छत्तीसगढ़

अर्पण की धरती भारत

Nilmani Pal
14 Aug 2024 10:25 AM GMT
अर्पण की धरती भारत
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रायपुर raipur news। जनता से रिश्ता के पाठक रोशन साहू 'मोखला' (राजनांदगांव) ने सुंदर पंक्ति ई मेल किया है। chhattisgarh news

राम कृष्ण की अमर गाथा,यह बुद्ध की धरती है।

महावीर का शून्य भाव,सकल रिक्तिता भरती है।

आध्यात्म की भाषा गढ़ती, जीवन की परिभाषा।

भौतिकता में न कभी ये, संलिप्त हुआ करती है।

वीर शिवा का शौर्य गान सुन,सिंह भी दुबका जाए।

सुभाष भगत की बलिदान गाथा, नील गगन गाए।

रानी लक्ष्मी,त्याग पन्ना ,मिलता है दिशा को दिशा।

मनुजता का उत्कर्ष यहाँ, सब देवों को भी भाए।

ललाट रक्तिम कर्मभूमि ये,अभिनन्दन की धरती है।

साहस धीरज ही सदा-सदा, जीत वरण करती है।

निर्झर झरता ॐ चिरमृत, अनहद गुंजित नाद यहॉं।

कण-कण पावन आर्यावर्त ,दुनिया नमन करती है।

टेक यहाँ सूर तुलसी के,पद मीरा झंकृत करती है।

रैदास, नानक,दादू ,मुलुक, अन्तस डूब उतरती है।

पनघट गातीं अलबेलियां,करे अमराई अटखेलियाँ।

भोर भैरवी ,सांध्य यमन,जैजयवन्ती जय करती है।

अजेय अगेय सदा-सदा,प्राणों में प्राण संचरती है।

संस्कृति निधि छलकती,जीवन सतरंगी करती है।।

अंकों के झंझावातों में,जग को शून्य दिया जिसने।

नित अर्पण की धरती ये,नित अर्चन की धरती है।।

कृतज्ञ हो माथ नवाते तब,धरती में चरण पड़ते हैं।

तब ऋषि कृषि वेदाधार ज्ञान,चन्द्र में पग धरते हैं।

पंचभूतों को शीश नवायें,और तो कोई देश नहीं ।

वसुधैव कुटुम्बकं चरितार्थ,जन मन सदा करते हैं।

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