छत्तीसगढ़

जिला प्रशासन की पहल, गंभीर कुपोषित 80 प्रतिशत बच्चे आये सुपोषण की श्रेणी में

Shantanu Roy
28 Jun 2023 5:35 PM GMT
जिला प्रशासन की पहल, गंभीर कुपोषित 80 प्रतिशत बच्चे आये सुपोषण की श्रेणी में
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छग
राजनांदगांव। जिले में गंभीर कुपोषित बच्चों को सुपोषण की श्रेणी में लाने के लिए जनसहभागिता से सामूहिक प्रयास किए गए, जिसके परिणाम सुखद रहे। कलेक्टर के मार्गदर्शन में सुपोषण अभियान बच्चों के लिए जनजागरूकता व जनसहभागिता का असर प्रभावी रहा है। सुपोषण अभियान बच्चों के सुपोषण की दिशा में मील का पत्थर रहा है। समग्र प्रयासों से व्यापक तौर पर इसके लिए कार्य किए गए। जिले को गंभीर कुपोषण से मुक्त करने का लक्ष्य लेते हुए जिला प्रशासन व महिला एवं बाल विकास विभाग की ओर से मार्च माह से विशेष अभियान चलाते हुए 902 गंभीर कुपोषित बच्चों के लिए विशेष प्रयास किया गया। सभी गंभीर कुपोषित बच्चों से जनसहयोग लेते हुए संस्थाओं, उद्योगों, महिला स्वसहायता समूहों, महिला संगठनों, जनप्रतिनिधियों, अधिकारियों व कर्मचारियों, डॉक्टर, शिक्षकों द्वारा गोद लिया गया तथा बच्चों के लिए अतिरिक्त पोषण आहार पौष्टिक पंजरी, गुड़-चना, फल्ली-गुड़ उपलब्ध कराया गया। इस कार्य में जिले के 337 ग्राम पंचायतों, 51 औद्योगिक संस्थाओं, 129 अधिकारियों व कर्मचारियों, 147 महिला स्वसहायता समूहों, 93 जनप्रतिनिधियों, 30 शिक्षक, 7 डॉक्टर व 165 गणमान्य नागरिकों ने एक-एक बच्चे की जिम्मेदारी ली और उन बच्चों के अभिभावकों से सम्पर्क में रहते हुए उनके स्वास्थ्य की सतत निगरानी की गई।
आंगनबाड़ी केन्द्रों में सभी गंभीर कुपोषित बच्चों को प्रतिदिन अनिवार्य रूप से गर्म नाश्ता व गर्म भोजन सुनिश्चित किया गया था। शाम को आंगनबाड़ी कार्यकर्ता की ओर से बच्चों के घरों में जाकर उन्हें अतिरिक्त पौष्टिक आहार प्रदाय किया गया। माह मार्च से 15 जून तक इस विशेष प्रयास से स्वास्थ्य विभाग के सहयोग से इन बच्चों की नियमित स्वास्थ्य जांच तथा नि:शुल्क दवा प्रदाय सुनिश्चित किया गया। साथ ही आवश्यक होने पर इन बच्चों को पोषण पुर्नवास केन्द्र की सेवा उपलब्ध कराई गई। इन सभी प्रयासों के परिणामस्वरूप लक्षित 902 गंभीर कुपोषित बच्चों में से 15 जून की स्थिति में 651 बच्चे गंभीर कुपोषण से बाहर आ गए हैं। इस प्रकार 80 प्रतिशत की उपलब्धि प्राप्त की गई। वर्तमान में लक्षित 902 बच्चों में से 231 बच्चे गंभीर कुपोषण में शेष रह गए। इनमें से 56 बच्चे गंभीर बीमारी से पीडि़त अथवा मानसिक व शारीरिक दिव्यांग हैं। जिनके लिए स्वास्थ्य विभाग के सहयोग से विशेष स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने की मुहिम जारी है।
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