बुलंदी किस शख्स के हिस्से में रहती है, बहुत ऊंची इमारत हर घड़ी खतरे में रहती है
ज़ाकिर घुरसेना/ कैलाश यादव
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भाजपा के नए प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव को बधाई दी। साथ ही यह भी जोड़ दिया कि विष्णुदेव साय भी आदिवासी हैं। कम से कम उनको आदिवासी दिवस के दिन नहीं हटाना था। राज्य के बड़े भू-भाग में आदिवासी संस्कृति पुष्पित पल्लवित है। कम से कम आदिवासी दिवस के दिन ऐसा अप्रिय निर्णय नहीं लेना था। जनता में खुसुर-फुसुर है कि चेहरा बदल कर भाजपा सत्ता में वापसी करेगी,आदिवासी वोट बैंक में जो संदेश गया उसे ओबीसी वाले भी देख रहे है। वहीं रमन सरकार से जुड़े किसी भी नेता को संगठन में उच्च पद पर पदोन्नत नहीं करना इस बात की प्रमाणिकता है कि रमन सरकार के 20 दिग्गज नेताओं के दिन लद गए । संघ से जुड़े नेताओं की अब भाजपा में तूती बोलेगी। भाजपा में बने रहने के लिए बिना जनाधार वाले नेता के हां में हां मिलाना पड़ेगा, इससे और छोटी लाइन और क्या होगी। कभी सरकार के कर्ताधर्ता कहे जाने वाले, अब लूप लाइन में मार्गदर्शक की भूमिका में रहेंगे।मशहूर शायर मुनव्वर राणा का एक शेर याद आया बुलंदी किस शख्स के हिस्से में रहती है, बहुत ऊंची इमारत हर घड़ी खतरे में रहती है।
मुफ्त की रेवड़ी घातक या पाचक
पिछले महीने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि मुफ्त की रेवड़ी कल्चर देश के लिए बहुत घातक है। इसके साथ ही उन्होंने देश के विकास में नकारात्मक प्रभाव डालने वाली बातों को दूर करने पर जोर दिया था। साथ ही भाजपा के ही एक सांसद ने गैर भाजपा शासित राज्य सरकारों द्वारा दिए जा रहे मुफ्त की योजनाओं को बढ़ते कर्ज तथा मुद्रास्फीति के पीछे इसे एक कारण बताया। मतलब जहां भाजपा की सरकार नहीं वहां मुफ्त की योजना देश की अर्थ व्यवस्था के लिए ठीक नहीं है। इसी प्रकार 3 अगस्त को भाजपा सांसद सुशील मोदी ने देश में राजनीतिक दलों के द्वारा मुफ्त उपहार देने की प्रथा पर अंकुश लगाने पर चर्चा करने की मांग की थी। इन सब बातों को लेकर भाजपा सांसद वरुण गांधी ने सवाल भी किया था कि क्यों न चर्चा की शुरूआत सांसदों को मिलने वाली पेंशन सहित अन्य सभी सुविधाएं खत्म करने से हो। यानी सरकारी खजाने पर क्या पूंजीपतियों का ही हक़ है गरीबों का नहीं? मेहुल चौकसी और ऋषि अग्रवाल जैसे अन्य उद्योगपतियों का 10 लाख करोड़ का लोन माफ किया गया है। क्या फ्र ी में रेवड़ी खाने वाले ये लोग नहीं हैं। सरकारें गरीबों के लिए योजनाएं लाती है क्या यह भी फ्र्री की रेवड़ी तो नहीं। जनता में खुसुर फुसुर है कि बिजली मुफ्त, राशन मुफ्त, पानी मुफ्त तो सांसदों और विधायकों के पेंशन भी मुफ्त है, इस पर भी रोक लगना चाहिए। साथ ही लोन माफ की परंपरा हटनी चाहिए ये भी मुप्त की रेवड़ी ही है।
भूपेश सरकार का घेरने में असफल रहा भाजपा
