छत्तीसगढ़

स्टेशन का वाहन पार्किंग बना अपराधियों का सुरक्षित ठिकाना

Nilmani Pal
28 March 2022 5:27 AM GMT
स्टेशन का वाहन पार्किंग बना अपराधियों का सुरक्षित ठिकाना
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  1. यात्रियों से अवैध वसूली, बदसलूकी के साथ अवैध गतिविधियों को मिल रहा संरक्षण

  2. वाहनों की सुरक्षा तो नहीं होती, लेकिन बाहरी और लोकल तस्करों, जेबकट, उठाईगिरी करने वालों की करता है सुरक्षा
  3. पार्किंग में वाहन रखने वाले पुरूष-महिला यात्रियों से रोज करते है दुव्र्यवहार
  4. महिलाओं से छेड़छाड़ और छिटाकशीं पार्किंंग में आम बात

जसेरि रिपोर्टर

रायपुर। रायपुर रेलवे स्टेशन के पार्किग व्यवस्था की बदहाली, यात्रियो से अवैध रूप से अधिक शुल्क वसूली, यात्रियों के साथ बदतमीजी के मामले समय-समय पर सामने आती रही है। स्टेशन के वाहन पार्किंग में अतिरिक्त शुल्क लेने की शिकायत यात्रियों द्वारा लगातार की जाती रही है । छुट्टे ना होने, नई पर्ची छापने दी है इन सब बातो का हवाला देकर पार्किंग कर्मी यात्रियों से तय शुल्क से अतिरिक्त वसूल लिया करते हैं। तय समय सीमा से 2-4 मिनट देर होने पर भी पूरे दिन का किराया वसूला जाता है। प्रतिदिन वाहन पार्किंग में गाड़ी रखने वाले एक यात्री ने जनता से रिश्ता को बातचीत में बताया कि अभी 2-3 दिन से ही नई पर्चियों पर तय शुल्क के अनुसार किराया वसूला जाता है और नया रेट लिस्ट पार्किंग के दरवाजे पर टांगा गया है । इससे पहले पुरानी पर्चियों पर ही पेन से रेट लिखकर दे दिया जाता था। इस पर जब वाहन मालिक विरोध करते थे तो पार्किंग कर्मियों द्वारा उनसे बदतमीजी की जाती थी और कई बार हाथापाई भी हुई है।

रेलवे प्रबंधन इस मामले में अपनी जिम्मेदारियों के प्रति लचर रवैया अपनाए हुए हैं। रेलवे प्रबंधन पार्किंग का ठेका बाटकर अपनी जिम्मेदारी से मुक्त हो चुका है । रेलवे द्वारा कभी इस विषय पर संज्ञान नहीं लिया जाता की पार्किंग ठेका लेने वाले तय रेट ही वसूल रहे हैं या नहीं ,वाहन पार्किंग व्यवस्था दुरुस्त है या नहीं ठेकेदारों द्वारा नियमों का पालन किया जा रहा है या नहीं। रेलवे द्वारा कभी भी नियमों का उल्लंघन करने पर ठेकेदारों के खिलाफ कोई सख्त कार्यवाही नहीं की जाती है।

जीआरपीएफ की भूमिका संदिग्ध : जीआरपीएफ की भूमिका भी इसमें कुछ स्पष्ट नहीं है और समय-समय पर इन ठेकेदारों के साथ इनके साठगांठ की अफवाहें भी आती रहती हैं। यात्रियों से बद्तमीजी कर के ये ठेकेदार और पार्किंग कर्मचारी खुलेआम जीआरपीएफ और आरपीएफ को अपनी जेब में रखने की धमकी देते हैं और कार्यवाही ना होने का हवाला भी देते हैं। वहीं दूसरी तरफ यात्रियों द्वारा बदतमीजी की घटनाएं कभी थमने का नाम नहीं लेती और ना ही कभी इन ठेकेदारों पर जहर पी एफ के द्वारा कोई कार्यवाही की जाती है। जीआरपीएफ और आरपीएफ से इस विषय पर चर्चा करने की कोशिश करने पर अधिकारियों द्वारा गोलमोल जवाब ही दिया जाता है।

