![छग के जंगलों की अंधाधुंध कटाई, वन विभाग कुम्भकर्णी नींद में छग के जंगलों की अंधाधुंध कटाई, वन विभाग कुम्भकर्णी नींद में](https://jantaserishta.com/h-upload/2021/03/15/979951-fores.webp)
जंगल विभाग में चल रहा जंगल राज, यूपी, बिहार, आंध्र के लकड़ी तस्करों का सबसे सुरक्षित ठिकाना बना छत्तीसगढ़
बस्तर, अंबिकापुर, कोरबा, कटघोरा,बलरामपुर या अन्य घने जंगल मैदान में तब्दील होते जा रहे
जंगली जानवर गांव की ओर आ रहे
मंत्री मो. अकबर के अनुभव का लाभ नहीं ले पा रहा है विभाग
शासन और मंत्री को बदनाम करने की अधिकारियों की साजिश
वन विभाग में अफसरशाही हावी, विभाग के अफसरों में गुटबाजी
विभाग ने पकड़ी अवैध लकड़ी से भरी ट्रक लेकिन जब अवैध कटाई हो रही थी तब अधिकारी कहाँ थे
छुटभैये नेताओं की नेतागिरि नहीं झेल पा रहा विभाग, अधिकारी कर्मचारी अपनी नौकरी बचाने में लगे
मानिटरिंग नियमित होनी चाहिए
जंगलों की सुरक्षा वन समिति के लोग बखूबी कर सकते हैं। वनों की सुरक्षा की जिम्मेदारी गांव-गांव में समिति को सौंपा गया था, लेकिन समिति के कार्य ठप हो जाने के बाद से अब कोई मानिटरिंग जंगल में नहीं होती है। विभाग को चाहिए की तत्काल वन प्रभंधन समिति को तत्काल सक्रीय करना चाहिए साथ ही इनको प्रोत्साहित भी करना चाहिए एवं पूरे छत्तीसगढ़ में अधिकत्यों को निरंतर सर्चिंग करनी चाहिए तथा समिति के साथ हर माह बैठक वन विभाग के अधिकारीयों को करनी चाहिए साथ ही इन्हे जंगल की सुरक्षा के लिए हथियार देने का भी प्रावधान होना चाहिए।
ज़ाकिर घुरसेना
रायपुर। छत्तीसगढ़ के जंगल में अवैध लकड़ी कटाई चरम पर है। यहां कई ऐसे जंगल हैं, जहां बेरोक-टोक अवैध कटाई को अंजाम दिया जाता है। अवैध कटाई से पूरा छत्तीसगढ़ प्रभावित हो रहा है। छत्तीसगढ़ की सीमा से कई और अन्य प्रान्त के लकड़ी तस्कर बेखौफ होकर लकडिय़ों की अवैध कटाई में मस्त हैं। कई वन क्षेत्रों में बाहुबलियों का ही राज है जिनको अन्य प्रांतो के लोग जो छत्तीसगढ़ में रहकर नेतागिरी करते हैं उनका वरहदस्त प्राप्त होता है ,उनके शह में ये अपने अवैध काम को अंजाम देते हैं और तुरंत अपने प्रांतों में निकल जाते है वन अमला हाथ में हाथ धरे रह जाते हैं या फिर उनकी भी मिलीभगत होती है तभी तो अवैध रूप से वे पेड़ों की कटाई बेखौफ करते हैं। वन अमला भी इस पर ध्यान नहीं देता है क्योकि उन्हें छुटभैये नेताओ के कारण अपनी नौकरी जाने का भी भय बना रहता है। छुटभैये नेताओ के मिलीभगत से वे अवैध रूप से जंगलो को साफ करने में लगे हुए हैं।हालांकि अभी हाल में ही के खैर लकड़ी एवं कीमती लकड़ी तस्कर ट्रक सहित पकडे गए हैं लेकिन सवाल ये उठता है कि जब लकड़ी की अवैध कटाई हो रही थी तब विभागीय अधिकारी कर्मचारी कहाँ थे। वनकर्मचारियों की मिलीभगत से वन माफिया जंगल तक पहुंच रहे हैं और गांव के मजदूरों के सहारे जंगलों में अवैध कटाई को अंजाम दे रहे हैं। छत्तीसगढ़ के कई ऐसे वन मंडल हैं जहाँ इन बाहुबली लकड़ी तस्करों का बेरोकटोक काम चल रहा है अधिकारी सिर्फ छोटे कर्मचारियों के भरोसे वन बचाने की जुगत में लगे हुए हैं ।
