नहीं की गई तो यह गिरोह कानून-व्यवस्था के लिए गंभीर चुनौती बन सकता है। क्षेत्र में तस्करों की बढ़ती गतिविधियों से पर्यावरण और स्थानीय सुरक्षा पर भी खतरे के बादल मंडरा रहे हैं।
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