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53 करोड़ कैश आयकर विभाग ने किया जब्त, जूता कारोबारी के खुलेंगे काले चिठ्ठे

Nilmani Pal
21 May 2024 1:19 AM GMT
53 करोड़ कैश आयकर विभाग ने किया जब्त, जूता कारोबारी के खुलेंगे काले चिठ्ठे
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अधिकारी ने दी जानकारी

यूपी। आगरा जिले में जूता कारोबारी के ठिकानों पर 56 घंटे की छापेमारी में कुल मिलाकर लगभग 56 करोड़ रुपये की नगदी मिली है। यहां लगभग 53 करोड़ रुपये की नगदी विभाग ने गिन ली है। इस नगदी से कुल 11,200 गड्डियां बनीं जिनको सरकारी अभिरक्षा में पहुंचा दिया गया है। विभागीय सूत्रों ने बताया कि इन इकाइयों द्वारा अपने रिटर्न में जो आय दिखाई जा रही, उसमें टर्नओवर का बड़ा हिस्सा छिपाया जा रहा है। आईटी को कुछ पर्चियां लगी है जिससे लेनदेन के सच बाहर आ सकते हैं।

करोड़ों की संपत्ति जब्त होने की खबरों के बाद शहर के अनेक जूता कारोबारियों में बेचैनी देखी गई। अनेक लोग अपनी पर्ची आयकर विभाग के हाथ लगने की आशंका से डरे हुए हैं। वहीं अनेक लोगों को अपनी रकम फंसती नजर आ रही है। हरमिलाप ट्रेडर्स के यहां छापा पड़ने के बाद सवाल उठ रहे हैं कि जिन कारोबारियों की पर्चियों को उन्होंने भुनाया था, उनका भुगतान कैसे होगा।

सन 2024 की आयकर सर्च में सामने आईं आगरा के फुटवियर उद्योग की पर्चियां कोई नई नहीं हैं। इनका अस्तित्व लगभग छह दशक पहले आया था। उस समय भी उधार का रुक्का लिखने की परंपरा थी। और उस समय पर्चियों को खरीदने वाले दलाल भी सक्रिय थे। इस सिस्टम ने पूरे सेक्टर को फर्श से अर्श तक पहुंचाने में अहम रोल अदा किया। चंद रुपयों से दुकान चलाने वाले करोड़ों रुपये में खेलने लगे। आगरा शू फैक्टर्स फेडरेशन के संस्थापक अध्यक्ष स्व. राजकुमार सामा की पुस्तक मेरी कहानी मेरी जुबानी में इसका विस्तार से वर्णन है। इसमें सामा ने लिखा है कि उन्होंने ही परचा सिस्टम शुरू किया। प्रिंटेड पर्ची पर सीरियल नंबर देते हुए दो या तीन महीने के बाद की तारीख पर लिखी हुई धनराशि देने का वायदा था। खास बात यह थी कि परचा कोई भी लेकर आ सकता था। उसको यह रकम मिल जाती थी।

56 करोड़ रुपये की नगदी मिलने से अब तक सर्वाधिक चर्चित बनी आयकर की इस सर्च के लिए बोगस खरीद और खर्चों के क्लेम भी कारक बने। इन इकाइयों के द्वारा खरीद को अपंजीकृत व्यापारियों से किया गया और उसको सिस्टम या लेखा पुस्तकों का हिस्सा भी बनाया गया। विभाग के समक्ष दिए जाने वाले रिटर्न में बड़े पैमाने पर बोगस खर्च क्लेम किए गए। इसके कारण विभाग की शक की सुई इनकी तरफ घूम गई। आशंका जताई जा रही है कि इस सर्च के बाद परचा सिस्टम का अस्तित्व बरकरार रख पाना आसान नहीं होगा। एक बड़ी मुश्किल उन लोगों के लिए होगी जिनके द्वारा जारी परचे इन फुटवियर के यहां मिले हैं।

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