गुटखा किंग का एक बेटा कांग्रेस में एक भाजपा में और तीसरा टीवी चैनल और फर्जी पोर्टल चला रहा
इस अवैध फैक्ट्री और वर्करों का संबधित थाने में कोई लेखा-जोखा नहीं
शहर में ऐसे कई अवैध फैक्ट्रियां संचालित हो रही है जिनसे महीना बंधा है वहां छापा नहीं मारा जाता, महीना बंद होने पर मारा जाता है छापा
विभाग को इसकी जानकारी काफी दिन से थी लेकिन गुटखा किंग ने मुंह बंद कर रखा था
छापा पुलिस ने नहीं खाद्य विभाग ने मारा
सड़ी सुपारी और जहरीले केमिकल का उपयोग
जसेरि रिपोर्टर
रायपुर। राजधानी में चल रहे सारे अवैध कारोबार का लिंक राजनीतिक पार्टियों के नेताओं से जुड़ा हुआ है। ताजा मामला मंदिर हसौद के बंद फैक्ट्री में रात को नकली गुटका बनाकर पैकेजिंग का है जिसमें जो लोग शामिल है उसमें एक भाजपा नेता है दूसरा कांग्रेस नेता है तीसरा एक नेशनल टीवी चेनल की फेंचाइजी ले रखा है साथ ही एक वेब पोर्टल भी चलाता है। जिसके नाम से पुलिस और प्रशासन पर दबाव बनाए रखा था। उसके एवज में ये नकली गुटखा कंपनी के संचालक खाद्य और औषधि विभाग को ऊपर से नीचे तक लाखों रूपए की चढ़ोत्री पहुंचाता था। ऐसे बहुत से फैक्ट्री राजधानी में है जो खाद्य और औषधि विभाग के संरक्षण में अवैध रूप से संचालित हो रहे है। जिसकी कभी जांच तक करने संबंधित विभाग कदम नहीं उठाया है। अचानक नकली गुटखा कंपनी में बिना पुलिस के धमकना कई संदेहको जन्म देता है। यह खाद्य और औषधि प्रशासन और कथित गुटखा कंपनी में सांठगांठ का है जो महीने की चढ़ोत्री नहीं पहुंचने पर कार्रवाई की है।
मजेदार बात यह है कि खाद्य और औषधि प्रशासन विभाग को पता था कि यहां घटिया क्वालिटी के कत्थे सुपारी से जर्दा युक्त गुटका बनाया जाता है। इसके साथ ही गुटखाफैक्ट्री के मालिक को लेकर विभागीय अधिकारियों को संदेह है, अधिकारियों ने गुटखा फैक्ट्री किसी और के होने की आशंका जताई है। अब इस केस में नया मोड आ गया है। जीएसटी की टीम भी जांच में जुट गई है। वहीं खाद्य और औषधि प्रसासन विबाग के के सहायक आयुक्त राजेश शुक्ला के मुताबिक गुटखे के सैंपल जांंच के लिए भेजा है।
हर महीने 10 लाख की चढ़ोत्री
पुलिस से बचने के लिए तथाकथित नकली गुटखा उत्पादकों ने के गिरोह में 24 लोगों की भागीदारी है। पुलिस को चमकाने के लिए इस कंपनी के प्रमुख के तीनों बेटों ने अलग-अलग राजनीतिक पार्टी में सदस्यता दिलाई थी ताकि पुलिस से चबते रहे। सूत्रों से जानकारी मिली है कि फूड विभाग को हर महीने 10 लाख की चढ़ोत्री चढ़ता था। पिछले दो माह से चढ़ोत्री नहीं चढऩे की वजह से खाद्य एवं औषधि विभाग ने छापामार कर भंड़ाफोड़ किया । किसी भी छापामार कार्रवाई को लिए स्थानीय पुलिस को साथ लिया जाता है। लेकिन इस छापामार कार्रवाई में खाद्य एवं औषधि विभाग ने पुलिस को साथ नहीं लिया और अकेले ही कार्रवाई को अंजाम दिया। यदि पुलिस को साथ ले जाती तो हर महीने 10 लाख चढ़ोत्री का पोल खुल सकता था। इसलिए पुलिस के बिना खाद्य एवं औषधि विभाग ने कार्रवाई को अंजाम दिया।
