विश्वरंग के माध्यम से भारतीय पारंपरिक कला और संस्कृति का संरक्षण होगा : राज्यपाल
रायपुर। राज्यपाल अनुसुईया उइके आज अपने भोपाल प्रवास के दौरान रबीन्द्रनाथ टैगोर यूनिवर्सिटी द्वारा आयोजित टैगोर अंतर्राष्ट्रीय साहित्य एवं कला महोत्सव 'विश्वरंग 2022' के समापन समारोह में शामिल हुई। महोत्सव में राज्यपाल को टैगोर विश्वविद्यालय के कुलसचिव ने कविता संग्रह 'विजयी विश्व तिरंगा प्यारा' और बाल कविता कोश, विज्ञान कथाकोश पुस्तक तथा वनमाली कथा पत्रिका के नए अंक भेंट किये।
राज्यपाल उइके ने विश्वरंग के समापन कार्यक्रम को संबोधित करते हुए इस प्रतिष्ठित आयोजन के लिए विश्वरंग-2022 की पूरी टीम को साधुवाद दिया। उन्होंने कुशाभाऊ ठाकरे इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर में (पूर्व विधानसभा परिसर) अपने विधानसभा सदस्य रहते हुए बिताए पलों का भी स्मरण किया।
राज्यपाल उइके ने कहा कि महोत्सव में पद्म पुरस्कार, साहित्य अकादमी विजेताओं सहित विश्व के कवि, लेखक, कलाकारों, कला, साहित्य के विद्यार्थियों और गणमान्य नागरिकों का संगम हुआ है, जो निश्चित ही आधुनिक समाज को जीवन में साहित्य की प्रासंगिकता को समझाने का बेहतर अवसर उपलब्ध कराएगा। राज्यपाल सुश्री उइके ने कहा कि आज डिजिटल दुनिया की चकाचौंध ने युवा पीढ़ी सहित्य से दूर किया है। उन्होंने कविगुरू श्री रविंद्रनाथ टैगोर को याद करते हुए कहा कि वे बहु आयामी प्रतिभा के धनी थे और गद्य, पद्य, संगीत, चित्रकला, नृत्य जैसी अनेक विद्याओं में पारंगत थे। हमारी सनातन संस्कृति और गुरूदेव की चिंतन धारा एक ही रही है। टैगोर की रचनाओं को पूरे विश्व में विभिन्न भाषाओं में पढ़ा गया है। यह प्रसन्नता का विषय है कि आज उनके नाम पर साहित्य और कला महोत्सव मनाने के लिए हम एकत्रित हुए हैं। राज्यपाल ने कहा कि यह गौरव का विषय है कि विश्व रंग में हमारे प्रवासी भारतीयों के साथ-साथ विश्व के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों के प्रोफसर और विद्यार्थियों की भी सहभागिता रही है। इस वर्ष भी नीदरलैंड, रूस, फिजी़, श्रीलंका, कनाडा, उज्बेकिस्तान, सिंगापुर, आस्ट्रेलिया जैसे 35 देशों के प्रतिनिधि विश्वरंग महोत्सव में शामिल हुए हैं।
राज्यपाल ने विश्वरंग 2019 और 2020 की उपलब्धियों और आयोजन की सफलता को भी रेखांकित किया। राज्यपाल ने आगे कहा कि साहित्य किसी भी देश के जीवन, इतिहास, और संस्कृति का संपूर्ण भाग है। विश्व के विभिन्न देशों की एकजुटता और उसकी भावनाओं की एकरूपता में कला और साहित्य की बड़ी भूमिका है। भारतीय साहित्य ने हमेशा भाषाओं की विविधता का पालन -पोषण किया है। राज्यपाल सुश्री उइके ने महोत्सव की प्रमुख भाषा के रूप में हिंदी को मिले सम्मान पर अपनी प्रसन्नता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्वाभिमान के प्रतीकों में भाषा का प्रमुख स्थान है। हमारी सभ्यता ने हमेशा बौद्धिक स्वतंत्रता