रायपुर. राष्ट्रसंत ललितप्रभ सागर जी महाराज के सार्थक जीवन पर आधारित प्रवचन का आज हजारों लोगों ने लाभ उठाया. शंकरनगर स्थ्ति बीटीआई ग्राउण्ड में आयोजित तीन दिवसीय प्रवचनमाला के दूसरे दिन श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए संतश्री ने कहा कि जो जीवन से चला गया, उसके लिए भगवान को दोष ना दीजिए बल्कि जो बचा हुआ है, उसके लिए ईश्वर के प्रति श्रद्धा और धन्यवाद रखिए. उन्होंने कहा कि हमेशा जीवन में सकारात्मक और उम्मीद से भरे रहिए. आधा गिलास को आधा भरा हुआ मानकर चलिए. धैर्य और शांति मत खोइए.
महाराजश्री के साथ मंच पर संतश्री शांतिसागर जी महाराज भी उपस्थित थे. अपने प्रवचन को आगे बढ़ाते हुए राष्ट्रसंत ललितप्रभ सागर जी महाराज ने स्त्री शक्ति का सम्मान रखते हुए अनमोल बात कही. उन्होंने कहा कि बेटी का बाप हमेशा बड़ा रहता है क्योंकि वह कन्यादान करता है. एक 20-21 साल की बेटी अपना पीहर छोड़कर ससुराल जिंदगी भर के लिए आ जाती है, किसी लड़की से आप और क्या बलिदान चाहते हैं. संतश्री ने उपस्थित सासुओं और बहुओं को ज्ञानमार्ग बताते हुंए कहा कि सास को बहू को मां की तरह पालना चाहिए और मां को अपनी बेटी को सासू बनकर संवारना चाहिए. सप्ताह में एक दिन सास और बहुओं को एक साथ मिलकर गृहकार्य करना चाहिए. इससे आत्मीयता और सम्मान बढ़ता है.
संतश्री ललितप्रभ सागर जी महाराज ने निर्जीव वस्तुओं को सामने लाते हुए कहा कि दुनिया में कोई दीवार अकेले नही होती बल्कि वे एक दूसरे का बोझ ढोकर खड़ी रहती हैं. पंखा से सीखिए कि हमेशा कूल कूल रहना चाहिए. घड़ी से सीखिए कि समय के हिसाब से आगे बढते रहिए. कैलेण्डर से सीखिए कि वक्त के हिसाब से चलिए. पर्स से सीखिए कि जीवन में कुछ न कुछ बचा रहे. उन्होंने समय का महत्व समझाते हुए कहा कि जमाने के हिसाब से, समय के हिसाब से बदलिए वरना नोकिया कंपनी होकर रह जाएंगे. यह मोबाइल सबसे पहले आया लेकिन उसने अपने आपको बदला नही इसलिए आउट आफ मार्केट हो गया.
राष्ट्रसंत ललितप्रभ सागर जी महाराज ने आगे कहा कि सभी को अपना व्यवहार शिष्ट, ईष्ट, मिष्ट रखना चाहिए ताकि आप समाज में विशिष्ट बन सकें. कोई दिशा अशुभ नही होती. सिर्फ आपकी दशा और नजरिया बड़ा हो जाए तो सब कुछ शुभ शुभ होगा. जिंदगी में सिर्फ जीत का ही नही हार का भी मजा लीजिए. राष्ट्रसंत ललितप्रभ सागर जी महाराज ने अपने प्रवचन में घर गृहस्थी और रिश्तों की ऐसी जुगलबंदी पेश की कि उपस्थित पुरूष और महिलाओं की आंखें भींग गई. उन्होंने कहा कि संयुक्त परिवार में रहना सीखिए क्योंकि सारी शक्ति साथ रहने में है, टूटकर रहने में नहीं. उन्होंने आयोजक मनोज कोठारी की प्रशंसा की कि उन्होंने इस आयोजन में पूरी टीम को लेकर कार्य कर रहे हैं.
उन्होंने कहा कि जिंदगी में कभी किसी का अपमान मत करना. अपमान कर दे तो बुरा मत मानना और यदि बुरा मान लिया तो उसका बदले की भावना से कभी नुकसान नही करना. महाभारत इन्हीं तीन कारणों से हुई. किसी की अवांछित टिप्पणी, अपमान, अनदेखी का बुरा मत मानिए. याद रखिए कि जो मेरा है वो जाएगा नही, और जो चला गया वो आएगा नही. जिंदगी में जिससे जितना योग होता है, उतना ही बना रहता है. जो हो गया, उसका रोना नही. सोचना नही.
प्रवचन के पहले राष्ट्रसंत ललितप्रभ सागर जी महाराज तथा संतश्री शांतिसागर जी महाराज का स्वागत अभिनंदन किया गया. आज के विशिष्ट अतिथि जयपुर से पधारे पापुलर प्रेस के मालिक निर्मल जी गोयल उपस्थित थे जिनका सम्मान महाराज साहब ने मंच पर बुलाकर किया. इसके अलावा रायपुर उत्तर के विधायक कुलदीप जुनेजा जी भी आज प्रिवचन सुनने पहुंचे और महाराजश्री का आर्शीवाद लिया. महाराजश्री आज अनुपमनगर स्थित राज बोथरा जी के निवास पर पहुंचे तथा परिजनों को आर्शीवाद दिया. इसके अलावा महाराजश्री ने उत्तम चंद संजय जी गिडिया के यहां नवकारसी ग्रहण की।
आज प्रातःकाल महाराजश्री का स्वागत जैन श्री संघ शंकर नगर के पदम जी बाफना, अभय जी पारख, राजेंद्र जी चौराडिया विजय जी मुनोत फूल चंद नाहटा ने किया . द्वारा शंकरनगर स्थित 'आईनेत्रा में किया गया. इसमें शंकर नगर महिला मंडल, वामा महिला मंडल, सखी महिला मंडल और भक्ति बहू मंडल 108 कलश के साथ, ढोल नगाड़ों के साथ शामिल हुए.
जानते चलें कि शंकरनगरकर नगर स्थित बीटीआई मैदान में मनोज कोठारी के संयोजकत्व में ललितप्रभ जी तथा शांति प्रिय सागर जी महाराज की तीन दिवसीय प्रवचनमाला चल रही है जिसका कल 17 सितंबर को अंतिम दिन है. कल ही भजन संध्या रखी गई है जिसमें शामिल होकर श्रद्धालु गायक राज बाफना, ओसियां धाम टप्पा के साथ महिला मंडलो की भी प्रस्तुति के भजनों का आनंद उठा सकते हैं. आज प्रवचनमाला के दौरान समिति द्वारा ब्लड डोनेशन कैम्प भी आयोजित किया गया.