रेलवे स्टेशन में भारी अव्यवस्था : रायपुर रेलवे स्टेशन में कोरोना काल के बाद से भारी अव्यवस्था देखने को मिलती है। यह अव्यवस्था ना सिर्फ अंदर बल्कि रेलवे स्टेशन के बाहर भी देखी जा सकती है। रेलवे स्टेशन के अंदर अनावश्यक भीड़ तो होती ही है लेकिन सुरक्षा के कोई ठोस इंतजाम भी नही है। संदिग्ध और असामाजिक तत्व द्वारा रेलवे स्टेशन के अंदर और बाहर चोरी और उठाईगिरी की वारदात को अंजाम दिया जाता है। तस्करी को रोकने कोई खास इंतजाम भी नहीं है जिसके कारण ज्यादातर तस्कर पकड़ में भी नही आ पाते। आरक्षन टिकट कार्यालय के बाहर भी बड़ी संख्या में खड़ी रहती है जिसपर ट्रैफिक द्वारा मनमर्जी से करवाही होती है।कभी सारी गाड़ीयो को उठा कर ले जा के कार्यवाही की जाती है तो कभी महीनों महीनों इनपर कोई कार्यवाही नहीं होती है।

चोरी-छिपे गांजा व अन्य नशीले पदार्थ भी स्टेशन से बाहर भेजे जा रहे

रेलवे स्टेशन में बना वाहन पार्किंग स्थल वाहनों के बजाय बाहरी और लोकल अपराधियों का सुरक्षित ठिकाना बना हुआ है। जहां आए दिन पार्किंग में वाहनों को रखने वाले यात्री पार्किंग संचालकों के दादागिरी के शिकार होते है। बहस करने पर मारपीट और दुव्र्यवहार कर गाड़ी छिन लेते है। ऐसा लगता है कि रेलवे स्टेशन में कानून-व्यवस्था नाम की कोई चीज नहीं है, पार्किंग संचालकों को जीआरपी और सीआरपीएफ से महिलाओं के साथ दुव्र्यवहार, छिटाकशीं, छेड़छाड़ करने का ठेका दे दिया है, रेलवे प्रबंधन ने वाहन पार्किंग संचालकों अपराध करने और अपराधियों को संरक्षित करने का लाइसेंस दे दिया है। आए दिन पार्किंग के कर्मी यात्रियों से दुव्र्यवहार करते है। जीआरपी और सीआरपीएफ से शिकायत करने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं होने से पार्किंग वालों के हौसले बुलंद है। वो तो खुलेआम कहते फिरते है कि हम जीआरपी और सीआरपीएफ को मासिक नजराना पेश करते है हमारा कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता। हमारी दादागिरी चलती रहेगी। जिसको जहां शिकायत करना है कर दो। रेलवे का वाहन पार्किंग अपराधियों के फरारी काटने का सुरक्षित ठिकाना बना हुआ है उसके बदले पार्किंग वाले उनसे संरक्षण देने का पैसा लेते है। इसलिए बाहरी और लोकल अपराधी अपराध को अंजाम देकर रेलवे स्टेशन के पार्किंग में डेरा डालते है और मौका पाकर वहां से ट्रेन से अपने सुरक्षित मुकाम में पहुंच जाते है। गांजा तस्कर उड़ीसा से गांजा लाकर पार्किंग में छुपाते है और मौका मिलते ही पार्टी को सप्लाई कर देते है। वाहन पार्किंग में काम करने वाले कर्मियों का पुलिस वेरीफिकेशन होना चाहिए, लेकिन रेलवे प्रबंधन न अपने चहेतों को ठेका देने के चक्कर में नियम-कानून की धज्जियां उड़ा रहे है।

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