संक्रमण से बचाव के लिए विशेषज्ञों ने दिए महत्वपूर्ण सुझाव
दुर्ग। चंदूलाल चंद्राकर स्मृति (सीसीएम) शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय में इन्फेक्शन प्रिवेंशन वीक (संक्रमण रोकथाम सप्ताह) के अंतर्गत संक्रामक रोगों पर आधारित संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस अवसर संक्रमण के प्रकार व इससे बचाव के उपायों पर विस्तृत चर्चा की गई। वहीं संक्रमण से बचाव के लिए महज 20 सेकंड की महत्वपूर्ण विधि से होने वाले स्वास्थ्यगत लाभ की जानकारी दी गई।
संक्रमण से बचाव संबंधी प्रयासों को गति प्रदान करने के उद्देश्य से इन्फेक्शन प्रीवेंशन वीक हर साल अक्टूबर महीने के तीसरे सप्ताह में शुरू होता है। इस साल यह 14 से 20 अक्टूबर के मध्य मनाया जा रहा है। इसी कड़ी में चंदूलाल चंद्राकर स्मृति (सीसीएम) शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय में आयोजित संगोष्ठी कार्यक्रम का संयोजन डॉ. ऋचा तिग्गा, डॉ. रश्मिका दवे व डॉ. पी. अनुषा ने किया। माइक्रो बायोलॉजी विभाग द्वारा आयोजित इस संगोष्ठी में अधिष्ठाता, अस्पताल अधीक्षक, सभी विभागाध्यक्ष एवं कई चिकित्सक शामिल हुए।
इस दौरान विशेषज्ञों ने बतायाः कोविड-19 की महामारी के बाद आम लोग भी अब शारीरिक व आसपास के वातावरण की साफ सफाई का महत्व समझने लगे हैं। विशेषकर कोरोना संक्रमणकाल में लोगों ने बड़ी मात्रा में मास्क, सैनिटाइजर व ग्लब्स का प्रयोग किया। इसी तरह संक्रामक रोगों से बचाव के लिए लगभग 20 सेकंड तक चरणबद्ध विधि से साबुन से हाथ धोने या अल्कोहल युक्त सैनिटाइजर का उपयोग करने पर संक्रमण से काफी हद तक बचा जा सकता है। इसके अलावा खांसते और छिंकते समय सावधानियां रखकर कोविड, इन्फ्लुएंजा व स्वसन तंत्र से जुड़े रोगों से बचाव किया जा सकता है। वहीं संक्रमित वस्तुओं को निर्धारित लाल, नीले, पीले, सफेद और काले डब्बो में डालकर निस्तारण हेतु भेजकर संक्रमण को फैलने से रोका जा सकता है।
संगोष्ठी में डॉ. उमेश खुराना ने कहाः डॉक्टर, नर्सेस, सफाई कर्मचारियों और नागरिकों को कोविड-19, हिपेटाइटिस-बी और इन्फ्लुएंजा जैसी गंभीर बीमारियों से वैक्सीन लगाकर इसके संक्रमण से बचा जा सकता है। उन्होंने संक्रमण के प्रकारों पर भी विस्तृत चर्चा की।
वायरल इन्फेक्शन
वायरस बहुत ही सूक्ष्म प्रकार के रोगाणु होते हैं। ये प्रोटीन की परत के अंदर जेनेटिक सामग्री से बने होते हैं। यह कई तरह की बीमारियों जैसे- सामान्य जुकाम या फ्लू का कारण बन सकते हैं।
यूरिन इन्फेक्शन
यूरिन इन्फेक्शन गंभीर बीमारी है। अगर यूरिन में इन्फेक्शन होता है तो सबसे पहले असर किडनी पर होता है। जब किडनी ठीक से काम नहीं कर पाती है तो क्रोनिक किडनी की बीमारी हो सकती है। इसमें सूजन आ सकती है। इसलिए इन्फेक्शन से बचने के लिए कम से कम तीन लीटर पानी रोज पीएं।
फंगल इन्फेक्शन
फंगस पैदा करने वाले जीवाणु आमतौर पर मानसून के दौरान कई गुना तेजी से फैलते हैं। यह सामान्य तौर पर शरीर के नजरअंदाज किए गए अंगों जैसे की पैर की उंगलियों के पोरों परए उनके बीच के स्थानों पर या उन जगहों पर जहां जीवाणु या कवक का संक्रमण बहुत अधिक तेजी से होता है, वहां फैलते हैं। फंगल संक्रमण से बचने के लिए यह बहुत आवश्यक है कि इस बात का ध्यान अवश्य रखा जाए कि त्वचा ज्यादा देर तक गीली नहीं रहे।
स्किन इन्फेक्शन
स्किन इन्फेक्शन के प्रभाव से पीड़ित के शरीर पर लाल रंग के दाने हो जाते हैं तथा त्वचा भी जली हुई सी नजर आती है। वहीं त्वचा पर सफेद पपड़ी जम जाती है, जिसमें खुजली होती है। ध्यान न देने पर कभी-कभी इनमें बैक्टीरियल इन्फेक्शन भी हो जाता है। त्वचा में संक्रमण की स्थिति में तत्काल डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।