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कोण्डागांव। कोण्डागांव विकासखंड के सुदूर क्षेत्र गोलावंड में अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना चारा फसल एवं उपयोगिता जनजातीय उपयोजना अंतर्गत कड़कनाथ कुक्कुटपालन, चारा फसल, पौष्टिक लघु धान्य अनाजों का दैनिक आहार में महत्व एवं रागी बीज वितरण कार्यक्रम पर एक दिवसीय कृषक प्रशिक्षण हुआ। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय से अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना चारा फसल एवं उपयोगिता, जनजातीय उपयोजना के मुख्य अनुवेषक डॉ संतोष झा व कृषि विज्ञान केंद्र कोंडागांव के संयुक्त प्रयास पर उक्त प्रशिक्षण कार्यक्रम सम्पन्न हुआ, जिसमें 76 से अधिक किसानों सहित कृषि उद्यानिकी एवं पशुपालन विभागों के मैदानी अधिकारी-कर्मचारियों ने हिस्सा लिया। प्रशिक्षण में मुख्य अनुवेषक डॉ संतोष झा द्वारा कृषकों को साल के प्रत्येक माह में चारा फसलों की खेती, चारा फसलों की उपयोगिता, कड़कनाथ पालन से आर्थिक सुधार, लघुधान्य फसल कोदो, कुटकी, रागी आदि अनाजों का दैनिक आहार में महत्व को विस्तारपूर्वक बताया। इच्छुक महिला स्वसहायता समूह को कैफे खोलने हेतु रायपुर में निःशुल्क ट्रेनिग देने की बात कही। कृषि विज्ञानं केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ ओमप्रकाश ने मक्का फसल के साथ फसल चक्र को स्थापित करने पर जोर दिया, जिससे मृदा की जीवंतता को संजोया जा सके, कम पानी व उर्वरक पर लघु धान्य फसल करने की सलाह दी।
इसके साथ ही जल शक्ति अभियान अंतर्गत जल संरक्षण व लघु पोषण बाड़ियों की स्थापना करने की सलाह दी। जिससे पोषक तत्वों की पूर्ति घर के बाड़ी से हो सके। सहायक निदेशक नारियल विकास बोर्ड ईश्वरचंद्र कटियार ने नारियल की खेती करने हेतु आवश्यक जानकारियां किसानों को दी, उन्होंने बताया कि वयस्क नारियल के पौधे से एक वर्ष में 4500 रुपये तक की आमदनी की जा सकती है। केंद्र के वैज्ञानिक डॉ हितेश मिश्रा ने किसानों को कडकनाथ तथा गिनी फाउल पालन के बारे में बताया तथा घरेलू मुर्गियों, बकरियों व सूकरों में कृमिनाशक तथा नियमित टीकाकरण के बारे में समझाया। वहीं कम संसाधन के साथ प्राकतिक खेती के बारे में बताया, जिससे मानव जीवन को जहरीले रसायन से दूर रखा जा सके तथा जीवामृत, घनजीवामृत ब्रह्मास्त्र, निमास्त्र आदि बनाने की विधि को विस्तारपूर्वक बताया। इसके साथ ही स्वच्छता अभियान अंतर्गत स्वयं स्वच्छता की आदत अपनाते हुए घर, पारा व गाँव में साफ-सफाई के बारे में बताया गया। इस दौरान डॉ. नीता मिश्रा, पशु चिकित्सा सहायक शल्यज्ञ, जिला पशु चिकित्सालय कोंडागॉव ने चारे के पशु स्वास्थ्य में महत्व व विभागीय योजनाओं के बारे में जानकारी दी। इस दौरान मछलीपालन विभाग के योगेश देवांगन ने मांगुर पालन के साथ ही मत्स्य विभाग के योजनाओं की जानकारी दी।
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