को अपनाया है और सांस्कृतिक बहुलवाद का उत्सव मनाया है। विश्वरंग हिन्दी और भारतीय भाषाओं का भव्य उत्सव है। विश्वरंग का उद्देश्य वैश्विक स्तर पर हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं को बढ़ावा देना है। उन्होंने देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी को राष्ट्रीय शिक्षा नीति की संकल्पना के लिए धन्यवाद देते हुए कहा कि इससे लाखों युवाओं को मातृभाषा में शिक्षा मिल पाएगी। मेडिकल और तकनीकी जैसे विषयों की हिंदी में पढ़ाई प्रारंभ करने की पहल को भी उन्होंने सराहा।
राज्यपाल ने अपने राष्ट्रीय महिला आयोग के कार्यकाल का उल्लेख करते हुए कहा कि महिलाओं के अधिकारों के संरक्षण और उनमें जागरूकता लाने के लिए आयोग की 50 प्रतिशत से अधिक सामग्रियां हिंदी में उपलब्ध कराने का कार्य उन्होंने किया था।
राज्यपाल सुश्री उइके ने कहा कि विश्वरंग-2022 में जनजातीय विषयों के महत्व को देखते हुए, एक अनूठी पहल के रूप में, आदिवासी साहित्य एवं कला महोत्सव का आयोजन भी किया गया है। जिसमें आदिवासी कला प्रदर्शनी एवं फिल्म भी दिखाई गई। उन्होंने कहा कि आदिवासी समाज का प्रकृति से गहरा रिश्ता है। आदिवासी कला कौशल, संस्कृति और ज्ञान को संरक्षित करने की दिशा में प्रयास आवश्यक है। हमारे समाज में वनवासी और आदिम जाति कितनी भी कठिन एवं विपरीत परिस्थितियों रही हो उन्होंने अपनी कला और संस्कृति को बनाये रखा है।
राज्यपाल ने कहा कि विश्वरंग में विश्व शांति एवं सद्भाव यात्रा, नेशनल पेंटिंग एक्जिबिशन, बाल साहित्य एवं कला महोत्सव, साहित्य, कला, संस्कृति और संगीत के विभिन्न सत्र बच्चों और युवाओं के लिए अनूठी सौगात रही है। साथ ही युवाओं को देखते हुए टेक्नोलॉजी, स्टार्टअप और उद्यमिता पर भी फोकस किया गया । उन्होंने कहा कि विश्वरंग समारोह के अंर्तगत महत्वपूर्ण सत्रों में विद्वतजनों की उपस्थिति से निश्चित रूप से इस आयोजन की सार्थकता बढ़ी है। भविष्य में, समाज में इसका व्यापक प्रभाव दिखाई देगा।
राज्यपाल उइके ने उपस्थित प्रबुद्धजनों से आग्रह किया कि नई पीढ़ी को कला संस्कृति और साहित्य के साथ ही मूल्यों की परंपराओं से अवगत कराने के लिए आप सभी का योगदान बेहद महत्वपूर्ण है। आज इन सांस्कृतिक मूल्यों में निरंतर गिरावट आ रही है और परिवार की परिभाषा सीमित हो गई है। सरकार के साथ ही समाज का भी दायित्व है कि वो आने वाली पीढ़ी को कला और संस्कृति के बारें में सीख प्रदान करें।
राज्यपाल उइके ने अपने संबोधन के अंत में कहा कि विश्वरंग से साहित्य, शिक्षा, संस्कृति और भाषा में काम करने वाले रचनाकारों के बीच वैश्विक विमर्श शुरू होगा। डिजिटल क्रांति के दौर में सांस्कृतिक मूल्यों के स्थायित्व के लिए यह अति महत्वपूर्ण है। विश्वरंग के माध्यम से भारतीय पारंपरिक कला और संस्कृति का संरक्षण होगा। भारतीय संस्कृति के मूल्यों के प्रचार प्रसार के लिए यह उल्लेखनीय आयोजन है।