छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ में संघ प्रमुख मोहन भागवत बोले, हमें किसी का धर्म परिवर्तन नहीं बल्कि जीना सिखाना है, देखें वीडियो

jantaserishta.com
20 Nov 2021 2:59 AM GMT
छत्तीसगढ़ में संघ प्रमुख मोहन भागवत बोले, हमें किसी का धर्म परिवर्तन नहीं बल्कि जीना सिखाना है, देखें वीडियो
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रायपुर: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत (RSS Chief Mohan Bhagwat) ने शुक्रवार को धर्मांतरण कराने में शामिल लोगों और संस्थाओं को इशारों-इशारों में चेतावनी दी. भागवत ने कहा कि हमें किसी का मतांतरण नहीं करवाना है, बल्कि जीने का तरीका सिखाना है. ऐसी सीख सारी दुनिया को देने के लिए हमारा जन्म भारत भूमि में हुआ है. हमारा पंथ किसी की पूजा पद्धति, प्रांत और भाषा बदले बिना उसे अच्छा मनुष्य बनाता है. कोई किसी को बदलने या मतांतरण की चेष्टा न करें, सबका सम्मान करें.

मोहन भागवत शुक्रवार को मुंगेली जिले के मदकूद्वीप (Ghosh Shivir in Chhattisgarh) में आरएसएस की तरफ से आयोजित कार्यक्रम को संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने अपने संबोधन में समाज, पर्यावरण और भारत की संस्कृति के अलावा धर्मांतरण पर भी कई अहम बातें कहीं. भागवत ने कहा, दुनिया के कई देश मानते हैं कि हम एक जैसे होंगे तब एक होंगे. विदशी मानते हैं कि अगर अलग-अलग होंगे तो हम अलग हो जाएंगे. मगर एक सा होने की जरूरत नहीं है. हमारी कई भाषाएं हैं, राज्य हैं, जाति-उपजाति सभी की विशेषता है. यह सभी एक सुंदर देश बनाती हैं. एक देश को पूर्ण करती हैं.


भागवत ने आगे कहा- हमें संपूर्ण दुनिया को बताना है कि संतुलन के साथ चलना और विविधता का सम्मान करना हमारे देश और हमारी विशेषता है. किसी को बदलने की चेष्टा मत करो, सभी का सम्मान करो, विविधता के साथ चलो. हमारे पूर्वज कई देशों की यात्रा पर गए मगर कभी किसी पर अपनी पूजा नहीं थोपी. मोहन भागवत ने आगे कहा कि इस भारत देश का एक ही धर्म है और वह है सत्य. हमने पूरे विश्व को परिवार मानने, सभी विविधताओं का सम्मान करने, घट-घट में राम का वास है परमात्मा का वास है ये सत्य संपूर्ण दुनिया को दिया है. कभी इसका श्रेय भी नहीं लिया, उन्हें बेहतर बनाया.
मोहन भागवत ने कहा कि हमसे हमेशा लड़ाई करने वाले चीन के लोग भी यह कहते हुए नहीं सकुचाते कि 2 हजार साल पहले चीन पर अपनी संस्कृति का प्रभाव भारत ने जमाया था यह उनके लिए एक सुखद याद है क्योंकि हमने अपनी पूजा के तरीकों को उन पर नहीं थोपा. हम सबमें भावात्मक एकता आनी चाहिए. हमारी आवाज अलग-अलग हो सकती है. रूप अलग-अलग हो सकते हैं लेकिन, सुर एक होना चाहिए. हम सबका मूल एक आधार पर टिका है.
भागवत ने धर्म ग्रंथों का उदाहरण देते हुए कहा- सदियों से यह चला आ रहा है कि हम पराई स्त्री को माता मानते हैं और दूसरे का धन संपदा हमारे लिए कीचड़ के समान है. हमको खुद जिस बात से बुरा लगता है, हम दूसरों के साथ वैसा व्यवहार कतई नहीं करते. हमारे अपने नागरिक अधिकार हैं. संविधान की प्रस्तावना है. हमारे नागरिक कर्तव्य भी हैं. इन सभी बातों को हमें गंभीरता के साथ लेना चाहिए.
मोहन भागवत ने यहां शेर और बकरी की एक कहानी सुनाई. उन्होंने बताया कि जंगल में कुछ गडरिए रहा करते थे जब वह अपनी भेड़ों के साथ जंगल में पहुंचे तो उन्हें शेर का एक बच्चा मिला. उसकी मां को शिकारियों ने मार दिया था. शेर के बच्चे की आंखें भी नहीं खुली थी, गडरिया को दया आई वह शेर के बच्चे को अपने साथ लेकर आ गए. उसे बकरियों का दूध पिलाया और बकरियों के बीच ही पाला.
शेर भेड़-बकरियों के बीच बड़ा हुआ तो खुद को बकरी समझने लगा. एक दिन वो बरकियों के साथ जंगल गया हुआ था वहां दूसरा शेर उसे मिल गया यह देखकर वह डर गया. दूसरे शेर से जीवन की भीख मांगने लगा. दूसरे शेर ने कहा मेरे साथ चलो वह उसे तालाब के किनारे ले गया और पानी में उसका चेहरा दिखाया. तब भेड़-बकरियों के बीच पले शेर को समझ आया कि वह भी एक शेर है. उसने दहाड़ लगाई ये उसके जीवन की पहली दहाड़ थी. इसे सुनकर गड़रिए कभी जंगल की तरफ नहीं गए.
आरएसएस प्रमुख ने आगे लोगों से कहा कि अपने आप को पहचानो, हम उन ऋषियों के वंशज हैं जिन्होंने पूरी दुनिया को परिवार मानने का संदेश दिया. हमारा सत्य विविधताओं में मिल-जुल कर रहना सिखाता है. यही हमें अच्छा मनुष्य बनाता है और यही सत्य हमें संपूर्ण दुनिया को बताना है. हिंदू धर्म इन्हीं विशेषताओं से भरा हुआ है हमें यह बातें दुनिया को सिखानी है पूजा करने का तरीका नहीं यह जीने का तरीका है. हम बलशाली बनेंगे तो बचेंगे कलयुग में संगठन ही शक्ति है, समाज यदि मिलकर रहेगा तो यह हमें और ज्यादा शक्तिशाली भी बनाएगा.

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