मंदिरहसौद- विधानसभा रोड पर स्थित अवैध गोदाम से मंगलवार को जब्त नकली जर्दा वाला माणिकचंद और सितार गुटखा महाराष्ट्र और ग्रामीण इलाकों में खपाने का क्लू मिला है। माणिकचंद की रायपुर सहित पूरे प्रदेश में डिमांड कम है, जबकि महाराष्ट्र के मार्केट में इसकी सबसे ज्यादा मांग है। सितार को छत्तीसगढ़ के अलावा ओडिशा और महाराष्ट्र के ग्रामीण इलाकों में सप्लाई किया जा रहा था।छापे के दौरान गोदाम का सुपर वायजर फरार हो गया और वहां पैकेजिंग का काम करने वाले कर्मचारियों को मालिक का नाम तक नहीं जानते हैं। इस वजह से खाद्य विभाग को ये पता नहीं चला है कि गोदाम का मालिक कौन है और गुटखे की पैकेजिंग कौन करवा रहा था। पता लगाया जा रहा है कि गोदाम में लगा बिजली मीटर किसके नाम पर इश्यू हुआ है, ये ब्योरा भी निकाला जा रहा है। हालांकि अब तक वसीम खान और जुगनानी दो नाम सामने आए हैं। वसीम खान गोदाम का सुपर वायजर है, जबकि जुगनानी उसका मालिक है। वसीम खान ही पूरा धंधा संभाल रहा था। पैकेजिंग करने से लेकर माल को ट्रक में भरकर रवाना करने तक उसकी जिम्मेदारी थी। कर्मचारी तो जुगनानी को जानते तक नहीं है। फूड विभाग जुगनानी के बारे में जानकारी जुटा रहा है। जुगनानी का मोबाइल नंबर पुलिस और आला अफसरों को सौंपा गया है ताकि कॉल रिकार्ड के जरिये उसका पता लगाकर पूछताछ की जा सके।
फूड विभाग के इंस्पेक्टरों की टीम ने अवैध गोदाम में नकली गुटखा का गोदाम चलने की सूचना के बाद करीब 15 दिन जासूसी की। फूड इंस्पेक्टर रात 12 बजे से गोदाम के बाहर तैनात होकर चेक करते थे कि गोदाम में क्या हो रहा है। ट्रक कहां और कितने बजे रोज रवाना होता है। पूरी रेकी करने के बाद मंगलवार की रात जब ट्रक गोदाम से गुटखा लेने के लिए घुसा और वहीं पकड़ा गया।
गोदाम में जिस समय छापा पड़ा, उस दौरान गोदाम में 50 से ज्यादा कर्मचारी काम कर रहे थे। गुटखा बोरों में भरकर गोदाम में रखा गया था। वहीं पैकेजिंग वाली मशीनें रखी थीं। कर्मचारी बोरे से गुटखा निकालकर पाउच में भरकर उसकी पैकिंग कर रहे थे। पैकिंग वाली मशीन के अलावा मिक्श्चर मशीन भी रखी थी। फूड विभाग के अफसरों को शक है कि जर्दा गुटखा खुला मंगवाकर गोदाम में ब्रांड वाले पाउच में भरकर सप्लाई किया जा रहा था।
गोदाम में जर्दा वाला गुटखा पाउच में पैक करने वाले सभी 50 कर्मचारी झारखंड और मप्र के रहने वाले हैं। गोदाम में केवल रात में काम होता था। सुबह उजाला होने के पहले ही काम बंद कर दिया जाता था। कर्मचारियों गोदाम से बाहर निकलना तो दूर झांकने तक की अनुमति नहीं थी। उनका तीनों टाइम का भोजन गोदाम में बनता था। सबको एक साथ भोजन करना पड़ता था। उन्हें आठ से 12 हजार महीना तक सैलेरी दी जा रही थी। काम पर इसी शर्त पर रखा गया था कि वे बाहर नहीं जाएंगे। दूसरे राज्यों के होने कारण कर्मचारी इस शर्त पर काम करने के लिए राजी हो गए थे।