भाजपा संगठन में बड़े नेताओं की भीड़ होने के बाद भी किसी भी बड़े मुद्दे पर भूपेश सरकार को घेरने में असफल होने के कारण आसन्न चुनाव के मद्देदनजर केंद्रीय नेतृत्व ने ओबीसी वर्ग और संघ के जुड़े नेता बिलासपुर सांसद अरूण साव को प्रदेश की कमान सौंप कर हरियाणा की खट्टर सरकार वाली छवि देख रही है। खट्टर भी संघ से जुड़े रहकर ऐन चुनाव से समय फ्रंट लाइन में आ गए और सरकार बनी तो सीएम बनाए गए । भूपेश सरकार के खिलाफ भाजपा पौने चार साल में कोई बड़ा मोर्चा नहीं खोल पाया। इससे नाराज हाई कमान ने नेतृत्व बदलने का फैसला लिया। जनता में खुसुर-फुसुर है कि प्रदेश की जनता भूपेश है तो भरोसा है के नारे से इस कदर जुड़ गई है कि उसे भूपेश के अलावा कोई बड़ा नेता छत्तीसगढ़ में दिखाई नहीं दे रहा है। ऐसे में साव साहब भूपेश को रोकने संघ की कितनी मोटी दीवार खड़ी करते है यह तो वक्त बताएगा। अभी तो भाजपाइयों को भी समझ नहीं आ रहा है कि अरूण का उदय कितने नेताओं को अस्तांचल भेजेगा।
गोधन योजना का दिल्ली में बज चुका है डंका
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की योजनाओं का डंका अब दिल्ली में भी बजने लगा है। सीएम सम्मेलन में पीएम नरेंद्र मोदी ने जमकर तारीफ कर भाजपाइयों की बोलती बंद कर दी है। भूपेश सरकार नरवा,गरवा, घुरवा, बाड़ी के बाद गौधन योजना लांच कर खेती किसानी से जुड़े गोपालक परिवार के लिए कमाई का एक और रास्ता खोल दिया है। जिसका प्रत्यक्ष उदाहरण भेंट मुलाकात में दिखाई दिया। जिसमें महिलाओंं ने गहने खरीदने, पति के लिए मोटरसाइकिल खरीदने, कर्ज से घर को छुड़ाने की बात सीएम के सामने रखी और योजना के लिए साधुवाद दिया। जनता में खुसुर-फुसुर है कि अरूण साव सीएम भूपेश की किस योजना को मुद्दा बनाएंगे क्योंकि सभी योजनाओं को केंद्र सरकार से पिछले चार सालों से पुरस्कार मिल रहा है। ऐसे में भाजपा को कोई नया मुद्दा तलाशना होगा । कम समय में अधिक मेहनत तो करना ही पड़ेगा साथ ही भूपेश सरकार के खिलाफ ऐसा मुद्दा लाना पड़े जो चुनावी वैतरणी पार कर सके।
आदिवासियों पर कौन मेहरबान
पिछले दिनों विश्व आदिवासी दिवस मनाया गया। इस अवसर पर छत्तीसगढ़ में प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आदिवासी समुदाय के दो सगे भाई बहनों को सरकारी नौकरी के नियुक्ति आदेश प्रदान किये। वहीं दूसरी ओर इसी दिन प्रदेश भाजपा के आदिवासी अध्यक्ष विष्णुदेव साय को हटा दिया गया। यानी आदिवासी दिवस के अवसर पर एक आदिवासी बाजी मार दिया और दूसरा आदिवासी के हाथ से बाजी छूट गया। वैसे साय को केंद्र स्तर पर बड़ी जिम्मेदारी मिलने की उम्मीद तो है, बहरहाल जिम्मेदारी जब मिलेगी, लेकिन ये जिम्मेदारी अगर आदिवासी दिवस के दिन की मिल जाती तो बल्ले-बल्ले हो जाता। जनता में खुसुर-फुसुर है कि आदिवासियों पर कौन मेहरबान केंद्र या राज्य। राज्य में 2024 में विधानसभा का चुनाव होना है, ऐसे में किसका कार्ड वोट कार्ड बनेगा यह सवाल उठने लगा है?