प्रधानमंत्री मोदी के चुनावी बिगुल के दौरे में छुटभैये नेता कर रहे कबाड़ा
रायपुर। भारतीय जनता पार्टी का छत्तीसगढ़ में पहला चुनावी बिगुल फूंकने के लिया भाजपा के वरिष्ठ नेता और भारत देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कल रायपुर छत्तसीगढ़ आगमन पर भाजपा के छुटभैय्या नेता अपनी नेतागिरी को सही और सटीक बताने में कोई कसर बाकी नहीं रख रहे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को गलत समय पर छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर बुलाकर अपनी पार्टी की हर तरीके से किरकिरी और दुर्गति करने में आतुर हो रहे है, प्रस्तावित रैली में कम से कम 3 से 4 लाख लोगों के आने की व्यवस्था ऊपर स्तर के पदाधिकारियों ने कर रखी थी। लेकिन अब संभावना एक लाख लोगों के अंदर आने की लग रही है वो भी बड़ी मुश्किलों से क्योंकि बरसात के मौसम होने के कारण और इस समय छत्तीसगढ़ में बुवाई कार्य तेजी से चल रहा है। जिसके चलते प्रदेश के ग्रामीण जनता का आना बहुत मुश्किल लग रहा है। यही हाल विज्ञापन की सेटिंग को लेकर है जोर-शोर से चर्चा मीडिया जगत में है कि आधे-आधे कमीशन के आधार पर भाजपा के छूटभैया नेताओं ने विज्ञापन जारी करा दिया और जहां पर स्पष्ट रूप से किसी भी प्रकार की कमीशन खोरी नहीं हो रही है वहां पर विज्ञापन जारी नहीं किया गया ऐसा ही एक उदाहरण हमारी संस्था के साथ भी किया गया है। एक भाजपा के बड़े नेता ने नाम ना छपने के शर्त पर बताया कि प्रधानमंत्री जैसे बड़े नेताओं का कार्यक्रम आनन-फानन में तय कर छत्तीसगढ़ की चुनावी रणनीति को धक्का लगाने जैसा प्रतीत होता है, क्योंकि ये वक़्त नहीं है जिसमें भारी सफलता वाली आमसभा कराने का। अगर छत्तीसगढ़ में मूसलाधार बारिश का अनुमान मौसम विभाग का सच हो जाएगा तो आम सभा को बुरी तरह से रद्द भी करना पड़ सकता है। जिससे छत्तीसगढ़ की भाजपा को शर्मनाक स्थिति का सामना करना पड़ सकता है। वैसे तो सभा स्थल पर भारी व्यव्स्था कार्यकर्ताओं के लिए की गई है। पूरे पंडाल और सभा स्थल के टेंट सभी वाटरप्रूफ है और कीमती है। बड़े नेताओं ने बड़ी मेहनत और जतन से दिन-रात एक करके ताबड़तोड़ तैयारी की है और किसी भी प्रकार की आम सभा में खलल पैदा ना हो इसका ख्याल भी बड़े नेताओं ने रखा है।
गौरतलब है कि किसी नेता के आगमन और चुनाव आते ही छुटभैये नेता अपना जलवा दिखाने लगते हैं। छुटभैय्या नेताओं की हद तो तब हो गई कि वे छत्तीसगढ़ के मूल निवासी भी नहीं है और तो और भाजपा के पुराने सदस्य भीं नहीं है और ना ही उनके पुरखों ने कभी भाजपा के लिए किसी भी प्रकार का समर्थन और नेतागिरी नहीं की और झंडा तक नहीं उठाया है। ऐसे नेतागण पुराने भाजपाइयों के उपेक्षाकर अपने आपको सबसे बड़े प्रदेश के नेता साबित करने में लगे हुए है। ऐसे में पुराने भाजपा के कर्मठ नेताओं की नारजगी के साथ घर में बैठे रहने की संभावना अधिक है। छुटभैय्या नेताओं का गिरोह संगठन में वर्चस्व दिखाने में कोई भी कसर बाकी नहीं रख रही है और किसी को कुछ भी नहीं समझते और तो और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रायपुर दौरे पर छुटभैये नेता पत्रकारों को पास देने में भी कोताही बरत रहे हैं। अपने अपने लोगों को ही चेहरा देख कर पास देने बोल रहे हैं। इसमें भी छुटभैये नेता सिर्फ यह देख रहे हैं कि कौन पत्रकार हमारी विज्ञप्ति छापते है उन्ही को वे पास देने की अनुशंसा जनसम्पर्क अधिकारी और कलेक्टर से कर रहे हैं। नतीजा ये हुआ की समाचार लिखे जाने तक 10 बजे तक पत्रकारों को जनसम्पर्क कार्यालय में भटकते देखा गया है। और किसी भी पत्रकार को प्रवेश पत्र नहीं मिल पाया है।