अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस- बालिकाओ को वे समान अधिकार हेै, जो कि बालको को दिए गए हैं...
दुर्ग। राजेश श्रीवास्तव जिला एवं सत्र न्यायाधीश/अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण दुर्ग के मार्गदर्शन एवं निर्देशन में आजादी के अमृत महोत्सव के अंतर्गत पैन इण्डिया आउटरिच कार्यक्रम के तहत दुर्ग में अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस के उपलक्ष पर श्री राहूल शर्मा सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण दुर्ग एवं पैरा लीगल वालंटियर द्वारा बताया गया कि हर साल 11 अक्टूबर को ''इंटरनेशनल डे ऑफ गर्ल चाइल्ड'' यानी कि ''अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस'' मनाया जाता है। इस दिन को मनाने के पीछे का मुख्य उद्देश्य था बालिकाओ के विकास के लिए अवसरों को बढ़ाना और बालिकाओ की दुनियाभर में कम होती संख्या के प्रति लोगों को जागरूक करना, जिससे कि लिंग असमानता को खत्म किया जा सके। इस दिन को मनाने का उद्देश्य यह भी है कि समाज में जागरूकता लाकर बालिकाओ को वे समान अधिकार दिलाए जा सकें, जो कि लड़कों को दिए गए हैं। बालिकाओ को सुरक्षा मुहैया कराना, उनके प्रति भेदभाव व हिंसा खत्म करना। बाल विवाह पर प्रतिबंध लगाना भी इस दिन को मनाने के कारणों में शामिल है।
''बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ'' योजना की शुरुआत- बालिकाओं को संरक्षण और सशक्त करने के लिए ''बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ'' योजना की शुरुआत वर्ष 2015 में हुआ था । योजना के उद्देश्य बालिकाओं का अस्तित्व और सुरक्षा सुनिश्चित करना , बालिकाओं की शिक्षा सुनिश्चित करना , बालिकाओं को शोषण से बचाना व उन्हें सही/गलत के बारे में अवगत कराना, इस योजना का मुख्य उद्देश्य शिक्षा के माध्यम से लड़कियों को सामाजिक और वित्तीय रूप से स्वतंत्र बनाना है, लोगों को इसके प्रति जागरुक करना एवं महिलाओं के लिए कल्याणकारी सेवाएं वितरित करने में सुधार करना है ।
भारतीय दंड संहिता, 1860 के तहत प्रावधान भारतीय दंड संहिता की धारा 312 कहती है 'जो कोई भी जानबूझकर किसी महिला का गर्भपात करता है जब तक कि कोई इसे सदिच्छा से नहीं करता है और गर्भावस्था का जारी रहना महिला के जीवन के लिए खतरनाक न हो, उसे सात साल की कैद की सजा दी जाएगी'। इसके अतिरिक्त महिला की सहमति के बिना गर्भपात (धारा 313) और गर्भपात की कोशिश के कारण महिला की मृत्यु (धारा 314) इसे एक दंडनीय अपराध बनाता है। धारा 315 के अनुसार मां के जीवन की रक्षा के प्रयास को छोड़कर अगर कोई बच्चे के जन्म से पहले ऐसा काम करता है जिससे जीवित बच्चे के जन्म को रोका जा सके या पैदा होने का बाद उसकी मृत्यु हो जाए, उसे दस साल की कैद होगी धारा 312 से 318 गर्भपात के अपराध पर सरलता से विचार करती है जिसमें गर्भपात करना, बच्चे के जन्म को रोकना, अजन्मे बच्चे की हत्या करना (धारा 316), नवजात शिशु को त्याग देना (धारा 317), बच्चे के मृत शरीर को छुपाना या इसे चुपचाप नष्ट करना (धारा 318)। हालाँकि भ्रुण हत्या या शिशु हत्या शब्दों का विशेष तौर पर इस्तेमाल नहीं किया गया है , फिर भी ये धाराएं दोनों अपराधों को समाहित करती हैं।इन धाराओं में जेंडर के तटस्थ शब्द का प्रयोग किया गया है ताकि किसी भी लिंग के भ्रुण के सन्दर्भ में लागू किया जा सके।