लकड़ी तस्कर विभाग की पकड़ से बाहर
मजे की बात तो ये है कि वन विभाग के कर्मचारी अगर लकड़ी तस्करों को पकड़ भी लेते हैं उसके बावजूद अधिकारी उन तस्करों को गिरफ्तार नहीं कर पाते। ऐसे कई मामले हैं जिसमे मुखबिरों के माध्यम से वन कर्मचारियों ने तस्करों को पकड़ा है लेकिन नतीजा हमेशा की तरह नतीजा सिफर।
मुखबिर से वन विभाग को अवैध लकड़ी की सूचना मिलने पर विभाग के कर्मचारी तस्करों के घर में दबिश देकर अवैध चिरान लकड़ी से भरी कई ट्रकों को जब्त भी किया, लेकिन अब तक अपराधी को गिरफ्तार नहीं किया जा सका है। देखा गया है कि काफी तादात में तस्कर अब भी विभाग की पकड़ से बाहर हैं ।
लकड़ी तस्करी का नया तरीका
अभी यह भी देखा जा रहा है कि लकड़ी तस्करों ने वन विभाग के अधिकारी कर्मचारियों के साथ मिली भगत करके हाथी या अन्य खूंखार जानवरों का भय बताकर ग्रामीणों को जाने से रोकते हैं और झूठी खबर फैला देते हैं और लोगों की आवाजाही उस वन क्षेत्र में बंद हो जाती है फिर लकड़ी तस्कर अपना खेल शुरू करते हैं। अधिकारी राजधानी या जिला मुख्यालयों में बैठकर कार्ययोजना बनाते रहते हैं और तस्कर इत्मीनान से जंगल की सफाई करते हैं।यही नहीं कमोबेश पुरे छत्तीसगढ़ में लकड़ी तस्करी जोरों पर हो रही है। और तो और यात्री ट्रेनों से भी लकड़ी तस्करी की जा रही है।
प्रबंधन समितियों को तवज्जो नहीं
वन अपराध को रोकने के लिए वन ग्रामो में वन प्रबंधन समितियों का गठन किया था। समिति के माध्यम से अवैध कटाई रोका भी जा रहा था, लेकिन कुछ अफसरशाही की नशे में चूर डीएफओ ने इस समितियों को ही ख़त्म कर दिया और जहाँ है वहां अधिकारी इनको तवज्जो नहीं देते। वास्तव में वन प्रबंधन समिति ही एक मात्र ऐसे रक्षक हैं जो अवैध कटाई को रोकने में वन विभाग के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। लेकिन अधिकारीयों के उदासीन रवैये ने इन समितियों पर ध्यान नहीं दिया।कई अधिकारियों द्वारा अपने कार्यकाल में समितियों को तवज्जो नहीं दिया गया।तब से वन प्रबंधन समिति भी सुस्त है।
जंगलों की अंधाधुंध कटाई से से वन्य प्राणी गॉवों की ओर आते हैं और पालतू पशुओं सहित इंसानो को नुकसान पहुंचाते हैं। विभाग को अवैध लकडी तस्करों सहित उनको साथ देने वाले विभाग के अधिकारी कर्मचारी पर कड़ी करवाई करना चाहिए।
- मो. फिरोज,
वन्य प्रेमी एवं समाजसेवी
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