पड़ोसी राज्यों में निर्मित गुटखा खपाया जा रहा
प्रदेश सरकार ने भले ही तम्बाकू युक्त गुटखे के उत्पादन और बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया हो, लेकिन पड़ोसी राज्यों में निर्मित गुटखे राजधानी में धड़ल्ले से बिक रहे हैं और वह भी दोगुने-तिगुने दामों पर। शहर में बड़ी मात्रा में जर्दा गुटखा खपाया जा रहा है। किराना दुकान की आड़ में जर्दायुक्त गुटखा का अवैध कारोबार सालों से चल रहा है। बताया जा रहा है कि राजधानी में जर्दा गुटखा बनाने वाली फैक्ट्रियां संचालित हैं, जहां जर्दा गुटखा सप्लाई किया जाता है। इसके अलावा प्रदेश के कुछ शहरों में इसका निर्माण भी किया जाता है। जिसके चलते शहर से लेकर गांव तक खुलेआम जर्दायुक्त गुटखा की सप्लाई हो रही है। प्रदेश में एक दर्जन गुटखा उत्पादों की थोक और फुटकर बिक्री छोटी-बड़ी दुकानों से सरेआम हो रही है। इनमें ऐसे उत्पाद भी हैं जिनमें पंजीयन तिथि और संख्या का उल्लेख नहीं है। साथ ही वैधानिक चेतावनी तम्बाकू जानलेवा है तक अंकित नहीं है। चोरी छिपे थोक व्यापारी खरीदते हैं और ऊंचे दामों में फुटकर दुकानदारों को उपलब्ध कराते हैं। गुटका खाने से ओरल सबम्यूकस फाइब्रोसिस की आशंका को बढ़ाता है इसमें व्यक्ति अपना मुंह पूरा नहीं खोल पाता है यह कैंसर से पहले होने वाला एक प्रबल रोग है इसके अलावा गुटखे में पाए जाने वाले तत्व पेट एसोफैगस मूत्राशय और आंत जैसे कई अन्य आंतरिक अंगों में भी कैंसर पैदा करने में सक्रिय भूमिका निभाते हैं।
प्रतिबंध के बाद भी खुलेआम बिक रहा गुटखा
छत्तीसगढ़ में पान मसाला, गुटखा आदि पर प्रतिबंध है। इसके बाद भी प्रदेश के सभी जिलों में पान मसाला, गुटखा की बिक्री खुलेआम हो रही है। कोई देखने वाला नहीं है। गुटखा माफियाओं ने सिस्टम को हाईजैक कर लिया है। हर माह गुटखा के अवैध करोबार के संचालन के लिए गुटखा कारोबारियों से पुलिस और प्रशासन के आला अफसरों तक गुटखा कंपनियों का चढ़ावा पहुंचता है। यही वजह है कि गुटखा बेचने वालों और कंपनी के लोगों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होती। गुटखा के कारोबार में करोड़ों रुपए की टैक्स चोरी की जा रही है। अवैध रुप से बिना बैच नंबर के जर्दायुक्त पान मसाला बाजार में बेचे जा रहे हैं। दिखावे के लिए खाद्य एवं औषधि प्रशासन के अधिकारी छापा मार रहे हैं वो भी पहले से ऐलान करके। रोक के बाद भी राजधानी में इतनी मात्रा में गुटखा कहां से पहुंच रहा है, विभाग इसकी पड़ताल नहीं करता।