छत्तीसगढ़

लंपी वायरस कंट्रोल में, पशु चिकित्सा विभाग के दावे को ग्रामीणों ने किया खारिज

Nilmani Pal
18 Aug 2023 4:33 AM GMT
लंपी वायरस कंट्रोल में, पशु चिकित्सा विभाग के दावे को ग्रामीणों ने किया खारिज
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कोरिया। छत्तीसगढ़ के कई इलाकों में एक बार फिर लंपी वायरस का प्रकोप देखने को मिल रहा है. मवेशियों में लंपी वायरस तेजी से फैल रहा है. कोरिया जिले में भी गौवंश में लंपी वायरल के लक्षण देखने को मिले हैं.जो क्षेत्र में तेजी से पांव पसार रहा है.विशेषज्ञों की माने तो लंपी वायरस एक से दूसरे मवेशी में तेजी से फैलता है.कई जगहों पर लंपी बीमारी फैलने के बाद कंट्रोल भी किया गया है. पशु चिकित्सकों के मुताबिक जिले में 80 फीसदी पशु बीमारी से ठीक हो चुके हैं.लेकिन गौसेवकों की माने तो जितने दावे किए जा रहे हैं उतना काम जमीनी स्तर पर नहीं होता है.

लंपी वायरस यानी गांठदार त्वचा रोग मवेशियों में होने वाला एक संक्रामक रोग है. जो एक तरह की स्किन डिसीज है. बीमारी त्वचा में गांठ बनने से शुरू होती है. गांठें घाव बनने लगती हैं. इसे मेडिकल लैंग्वेज में एलएसडीवी भी कहा जाता है. यह पॉक्सवीरीडे फैमिली के एक वायरस के कारण होता है. इसे नीथलिंग वायरस भी कहा जाता है. यह रोग त्वचा और श्लेष्मा झिल्ली पर बुखार, लिम्फ नोड्स और कई नोड्यूल के रूप में हो सकता है. इस वायरस से ग्रसित पशु को बुखार आना,आंखों में पानी बहना, लार बहना, शरीर पर गांठें, वजन घटना, भूख नहीं लगना, घाव बनना,दूध में कमी जैसे लक्षण दिखाई देते हैं.

लंपी वायरस मच्छर, मक्खी, परजीवी कीट, गंदा पानी, दूषित भोजन, संक्रमित पशुओं के लार के संपर्क में आने से फैलता है. बैकुंठपुर पशु चिकित्सालय में एवीएफओ अमर सिंह श्याम ने बताया कि क्षेत्र में 70 से 80% गोवंश को लंपी वायरस से ठीक किया गया है. डॉक्टरों की टीम डोर टू डोर जाकर बीमारी की रोकथाम के लिए जागरूकता के साथ ट्रीटमेंट दे रही है.

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